Mahamudra Sadhana : Best Exercise for Body and Soul महामुद्रा साधना: शरीर और आत्मा के लिए सर्वोत्तम व्यायाम

Mahamudra Sadhana : Best Exercise for Body and Soul महामुद्रा साधना: शरीर और आत्मा के लिए सर्वोत्तम व्यायाम
1 0
Read Time:7 Minute, 42 Second

दोस्तों आज सात्विक जीवन का साक्षात्कार कराती डायरी के 79 वें भाग से आपका परिचय करवाने जा रही हूँ। पिछले भाग में आप मेरी डायरी के पन्नों में संजोये लेख पीलिया के लक्षण, कारण और आयुर्वेदिक उपचार से परिचित होने के सफर में शामिल हुए थे। आप सभी के स्नेह और उत्साहवर्धन के लिए मैं ह्रदय से आभारी हूँ। इस भाग में “महामुद्रा साधना: शरीर और आत्मा के लिए सर्वोत्तम व्यायाम ” की जानकारी से आपका परिचय करवा रहीं हूँ।

 

हठयोग साधना में योग सिद्धि के सात साधनों में मुद्रा का तीसरा स्थान है। मुद्रा से अभिप्राय शरीर के किसी अंग विशेष को किसी एक स्थिति में रखना है। आध्यात्मिक साधना में प्राणायाम के बाद मुद्रा का विशेष महत्त्व है। मुद्रा से चित्त की एकाग्रता एवं कुंडलिनी ऊर्जा के जागरण में मदद मिलती है। मुद्राओं के अभ्यास से इन्द्रियों को अंतर्मुखी करके प्रत्याहार ( शरीर की इन्द्रियों को उनके विषय से विमुख करना) की स्थिति निर्मित करने में मदद मिलती है। परिणामस्वरूप आत्मिक बल मिलने के साथ ही शरीर भी स्वस्थ रहता है।

हठयोग – प्रदीपिका में मुद्राओं का विवरण इस प्रकार किया गया है –

महामुद्रा महाबंधो महावेधश्च खेचरी।

उड्डियानं मूलबन्धश्च बंधो जालंधराभिधः।।

करणी विपरीताख्या बज्रोली शक्तिचालनम्।

इदं हि मुद्रादशकं जरामरण नाशकम्।।

अर्थ –

महामुद्रा, महाबंध, महावेध, खेचरी, उड्डियान, मूलबन्ध, जालंधरबंध, विपरीतकरणी, ब्रजोली,शक्तिचालनी ये दस मुद्राएं जरा – मरण को नष्ट करने वाली बतायी गयी हैं। इन दस मुद्राओं में से एक महामुद्रा अभ्यास करने की विधि एवं प्राप्त होने वाले लाभ की जानकारी आपके साथ शेयर कर रही हूँ।

 

Mahamudra Practice  महामुद्रा अभ्यास की विधि 

  • योगा मैट पर दोनों पैर सामने की तरफ फैलाकर बैठें।
  • फिर बाएं पैर की एड़ी को पायु और उपस्थ (गुदा और जननेन्द्रिय) के बीच रखें सिवनी नाड़ी के निचे रखें।
  • इसके बाद सामने झुककर दाहिने पैर के अँगूठे को पकड़ते हुए लम्बी श्वांस लेकर जालंधर बंध एवं मूलबन्ध लगाएं और ध्यान भूमध्य (आज्ञा चक्र) पर टिकाएं।
  • इस प्रकार अन्तः कुम्भक की स्थिति में बने रहें। इसके बाद पूर्व अवस्था में आकर धीरे -धीरे श्वांस बाहर (रेचक) निकालें।
  • उपर्युक्त प्रक्रिया को दोहराते हुए पैर की स्थिति बदल-बदल कर अभ्यास करें।
  • इस प्रकार महामुद्रा का अभ्यास कम से कम 30 मिनट तक करने से आध्यात्मिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है।

 

  Mahamudra Practising Time महामुद्रा करने का समय 

  • शुरुआत में अपनी सामर्थ्य अनुसार दोनों पैरों की स्थिति बदलते हुए तीन -तीन बार महामुद्रा का अभ्यास करें। इसके बाद धीरे -धीरे समय बढ़ाते रहें।
  • इस मुद्रा को करने का समय अपने सामर्थ्य अनुसार जितना चाहें बढ़ा सकते हैं। इसको करने से किसी भी प्रकार की शारीरिक या मानसिक हानि नहीं पहुँचती है।
  • इस मुद्रा का अभ्यास सुबह खाली पेट करना चाहिए।

