लौंग का प्रयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में अनेक रोगों की औषधि बनाने में किया जाता है। रोगों से बचाव के लिए भारतीय पकवान में जड़ी -बूटियों का मसालों के तौर पर प्रयोग प्राचीन काल से प्रचलन में है।
भारतीय भोजन में इलायची, लौंग, हल्दी, काली मिर्च, लाल /हरी मिर्च, दालचीनी, चक्रफूल, जीरा, धनिया आदि मसालों का प्रयोग अनिवार्य रूप से किया जाता है। इसका मुख्य कारण इन मसलों में मौजूद औषधीय गुण का होना है। इन जड़ी – बूटियों का खाद्य पदार्थों के तासीर के आधार पर सही मात्रा में प्रयोग करने से न केवल भोजन को स्वादिष्ट एवं सुगन्धित बनाने बल्कि शरीर को रोगमुक्त रखने में भी मदद मिल सकती है।
सुगन्धित जड़ी -बूटी लौंग का प्रयोग दाँतों के दर्द, मुँह की दुर्गन्ध दूर करने,फंगल संक्रमण से प्रभावित त्वचा, कान के दर्द, सिर दर्द, स्तनपान कराने वाली माताओं के स्तनों में दूध बढ़ाने, गर्भावस्था के दौरान मितली की समस्या को राहत पाने,पेट की गैस एवं अपच, पित्त की समस्या को दूर करने, कफ एवं खाँसी की समस्या,अस्थमा रोग आदि अनेक रोगों से राहत पाने के लिए चूर्ण, तेल,काढ़े एवं साबूत लौंग का औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है। आइये जाने लौंग के औषधीय उपयोग की जानकारी।
लौंग क्या है? What is Clove?
लौंग मिर्टेसी (Myrtaceae) कुल में आने वाला पादप है। इसका वानस्पतिक नाम सियाजियम एरोमैटिकम (Syzygium aromaticum) है। यह सदाबहार पौधा 6 -7 वर्ष का होने पर पुष्प देना शुरू कर देता है। इसकी बंद कलियों को थोड़ कर सुखाने के बाद लौंग के रूप में प्रयोग किया जाता है।
लौंग की तासीर गर्म एवं रस तिक्त कटु होता है। इसे संस्कृत में को देवपुष्प कहा जाता है। सुगन्धित एवं औषधीय गुणों से भरपूर लौंग के बहुउपयोगी गुणों को उजागर करने के उद्देश्य से हिन्दू देवी -देवताओं को फूल युक्त लौंग अर्पित करने का विधान है।
औषधीय गुण Medicinal Properties
लौंग में मौजूद एंटीफंगल, एंटीमाइक्रोबियल,एंटीऑक्सीडेंट, शरीर की रोगप्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने (इम्युनिटी बढ़ाने), सूजनरोधी, दर्दनिवारक, एंटीबैक्टीरियल गुण मौजूद होता है।
शरीर के पोषण के लिए आवश्यक खनिज पदार्थों में आयोडीन,कैल्शियम, फॉस्फोरस,आयरन, मैंग्नीज की मात्रा पायी जाती है। इसके अतिरिक्त विटामिन C , विटामिन K, गैलोटैनिक एसिड (टैनिन), रिबोप्लेविन, निकोटिनिक एसिड आदि पोषक तत्वों की मात्रा पायी जाती है।
लौंग का तेल रंगहीन या हल्के पीले रंग का होता है, जो कि लौंग के विशिष्ट सुगंध और स्वाद से पूर्ण होता है। तेल में विभिन्न रासायनिक यौगिकों का मिश्रण पाया जाता है, जिसमें तीन मुख्य सक्रिय तत्व यूजेनॉल, यूजेनिल एसीटेट और कैरियोफिलीन हैं।
लौंग के घरेलू नुस्खे Home Remedies of Clove
- लौंग के तेल में एंटीफंगल गुण पाया जाता है, जिसके कारण इसके तेल को पैरों के फंगल संक्रमण वाले स्थान पर लगाने से संक्रमण दूर हो जाती है।
- एंटीबैक्टीरियल गुण होने के कारण कीटों के डंक मारने के स्थान पर तेल का लेप लगाने से दर्द से तुरंत राहत मिलती है।
