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दोस्तों आज सात्विक जीवन का साक्षात्कार कराती डायरी के 66 वें भाग से आपका परिचय करवाने जा रही हूँ। पिछले भाग में आप मेरी डायरी के पन्नों में संजोये लेख कुलथी दाल के स्वास्थ्य लाभ की जानकारी से परिचित होने के सफर में शामिल हुए थे। आप सभी के स्नेह और उत्साहवर्धन के लिए मैं ह्रदय से आभारी हूँ। इस भाग में “शांभवीमुद्रा करने की विधि एवं लाभ ” से सम्बंधित जानकारी से आपका परिचय करवा रहीं हूँ।
शाम्भवी मुद्रा का उल्लेख हठयोगप्रदीपिका, घेरण्ड एवं शिवसंहिता मिलता है। हठयोग साधना के सात अंगों में मुद्रा का स्थान तीसरे नंबर पर आता है। आयुर्वेद के अनुसार शरीर में रोगों के उत्पन्न होने का कारण शरीर के पंचतत्वों में असंतुलन होना है। हमारे हाथों की उँगलियों में पाँच तत्व – अग्नि, जल, वायु ,पृथ्वी, आकाश से सम्बंधित नाड़ियां होती है। अतः योग साधना में शरीर एवं मन को साधने के लिए हाथों की उंगलियों या पुरे शरीर के साथ उंगलियों का प्रयोग मुद्रा के लिए किया जाता है।
मुद्रा के साथ प्राणायाम के प्रयोग से शरीर की सभी नाड़ियों में ऊर्जा का प्रवाह होने लगता है। विभिन्न मुद्राओं के प्रयोग से शरीर में पाँचों तत्वों का संतुलन बनाने में मदद मिलती है। जिससे आध्यात्मिक सिद्धि के साथ ही स्वास्थ्य लाभ भी प्राप्त होता है।
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हठयोगप्रदीपिका में मुद्राओं की संख्या 10 तथा घेरण्ड संहिता में मुद्राओं की संख्या 25 बतायी गयी है। जो इस प्रकार हैं – नभोमुद्रा, महामुद्रा, उड्डियान- बंध, मूलबंध, महाबंध,महावेध, जालंधर -बंध, खेचरी, विपरीतकारिणी, योनिमुद्रा, वज्रोली, शक्तिचालिनी,तड़ागी, माण्डवी, पंचधारणा, शांभवी,अश्विनी, पाशनी, काकी, मातंगी और भुजंगिनी आदि इस लेख में शाम्भवी मुद्रा की विधि एवं लाभ की जानकारी आपके साथ शेयर कर रही हूँ। आज इस लेख के माध्यम से शांभवीमुद्रा की विधि एवं लाभ की जानकारी आपके साथ शेयर कर रही हूँ।
शाम्भवीमुद्रा विधि Shambhavi Mudra Method
शांभवी मुद्रा योग साधना की क्रियाओं में से एक है। इस मुद्रा में कई श्वाँस तकनीकों का एकत्रित रूप से प्रयोग किया जाता है। इसलिए इसे शांभवी महामुद्रा भी कहा जाता है। शाम्भवी मुद्रा योग साधना करने की विधि इस प्रकार है –
- सबसे पहले सिद्धासन, वज्रासन, पद्मासन या सुखासन में बैठ जायें।
- दोनों हाथों को घुटनो पर टिकाएं और तर्जनी उंगली एवं अंगूठे के सिरे को आपस में मिलाकर रखें। अर्थात ज्ञान मुद्रा में बैठ जायें।
- फिर गहरी श्वांस लें हुए शरीर की माँसपेशियों को ढीला छोड़ दें और श्वाँस की गति सामान्य रखें।
