मधुमेह नियंत्रण में उपयोगी जड़ी -बूटियों को अब मॉडर्न साइंस द्वारा विभिन्न शोधों द्वारा प्रभावी सिद्ध किया गया है।मधुमेह रोगियों की संख्या आज विश्व में तेजी से बढ़ती जा रही है। रक्त में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने के लिए एलोपैथिक दवाएं उपलब्ध है। किन्तु इन दवाओं के सेवन से रोगी में चिड़चिड़ापन, सुस्ती,हाथ -पैर सुन्न होना, हड्डी कमजोर होना, लिवर से सम्बंधित समस्याएं जैसे प्रतिकूल प्रभाव देखने में आते हैं।
जबकि भारतीय पारम्परिक चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के लिए अनेक प्रभावी जड़ी -बूटियों का उपयोग प्राचीन काल से किया जाता रहा है। औषधीय जड़ी -बूटियों की खास बात यह है कि आयुर्वेदिक डिग्रीधारी वैद्य की सलाह से सेवन करने से स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है। तो आइये देखें मधुमेह नियंत्रण में प्रभावी जड़ी -बूटियों की जानकारी।
Natural Medicine for Diabetes मधुमेह रोग की प्राकृतिक औषधि
रक्त शर्करा के स्तर बढ़ने और उससे उत्पन्न होने वाली समस्याओं को नियंत्रित करने के लिए आयुर्वेद में अनेक औषधीय पौधों की पत्तियों, छाल, अर्क, चूर्ण आदि का प्रयोग सदियों से किया जाता रहा है। विश्व एथनोबोटैनिकल सर्वे के अनुसार, ‘ विश्व भर में डायबिटीज रोग के नियंत्रण के लिए 800 औषधीय पौधों का उपयोग किया जाता है। जिनमें 450 औषधीय पौधों को चिकित्सकीय रूप से प्रमाणित है। चरक संहिता और सुश्रुत संहिता में मधुमेह की समस्या को दूर करेने में प्रभावी औषधीय पौधों का वर्णन किया गया है। जिनमें से कुछ जड़ी -बूटियों की जानकारी आपके साथ शेयर हूँ।
गुड़मार
गुड़मार का वैज्ञानिक नाम जी सिल्वेस्ट्रे (G Sylvestre) है। इसे जर्मन में वाल्डस्क्लिंग,अंग्रेजी में पेरिप्लोका और हिंदी में गुरमार और चिगेंगटेंग या ऑस्ट्रेलियाई काउप्लांट के रूप में भी जाना जाता है।
गुड़मार एक औषधीय पौधा है, इसके जड़ और पत्तियों के चूर्ण का उपयोग रोगों के उपचार में किया जाता है। इसमें मौजूद एंटीएलर्जिक,एंटीवायरल,एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाया जाता है।
“इसकी पत्तियों के चूर्ण का प्रयोग टाइप 2 डायबिटीज की औषधि के रूप में सदियों से भारत और चीन में किया जाता रहा है।” इसके अतिरिक्त आयुर्वेद में दमा रोग,आँखों के संक्रमण, कब्ज आदि रोगों की औषधि के रूप में भी प्रयोग किया जाता है।
इन्सुलिन प्लांट
शोध अध्ययनों प्रमाणित हुआ है कि इन्सुलिन प्लांट टाइप 2 डायबिटीज के रोगियों में फास्टिंग ब्लड शुगर (खाने के पहले के ब्लड शुगर लेवल) और खाना खाने के बाद के ब्लड शुगर लेवल (Postprandial blood sugar level) को कम करने में प्रभावी होता है। इसके साथ ही मधुमेह रोग से उत्पन्न होने वाली समस्याओं जैसे – गुर्दे में विकार, फैटी लिवर,ग्लाइकोसिलेटेड हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ने की समस्या एवं लिपिड प्रोफाइल को ठीक करने में प्रभावी होता है।