- इसके के तेल में इथेनॉलिक एवं एनाल्जेसिक (दर्द निवारक) गुण पाया जाता है। दाँत के दर्द प्रभावित स्थान पर रुई के फाहे को लौंग के तेल से भीगकर रखने से दर्द से राहत मिलती है।
- इसमें मौजूद विटामिन सी एक प्रभावी एंटीऑक्सीडेंट का कार्य करता है। ये शरीर की रोग प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए आवश्यक सफेद रक्त कोशिकाओं को बढ़ाने में सहायक होता है। अतः आयुर्वेद में प्रतिदिन दो लौंग के सेवन की सलाह दी जाती है। इसके नियमित सेवन से श्वसन से सम्बंधित रोग अस्थमा, खाँसी, जुखाम, कफ और वायरल संक्रमण से बचाव होता है।
- खाँसी की समस्या होने पर लौंग को दाँत से दबाकर धीरे -धीरे रस अंदर लेते रहने से खाँसी तुरंत रूक जाती है।
- इसमें सूजनरोधी गुण होने के कारण गठिया रोग में जोड़ों के दर्द से प्रभावित स्थान पर लौंग के तेल की मालिश करने से हड्डियों के जोड़ों के सूजन एवं दर्द में आराम पहुँचता है।
- वैज्ञानिक शोध रिपोर्ट के अनुसार, “लौंग के तेल की तासीर गर्म होने के कारण मालिश करने पर तंत्रिका की उत्तेजना में वृद्धि होती है। फलस्वरूप शरीर में रक्त परिसंचरण बढ़ जाने से पुरूषों की कामेच्छा में वृद्धि होती है।”
- लौंग को भुन कर पाउडर बना लें। फिर इस पाउडर में शहद मिलाकर सेवन करने से मतली एवं उलटी की समस्या से राहत मिलती है।
- लौंग और दालचीनी के पाउडर की बराबर मात्रा से बने काढ़ा को भोजन के 30 मिनट पहले पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
- चूहों पर किये गए वैज्ञानिक शोध में पाया गया है कि लौंग में मौजूद नाइजेरिसिन तत्व इन्सुलिन हार्मोन का स्त्राव करने के लिए जिम्मेदार पैंक्रियाज की बीटा कोशिकाओं के कार्य में सुधार करने में सहायक होती हैं।मधुमेह रोग में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने के लिए लौंग को पानी में उबालने के बाद लौंग को बाहर निकाल दें और पानी को सामान्य तापमान पर आने तक छोड़ दें। इस प्रकार पानी के नियमित सेवन से मधुमेह /डायबिटीज को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
अस्वीकरण :
लौंग एक औषधीय जड़ी -बूटी है। इसमें विभिन्न रसायनिक यौगिकों की मात्रा मौजूद होती है। इसके इसी गुण के कारण विभिन्न प्रकार के रोगों के उपचार में उपयोग सदियों से किया जाता रहा है। अतः इसकी आवश्यकता से अधिक मात्रा के सेवन से स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न होना स्वाभाविक है।
इसके अतिरिक्त लौंग की तासीर गर्म होती है। जिसके कारण गर्भवती महिलाओं, छोटे बच्चों या किसी रोग से पीड़ित होने पर रोग के उपचार के लिए लौंग का सेवन करने से पहले डिग्रीधारी वैद्य की सलाह लेना आवश्यक है।
स्त्रोत :
https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/
sciencedirect.com
https://www.parasite-journal.org/articles/
https://www.researchgate.net/figure/Antifungal-activity-of-clove
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