एबनॉर्मल यूरिन का रंग शरीर में पनप रहे किसी रोग के शुरूआती लक्षण का संकेत हो सकता है। हमारे खान -पान और जीवन शैली का असर हमारे मूत्र के रंग और गन्ध को प्रभावित करता है। सामान्यतः एक स्वस्थ व्यक्ति के पेशाब का रंग हल्का पीला और पारदर्शी होता है।
ज्यादातर मामलो में पेशाब के रंग में बदलाव किसी रोग के उपचार के लिए सेवन की जा रही दवाई या खाद्य पदार्थों में मौजूद प्राकृतिक रंग का परिणाम हो सकता है। किन्तु इन कारणों से पेशाब के रंग में बदलाव का असर दो-तीन दिनों के बाद सामान्य हो जाता है।
किन्तु लगातार तीन दिनों से अधिक असमान्य यूरिन का रंग आने पर डॉक्टर से परामर्श लेना आवश्यक हो जाता है। आइये देखें पेशाब के रंग में बदलाव के कारण एवं रोगों के लक्षण के संकेत की जानकारी।
What should be the Normal Color of Urine? मूत्र का सामान्य रंग कैसा होना चाहिए?
पेशाब में लगभग 95% पानी और शेष सामग्री में यूरिया, क्लोराइड, सोडियम, पोटेशियम, क्रिएटिनिन और विभिन्न अकार्बनिक और कार्बनिक यौगिक का मिश्रण शामिल होता है। दरअसल हमारा शरीर प्रतिदिन लगभग 2 मिलियन लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण और इतनी ही संख्या में पुरानी लाल रक्त कोशिकाओं का पुनर्चक्रण करती है। जिसके परिणामस्वरूप बायोकैमिकल अपशिष्ट पदार्थ यूरोबिलिन की उपस्थिति मूत्र में पायी जाती है। जिसके कारण मूत्र का रंग पीला होता है। इसीलिए पीले रंग का यूरिन होना सामान्य माना जाता है।
Causes and signs of disease कारण एवं रोग के संकेत
पारदर्शी सफेद मूत्र
शरीर की आवश्यकता से अधिक मात्रा में पानी या पेय पदार्थों के सेवन से पेशब का रंग पारदर्शी सफेद हो सकता है। सामान्यतः शरीर को हाइड्रेटेड रखने के लिए दिन भर में लगभग 8 ग्लास पानी (पानी +तरल पेय) पीने की सलाह दी जाती है। किन्तु यह फार्मूला सबके लिए सटीक साबित नहीं होता है।अतः यूरिन का रंग पारदर्शी सफेद होने पर दिन भर में जबरदस्ती 8 ग्लास पानी सेवन करने की बजाय प्यास लगने पर पानी पीना चाहिए।
एक शोध अध्ययन के अनुसार – जलवायु , परिश्रम और शरीर के साइज के आधार पर व्यक्ति विशेष के दिन भर में कुल पानी सेवन की मात्रा में भिन्नता हो सकती है। अतः अपनी शरीर की आवश्यकता अनुसार पानी का सेवन करना चाहिए।
रोग का संकेत
यदि शरीर की आवश्यकता से अधिक पानी नहीं पीने के बावजूद मूत्र का रंग लगातार पारदर्शी सफेद आता हो, तो लिवर/यकृत से सम्बंधित रोग सिरोसिस और वायरल हेपेटाइटिस होने का संकेत हो सकता है।
हल्का पीला
ये यूरिन का नार्मल रंग है। ये स्वस्थ मूत्र होने का संकेत है।
ऑरेंज या गहरा पीला/भूरा
हल्का ऑरेंज रंग का पेशाब होना रक्त में विटामिन बी की अधिक मात्रा का उत्सर्जन होना हो सकता है। इसके अतिरिक्त सूजन कम करने वाले दवाओं का सेवन करने के कारण हो सकता है।
स्वास्थ्य समस्या :
- शरीर में पानी की कमी (डिहाइड्रेशन) की शिकायत हो सकती है।
- गहरा ऑरेंज या भूरे रंग के पेशाब और साथ ही फीके पीले रंग के मल होने पर लिवर अथवा पित्त नली में समस्या होने का संकेत हो सकता है।
- हल्के ऑरेंज रंग का मूत्र आने पर पीलिया रोग की सम्भावना हो सकती है।
रक्त मिश्रित लाल या गुलाबी
लाल या गुलाबी रंग का पेशाब होने के सामान्य कारणों में शामिल है –
- चुकंदर, जामुन, ब्लू बैरीज जैसे गहरे गुलाबी अथवा मैजेंटा / बैंगनी रंग के फलों का ज्यादा सेवन करना।