इस औषधीय पौधे को कोस्टस इग्नियस या स्पाइरल जिंजर के नाम से भी जाना जाता है। इसकी पत्तियों में एंटीडायबिटिक गुण पायी जाती है। आयुर्वेद में इसकी पत्तियों को मधुमेह के उपचार के लिए इस पौधे की पत्तियों को इस प्रकार प्रयोग करने की सलाह दी जाती है –
- एक सप्ताह तक प्रतिदिन सुबह -शाम 2 पत्तियों को भलीभाँति चबाने के बाद निगल लेना है।
- दूसरे सप्ताह में प्रतिदिन सुबह -शाम 1 पत्ती भलीभाँति चबाने के बाद निगल लेना है।
- तीसरे सप्ताह में फिर से प्रतिदिन सुबह -शाम 2 पत्तियों को और चौथे सप्ताह में प्रतिदिन सुबह -शाम 1 पत्ती को पूरी तरफ से चबाने के बाद निगलना है। इस प्रकार एक महीने तक इस औषधि का प्रयोग करना होता है।
विजयसार
इस औषधीय पौधे का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली में डायबिटीज टाइप 2 की औषधि के रूप में किया जाता रहा है। विजयसार का वैज्ञानिक नाम पटरोकार्पस मार्सुपियम (Pterocarpus marsupium) है। इसे आम भाषा में भारतीय किनो, मालाबार किनो, आसन या बीजाका के नाम से भी जाना जाता है।
इस पेड़ के तने की भीतरी भाग और छाल का उपयोग मधुमेह रोग और उससे होने वाली समस्याओं के रोकथाम के लिए किया जाता है। ‘विजयसार के पेड़ की छाल से बनी लकड़ी की गिलास में पानी रात भर छोड़ने के बाद सुबह खाली पेट पीने से रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में मदद मिलती है।‘
शोध अध्ययनों के अनुसार विजयसार के तने की भीतरी भाग की लकड़ी के अर्क, छाल, फूल, गोंद एवं पत्तियों में पटेरोस्टिलबेन, एपिकटेचि, पटेरोसुपिन, मारसुपसिन आदि (pterostilbene, -epicatechin, pterosupin, marsupsin) कई प्रकार के रासायनिक यौगिक पाया जाता है। जो कि मधुमेह प्रबंधन, टोटल कोलेस्ट्रॉल, मोतियाबिंद, त्वचा से सम्बंधित समस्याओं, डायरिया की रोकथाम,लिवर को नुकसान से बचाने में प्रभावी होता है।
जामुन
इस औषधीय पौधे का वैज्ञानिक नाम सीजीजियम क्यूमिनी (Syzygium cumini) है। यह मूल रूप से भारत और दक्षिण एशिया के अन्य देशों में पाया जाने वाला पेड़ है। इसे काला जामुन, जमाली, राजमन, ब्लैक बैरी आदि नामों से जाना जाता है। इसके फल का गुदा मीठा एवं बीज कसैला -खट्टा होता है। भारत में हजारो सालों से जामुन के फल गूदे एवं बीज का प्रयोग मधुमेह, दाद, दस्त,पेट के कीड़े आदि रोगों के रोकथाम के आयुर्वेदिक औषधि के रूप में किया जाता है।
शोध अध्ययनों से प्रमाणित हुआ है कि जामुन के फल एवं बीज मिनरल्स और आहार फाइबर से भरपूर होते हैं। फल के गूदे में मौजूद एंथोसायनिन पिग्मेंट एन्टीऑक्सडेंट का कार्य करती है। जो कि पैंक्रियाज की बीटा कोशिकाओं को क्षति बचाने और इन्सुलिन हार्मोन की सक्रियता को बढ़ाने में मदद करती है। जिसके कारण भारत में मधुमेह पारम्परिक औषधि के रूप में जामुन के सिरके का उपयोग प्रचलन में है।
राजमन के बीज में ऑक्सालिक, टैनिन, गैलिक एसिड और अन्य अल्कलॉइड की मौजूद होता है। जो कि वायरल संक्रमण से शरीर की रक्षा करने में सहायक हैं। इसमें मौजूद फेनोलिक और फ्लेवोनोइड रासायनिक यौगिक एंटीऑक्सिडेंट का कार्य करती है। जिसके कारण बीज के चूर्ण का प्रयोग मधुमेह रोग में रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।