 

Spiritual Benefits आध्यात्मिक लाभ

  • महामुद्रा के निरंतर अभ्यास से प्राण ऊर्जा ऊर्ध्वगामी (ऊपर की और बढ़ना/उठना) होने लगती है। फलस्वरूप साधक के मुख पर चमक आ जाती है।
  • लम्बे समय तक निरंतर इस मुद्रा के अभ्यास से सुषुम्ना नाड़ी में प्राण का प्रवेश होने से कुण्डिलिनी शक्ति जागरण की प्रक्रिया शुरू हो जाती है।

 

Health Benefits  स्वास्थ्य लाभ 

महामुद्रा के विषय में हठयोग – प्रदीपिका में महायोगी बाबा गोरखनाथ द्वारा लिखित श्लोक के अनुसार –

महाक्लेशादयो दोषाः क्षीयन्ते मरणादयः।

महामुद्रां चतेनैव वदन्ति विबुद्धित्तमा।। 14 ।।

क्षयकुष्ट गुदावर्त गुल्माजीर्ण पुराग्माः।

तस्य दोषा क्षयं यान्ति महामुद्रां तु योअभ्यसेत।। 17।।

अर्थात

“महामुद्रा के करने से क्षय, कुष्ट, गुदा के रोग, अजीर्ण, गुल्म आदि रोग दूर होते हैं। यह सिद्धि देने वाली है।”

  • गठिया, वात, साइटिका, बवासीर की बीमारी नहीं होती है। यदि इनमें कोई बीमारी पहले से हो, तो दर्द में राहत मिलती है।
  • शरीर में रक्त संचार सुचारु रूप से होने लगता है। जिससे शरीर कांतिवान हो जाता है।
  • शरीर की अनावश्यक चर्बी कम करने में सहायक होता है। शरीर में चुस्ती -फुर्ती बनी रहती है।
  • फेफड़ों को शक्ति मिलती है। प्राणायाम करने से क्षय रोग /टीबी, अस्थमा, कफ आदि फेफड़ों से सम्बंधित रोग दूर रहते हैं।

 

Precautions  सावधानियाँ 

महायोगी श्री लाहिड़ी महाशय के अनुसार –

  • जिस समय आकाश में बिजली चमकती हो, बादल गरजते हों, उस समय प्राणायाम या उससे सम्बंधित योग क्रियाएं नहीं करनी चाहिए।
  • स्त्रियों को मासिक धर्म के दौरान चार दिनों तक प्राणायाम या उससे सम्बंधित क्रियाएं नहीं करनी चाहिए।
  • ह्रदय रोगी, हाई ब्लडप्रेशर, स्लिप डिस्क एवं कमर दर्द की समस्या वाले लोगों को महामुद्रा नहीं करनी चाहिए
  • महामुद्रा खाली पेट करना चाहिए एवं करने के कम से कम आधे घंटे बाद भोजन करना चाहिए।

 

स्त्रोत :

नित्यानंदापीडिया 

क्रिया योग 

 

अन्य लेख पढ़िए :

हस्त मुद्रा योग: शरीर को स्वस्थ रखने का एक प्रभावी तरीका

 

योग निद्रा : शरीर, मन और भावनाओं को शांत करने का एक शक्तिशाली तरीका

 

अष्टांग योग क्या है

 

 




 

 

महामुद्रा, mahamudra sadhna, pranayam, hathyog, हठयोग-प्रदीपिका ,mudra, mahamudra karne ki vidhi, mahamudra ke swaasthya labh, health benefits of mahamudra, spiritiual benefits of mahamudra, mahamudra ke adhyatmik labh, mahamudra sadhana mein savdhaniyan, mahamudra practising time, spirituality, yoga

 

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %
Jaundice Symptoms,Causes and Ayurvedic Treatment पीलिया के लक्षण, कारण और आयुर्वेदिक उपचार Previous post Jaundice Symptoms,Causes and Ayurvedic Treatment पीलिया के लक्षण, कारण और आयुर्वेदिक उपचार
Numbness in Hands Next post Numbness in Hands : Causes,Symptoms and Home Remedies हाथ सुन्न होना : कारण, लक्षण एवं घरेलू उपचार