- कब्ज, ट्यूबरक्लोसिस, यूरेनरी ट्रैक्ट (मूत्र के रास्ते) में दर्द की कुछ दवाओं के सेवन से भी मूत्र का रंग गुलाबी या लाल हो सकता है।
रोग का संकेत
- पुरुषों में प्रोस्टेट ग्लैंड बढ़ने पर यूरिन का रंग लाल या गुलाबी हो सकता है।
- सिस्ट, ट्यूमर, गर्दे की पथरी की समस्या का संकेत हो सकता है।
- लम्बी दूरी की दौड़ या कठिन व्यायाम की अधिक करने के कारण भी यूरिन में रक्त का स्त्राव हो सकता है।
नीला या हरा
- डिप्रेशन और न्यूरो प्रॉब्लम के उपचार में उपयोग की जाने वाली दवा एमिट्रिप्टिलाइन, एसिड रिफ्लक्स के उपचार के लिए सिमेटिडाइन दवा का सेवन,गठिया रोग के उपचार के लिए इंडोमिथैसिन दवा का सेवन, एलर्जी के उपचार के लिए प्रोमेथाज़िन दवा का सेवन करने से मूत्र का रंग हरा- नीला रंग का आ सकता है।
- दर्द निवारक, सर्जरी और सूजन कम करने वाली कुछ दवाओं के सेवन से भी मूत्र का रंग हरा -नीला आने लगता है। हलाँकि दवा का सेवन बंद करने पर वापस सामान्य रंग का यूरिन हो जाता है।
- किडनी और मूत्राशय के परिक्षण की प्रक्रिया में उपयोग किए जाने वाले रंग के कारण मूत्र का राग नीला आ सकता है।
- ‘मेथिलीन ब्लू’ एक पानी आधारित डाई का उपयोग सर्जरी, मेथेमोग्लोबिनेमिया (दुर्लभ रक्त विकार) रोग के लिए स्कैन में उपयोग किया जाता है। जिसके कारण मूत्र का रंग ग्रीनिश ब्लू आ सकता है।
रोग का संकेत
- फेमिलियल बिनाइन ह्यपरकॉसमिआ (familial benign hypercalcemia) बीमारी के कारण मूत्र का रंग हरा अथवा नीला आ सकता है।
- शरीर में कैल्शियम की कमी होने पर भी मूत्र का रंग नीला -हरा आ सकता है।
- हरे रंग का यूरिन होना यूरेनरी ट्रैक्ट में बैक्टीरियल संक्रमण का संकेत भी हो सकता है।
भूरा या काला
- ज्यादा मात्रा में शतावरी, बाकला (फवा बीन्स) या मुसब्बर के जुड़े या रस से बानी औषधि के सेवन से मूत्र का रंग भूरा या काला आ सकता है।
- मेट्रोनिडाजोल (फ्लैगिल) एंटीबायोटिक दवा का उपयोग सेक्स संचारित संक्रमण, आंत और त्वचा रोग के संक्रमण के उपचार के लिए किया जाता है। इस दवा के सेवन से यूरिन का रंग भूरा आ सकता है।
- कब्ज की शिकायत, पार्किंसन रोग और एनिमिआ रोग (आयरन टेबलेट /सिरप) के उपचार के लिए उपयोग की जाने वाली दवाओं के सेवन से मूत्र का रंग गहरा भूरा या काला आ सकता है।
बिमारी की सम्भावना
- लीवर और गुर्दे से सम्बंधित विकार , यूरिनरी ट्रैक्ट संक्रमण हो सकता है।
- शरीर के अंदर रक्तस्राव की समस्या हो सकती है।
- पोर्फिरीया रोग (त्वचा या तंत्रिका तंत्र से सम्बंधित समस्या) होने की सम्भावना हो सकती है।
दूधिया या धुंध / क्लॉउडी
- क्लॉउडी यूरिन होना कैल्शियम, फॉस्फेट की अधिकता या प्रोटीन की अधिकता होने का संकेत हो सकता है।
- यूरिनरी ट्रैक्ट संक्रमण की सम्भावना भी हो सकती है।
- गर्भावस्था में दूधिया रंग के साथ झागदार मूत्र आना क्रोहन रोग या डायवर्टीकुलिटिस सहित गंभीर स्वास्थ्य समस्या का संकेत हो सकता है। इस दशा में तुरंत डॉक्टर से सलाह करना चाहिए।
When to Consult a Doctor डॉक्टर से कब परामर्श करें
- यूरिन का रंग लाल, नीला, हरा या डार्क ब्राउन अधिकतम 3 दिन तक बना रहे।
- क्लॉउडी और झागदार यूरिन खासतौर से गर्भावस्था के दौरान आ रहा हो।
स्त्रोत :
Differentials of abnormal urine color
Factors Affecting Change of the Urine Color
meaning behind the urine color
Medications That Can Change the Color of Your Urine
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