- अब रीढ़ की हड्डी सीधी रखते हुए सिर को थोड़ा ऊपर करें और दोनों आँखों से दोनों भौहों के बीच में स्थित स्थान को देखने का अभ्यास करें। अर्थात दोनों आँखों को खुला रखते हुए आज्ञा चक्र पर ध्यान केंद्रित करें।
- आँखों पर स्ट्रेस नहीं देना है। आराम से दोनों आँखों से ऊपर देखते हुए आज्ञा चक्र पर देखने का केवल प्रयास करना है। आज्ञा चक्र पर ध्यान लगाने के दौरान पलके झपकना नहीं है।
- जब आँखें थक जाने पर आँखों को बंद कर लें। इसके बाद फिर से आँखों को खोलकर ऊपर देख्नते हुए बिना पलके झपकाए आज्ञा चक्र पर ध्यान लगाने का अभ्यास जारी रखें।
- इस प्रकार शांभवी मुद्रा में सिद्धि पाने के इच्छुक साधक अपने सामर्थ्य अनुसार ध्यान की अवधि बढ़ाने का प्रयास कर सकते हैं।
- स्वास्थ्य लाभ के लिए शाम्भवी मुद्रा साधना क्रिया को 10 मिनट तक अभ्यास करने का प्रयास करना चाहिए।
शांभवी मुद्रा से लाभ Benefits of Shambhavi Mudra
- मानसिक तनाव दूर होता है।
- शांभवी मुद्रा ध्यान क्रिया से आज्ञाचक्र जाग्रित होता हैं। जिससे ध्यान एकाग्र करने की शक्ति का विकास होता है।
- आँखों के विकार दूर होते हैं।
- आँखों में सम्मोहन शक्ति का विकास होता है।
- स्मरण शक्ति बढ़ती है।
शांभवी मुद्रा पर किये गए शोध अध्ययनों के अनुसार –
शिव योग शांभवीमुद्रा ध्यान पद्धति को एक सप्ताह तक नियमित दिनचर्या में शामिल करने पर निन्मलिखित स्वास्थ्य लाभ दर्ज किया गया –
दो सात दिवसीय शिवयोग शाम्भवी सेमीनार आयोजित की गई। जिसमें 54 वर्ष की औसत आयु वाले 31 पुरुष और 19 महिलाओं को शामिल किया गया।
एक सेमीनार में सप्ताह भर और दूसरे में एक महीने तक शांभवी मुद्रा ध्यान क्रिया का अभ्यास कराने के बाद प्रतिभागियों के स्वास्थ्य परिक्षण करने पर स्वास्थ्य में निम्नलिखित सुधार दर्ज किया गया –
- एक सप्ताह तक शांभवी मुद्रा ध्यान करने वाले समूह के बढ़े हुए ब्लड ग्लूकोज़/ रक्त शर्करा के स्तर और यूरिक एसिड के बढ़े हुए स्तर में सुधार दर्ज किया गया।
- एक महीने तक शांभवी मुद्रा ध्यान का अभ्यास करने वाले समूह के प्रतिभागियों के अतिरिक्त वजन में कमी, एलडीएल कोलेस्ट्रॉल, सीरम यूरिक एसिड और रक्त शर्करा के बढ़े हुए स्तर में सुधार दर्ज किया गया।
एक अन्य शोध अध्ययन के अनुसार –
- एक शोध अध्ययन में 42 वर्ष के औसत आयु वर्ग के प्रतिभागियों को शामिल किया गया। सभी प्रतिभागियों को 6 सप्ताह तक प्रतिदिन 21 मिनट तक शांभवीमुद्रा ध्यान करने का निर्देश दिया गया।
- 6 सप्ताह के दैनिकअभ्यास के बाद प्रतिभागियों के स्वास्थ्य परिक्षण में तनाव के स्तर में कमी दर्ज की गयी। अतः शोध अध्ययन से इस निष्कर्ष पर पहुंचा गया कि शांभवीमुद्रा ध्यान क्रिया अवसाद को कम करने में प्राकृतिक उपचार का कार्य करती है।
स्त्रोत –
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