अरंडी के तेल के असरदार घरेलू नुस्खे Effective Home Remedies of Castor oil

Effective Home Remedies of Castor oil अरंडी के तेल के असरदार घरेलू नुस्खे
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अरंडी के बीज के तेल, पौधे की जड़ और पत्ते भी तंत्रिका संबंधी रोगों के लिए विभिन्न नुस्खों के घटक/भाग  के रूप में उपयोग किया जाता है।

वैज्ञानिक शोध की रिपोर्ट के अनुसार त्वचा से सम्बंधित संक्रमण को रोकने, सूजन को कम करने, त्वचा की कोशिकाओं के रक्त प्रवाह में सुधार और क्षतिग्रस्त त्वचा कोशिकाओं के उपचार की प्रक्रिया में अरंडी के बीज का तेल प्रभावी होता है।

हाल ही में, U.S. Food & Drug (FDA) द्वारा अरंडी के तेल को फ्लेवरिंग एजेंट के लिए  खाद्य पदार्थों में प्रयोग करने की मंजूरी दी गई है। अरंडी के बीज के तेल को कैंडी एवं विटामिन्स एवं मिनरल्स की कमी पूरी करने के लिए तैयार की जाने वाली गोलियों की सुरक्षात्मक हार्ड कोटिंग के लिए किया जा सकता है। आइये जाने कास्टर ऑयल के औषधीय गुण एवं घरेलू उपचार की जानकारी।

 

Medicinal Use औषधीय उपयोग

Physiological and medicinal properties of castor oil नामक शोध रिपोर्ट के अनुसार  “कैस्टर ऑयल (अरंडी का तेल) एक ट्राइग्लिसराइड है इसमें एंटीबैक्टीरियल एवं एंटीमाइक्रोबियल गुण होता है।” अरंडी में पाया जाने वाला मुख्य घटक रिकिनोइलिक एसिड (Ricinoleic acid) है। जो कि बैक्टीरिया, यीस्ट एवं वायरस की वृद्धि को रोकने में सहायक होता है।

अरण्डी के बीज के तेल का उपयोग आयुर्वेद में शरीर के अंगों जैसे आँखों के संक्रमण, त्वचा में बैक्टीरियल संक्रमण और गैर कैंसर वाले मस्सों की वृद्धि को रोकने, पैरों एवं हाथ की अँगुलियों के नाखून से सम्बंधित फंगल संक्रमण को दूर करने के लिए औषधि के तौर पर किया जाता है।

इसके अतिरिक्त इस के तेल का उपयोग कब्ज की समस्या दूर करने के लिए प्रभावी रेचक के रूप में, प्रसव के लिए ‘लेबर पेन’ शुरू करने और प्रसव के बाद माताओं के स्तन में दूध के प्रवाह को शुरू करने,कुष्ठ रोग और सिफलिस /उपदंश (एक प्रकार का यौन संचारित जीवाणु संक्रमण जो दर्द रहित फफोले के रूप में शुरू होता है) के उपचार और आँखों के जलन, पीलिया रोग, एक्ज़िमा के उपचार के लिए उपयोग किया जाता है।

 

Home Remedies of Castor Oil कैस्टर ऑयल के घरेलू नुस्खे

 

घरेलू नुस्खे से सम्बंधित रिसर्च पेपर पीडीएफ के अनुसार निम्नलिखित रोगों के उपचार में अरंडी के तेल का उपयोग घरेलू औषधि के तौर पर किया जाता है :

  • आँखों के संक्रमण कंजंक्टिवाइटिस (conjunctivitis) रोग से राहत पाने के लिए चिरचिरा जिसका वैज्ञानिक नाम अच्यरेन्थेस एस्पेरा (achyranthes aspera) की पत्तियों के काढ़े को अरंडी के तेल में मिलाकर प्रयोग किया जाता है। इस नुस्खे का प्रयोग रोगी को नहाने से एक घंटे पहले सिर और शरीर में लगाने से फायदा होता है।
  • एक्जिमा रोग को दूर करने के लिए किरमिरा/हुक्का बेल/ईशरमुल जड़ी -बूटी जिसका वानस्पतिक नाम aristolochia indica है के पत्तियों के पाउडर और धतूरे की पत्तियों के रस को उबाल कर तैयार किये गए तेल के साथ अरंडी के तेल को मिलाकर तैयार किये गए मिश्रण की लेप को एक्जिमा प्रभावित त्वचा पर लगाने से खुजली की समस्या दूर होता है।
  • अंकोल जिसका वानस्पतिक नाम अलंगियम साल्वीफोलियम है, एक झाड़ीदार औषधीय पौधा है। जिसे हिंदी में अकोला/ अंकोल नाम से जाना जाता है। इसकी कुचली हुई पत्तियों के रस में अरंडी के तेल को मिलाकर मिश्रण तैयार  किया जाता है। इस मिश्रण से भीगी हुई पट्टी को प्रभावित स्थान पर बाँधने से त्वचा की लालिमा, सूजन एवं जलन की समस्या में राहत पहुँचता है।
  • सोरायसिस एक प्रकार का त्वचा रोग है। यह सिर की त्वचा, कान और जननांग की त्वचा पर उभरे हुए सूखे लाल चकत्ते रूप में दिखाई देता है। इस रोग से राहत पाने के लिए किरमिरा की पत्तियों के साथ हल्दी पाउडर और काली मिर्च पाउडर को गोमूत्र में मिलाकर अरंडी के तेल उबालकर औषधि तैयार की जाती है। इस मिश्रण के लेप को प्रभावित स्थान पर नियमित रूप से करने से सोरायसिस की समस्या दूर होती है।
  • अरण्डी की कोमल पत्तियों के पेस्ट और नारियल के पानी के मिश्रण से तैयार औषधि को पीने से पीलिया रोग में आराम पहुँचता है।
  • आर्सेनिक और कॉपर सल्फेट के साथ अरंडी के तेल का उपयोग सिफलिस और सूजाक रोग (मूत्रमार्ग या योनि से सम्बंधित एक प्रकार का यौन रोग) के उपचार में किया जाता है।
  • एरंड के पौधे की पत्तियों को तवा पर गर्म करके माथे पर लगाने से सिर दर्द में आराम मिलता है।
  • रेड़ी /कैस्टर ऑयल को गुनगुने दूध में मिलाकर पीने से कब्ज की समस्या दूर होती है।
  • भृंगराज की पत्तियों का रस अरंडी के तेल में मिलाकर सिर के स्कैल्प पर लगाने से डैंड्रफ की समस्या दूर होती है।
  • रत्ती (वानस्पतिक नाम abrus precatorius) की पत्तियों के रस और अरंडी के तेल की बराबर मात्रा को मिलाकर उबालने से तैयार मिश्रण को बालों में नियमित रूप से लगाने से बालों के विकास में वृद्धि होती है।
  • काला तिल या राम तिल के बीज को पीसकर एरंड तेल में मिलाकर तैयार लेप का प्रयोग बवासीर और फिस्टुला को ठीक करने के लिए किया जाता है।
  • पैरालिसिस /पक्षघात रोग की औषधि के रूप में अरंडी के पौधे की पत्तियों को जलाकर तैयार किये गए भस्म में शहद मिलाकर उपयोग किया जाता है।

 

 

स्त्रोत :

https://www.researchgate.net/publication/327345451

https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5015816/

https://www.researchgate.net/publication/327345451

https://www.pphouse.org

 

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