पनीर का फूल
पनीर डोडी एक झाड़ी नुमा छोटा पौधा होता है। इसका वैज्ञानिक नाम विथानिआ कागुलेन्स (Withania Coagulance) है। ये नेपाल, अफगानिस्तान और भारत के पूर्वी भाग राजस्थान, हरियाणा, शिमला, कुमायूँ और गढ़वाली क्षेत्र में सामान्य रूप से पाया जाता है। पनीर का फूल को इंडियन चीज़ मेकर, वेजिटेबल रेनेट, पनीर बेड, पनीर डोडा या पनीर डोडी आदि नामों से जाना जाता है।
शोध अध्ययनों के अनुसार, ‘पनीर डोडी में कई औषधीय गुण होते हैं, जैसे – हेपेटोप्रोटेक्टिव, एंटीइंफ्लेमेटरी, एंटीहाइपरग्लाइकेमिक, हाइपोलिपिडेमिक, एंटीमाइक्रोबियल, कार्डियोवैस्कुलर, फ्री रेडिकल को दूर करने,
केंद्रीय तंत्रिका तंत्र अवसाद, इम्यूनोमॉड्यूलेटरी, एंटीट्यूमर और साइटोटॉक्सिक जैसी गतिविधियां मौजूद होती है। ये टाइप 2 डायबिटीज रोगियों के ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में प्रभावी है।’
एक शोध रिपोर्ट के अनुसार, इस औषधीय पौधे के फल का अर्क का प्रयोग आयुर्वेद में मधुमेह रोग और उससे वाली मूत्र विकार, थकान, अनिद्रा जैसी समस्याओं की रोकथाम के लिए किया जाता है।
पनीर डोडा का मधुमेह नियंत्रण के लिए प्रयोग विधि :
- 8 -10 पनीर के फूल को 1 कप पानी में भिगो कर रात भर छोड़ दें।
- सुबह अर्क को छान कर खाली पेट पीने के लिए प्रयोग करें।
सावधानी :
पनीर के फूल का अर्क सेवन से पहले वैद्य या डॉक्टर की सलाह लेना आवश्यक है। खासतौर से जब आप डायबिटीज कण्ट्रोल करने की औषधि का सेवन कर रहें हों। इसके अतिरिक्त ब्लड लेवल सामान्य से कम होने की सम्भावना से बचने के लिए डायबिटीज जाँच करवाते रहना भी आवश्यक है।
अस्वीकरण :
लेख में दी गयी जानकारी का उद्देश्य प्राकृतिक रूप से मधुमेह नियंत्रण से सम्बंधित औषधीय जड़ी -बूटियों की जानकारी उपलब्ध करवाना है। ये औषधीय जड़ी – बूटियां प्रीडायबिटिक के नियंत्रण में सहायक हो सकती हैं। किन्तु मधुमेह रोग से ग्रस्त रोगियों को बिना डॉक्टर की सलाह के सेवन से फायदा की बजाय नुकसान होने की सम्भावना हो सकती है।
स्त्रोत :
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles
https://www.researchgate.net/publication/267411348_Paneer_Doda
https://ijcrt.org/papers/IJCRT2203273.pdf
https://ayushdhara.in/index.php/ayushdhara/article
www.scholarsresearchlibrary.com/articles/gymnema-sylvestre-gurmar
अन्य लेख पढ़िए :
अरंडी के तेल के असरदार घरेलू नुस्खे
रूमी मस्तगी के हैरान कर देने वाले स्वास्थ्य लाभ
अमरूद की पत्तियों के औषधीय उपयोग
natural medicine for diabetes, aushdhiya jadi-booti, medicinal herbs for diabetes, diabetes mellitus, home remedies for diabetes, मधुमेह नियंत्रण में उपयोगी जड़ी बूटियां, Herbs for managing blood sugar level, diabetes ki ayurvedic medicine, madhumeh ka desi upchar