Hasta Mudra Yoga: An Effective way of Healing Body हस्त मुद्रा योग: शरीर को स्वस्थ रखने का एक प्रभावी तरीका

Hasta Mudra Yoga: An Effective way of Healing Body हस्त मुद्रा योग: शरीर को स्वस्थ रखने का एक प्रभावी तरीका
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हस्त मुद्रा से अभिप्राय हाथ की उँगलियों से बनाये गए चिन्ह से है। हमारे देश के ऋषियों द्वारा विश्राम, ध्यान, आशीर्वाद आदि देने /करने की अवस्था में हस्त मुद्राओं का उपयोग हज़ारों वर्षों से किया जाता रहा है। महात्मा गौतम, महावीर एवं देवी -देवताओं की मूर्तियों को विभिन्न हस्त मुद्राओं में चित्रित किया जाता है। हस्त मुद्रा योग ग्रन्थ के रचियता महर्षि घेरण्ड है।

 

दरअसल हस्त मुद्रा का सम्बन्ध शरीर के पाँच तत्वों आकाश, जल ,वायु ,पृथ्वी और अग्नि से है योगी, ऋषि- मुनियों के शरीर पर नियंत्रण पाने एवं स्वस्थ शरीर को बनाये रखने का सम्बन्ध बहुत हद तक हस्त मुद्रा योग से भी है। एक साधारण मनुष्य भी हस्त मुद्रा  योगासन के अभ्यास से शारीरिक रोगों का उपचार कर सकता है। तो आइये देखें हस्त मुद्रा योग विधि से रोगों का  उपचार करने की विधि की जानकारी।

 

 

What is Hasta Mudra Yoga ?  हस्त मुद्रा योग क्या है ?

 

 

 

 

 

हस्त मुद्रा योग एक यौगिक चिकित्सा पद्धति है। इस पद्धति में शरीर और मन के स्वास्थ्य का आधार शरीर के पाँच तत्वों यथा जल, वायु ,आकाश, पृथ्वी और अग्नि को माना जाता है। यौगिक चिकित्सा पद्धति में इन पाँचों तत्वों के संतुलन बनाये रखने के माध्यम से शरीर और मन के स्वास्थ्य का उपचार किया जाता है। इसके अतिरिक्त हाथ की पाँचों उँगलियों के पोरों/शीर्ष भाग में शरीर के कई अंगों की नसों का अंतिम छोर विद्यमान होता है।

 

 

अतः विभिन्न हस्त मुद्राओ के द्वारा नसों पर दबाव बनाने से ऊर्जा को वापस मस्तिष्क में पहुँचाने का प्रयास किया जाता है। जिससे अंग विशेष की नसों में बाधित ऊर्जा प्रवाह सक्रीय हो जाती है। परिणामस्वरूप शरीर के चक्रों यानी हार्मोनल ग्लैंड का ब्लॉकेज खुल जाता है। जिससे शरीर में हार्मोन्स संतुलित करने में सहायता मिलतीं है। गौरतलब है कि शरीर में किसी रोग के संक्रमण होने का कारण हार्मोनल ग्लैंड से निकलने वाले हार्मोन्स का अधिक सक्रीय या निष्क्रिय होना एवं रोग प्रतिरक्षा प्रणाली का कमजोर होना है।

 

Method and Health Benefits of Hasta Mudra  हस्त मुद्रा की विधि एवं स्वास्थ्य लाभ 

 

Gyan Mudra ज्ञान मुद्रा 

 

 

 

ज्ञान मुद्रा 

अंगूठे और तर्जनी उंगली के शीर्ष भाग को मिला दें। शेष तीन उंगलियों को सीधा रखें।

तर्जनी उंगली वायु तत्व का प्रतिनिधित्व करती है। इस प्रकार अंगूठे से तर्जनी ऊँगली के शीर्ष भाग पर दबाव डालने से मस्तिष्क में वायु तत्व उत्तेजित होती है। जिससे तंत्रिका तंत्र एवं पिट्यूटरी ग्रंथि /ग्लैंड में ऊर्जा का प्रवाह सक्रीय होता है।

 

ज्ञान मुद्रा के लाभ

  • ध्यान में एकाग्रता बढ़ती है। अनिद्रा, आलस्य एवं सुस्ती दूर होती है।
  • मस्तिष्क की तंत्रिका मजबूत बनती हैं। यह मुद्रा सिर दर्द दूर करने में असरदार है।
  • ज्ञान मुद्रा में ध्यान करने से मूलाधार चक्र सक्रीय करने में सहायता मिलती है। जिससे मन शाँत होता है।

 

 

Vayu Mudra वायु मुद्रा 

 

 

 

 

तर्जनी उंगली के शीर्ष भाग को अंगूठे के निचले भाग/जड़ से लगाए। फिर अंगूठे से धीरे -धीरे दबाएं। इस मुद्रा के अभ्यास से अन्तःस्त्रावी ग्रंथियों से निकलने वाले हार्मोन्स को संतुलित करने में मदद मिलती है।

 

वायु मुद्रा के लाभ

  • वात दोष दूर होती है। अतः वात से सम्बंधित रोगों से राहत पाने के लिए वायु मुद्रा का अभ्यास करना चाहिए।
  • पेट में गैस की शिकायत होने पर वायु मुद्रा का अभ्यास दिन भर में कम से कम 20 मिनट मिनट तक किया जा सकता है।
  • साइटिका, घुटने के दर्द, गठिया रोग से राहत पाने में वायु मुद्रा का अभ्यास कारगर साबित होता है।
  • वायु मुद्रा के नियमित अभयस से रीढ़ की हड्डी के दर्द, गर्दन दर्द तथा हड्डी में वायु प्रवेश करने के कारण चटकने की आवाज की समस्या दूर होती है।

 

 

Aakash Mudra  आकाश मुद्रा 

 

 

 

 

 

मध्यमा उंगली के शीर्ष भाग को अंगूठे के शीर्ष भाग से मिलाएं। शेष तीनों उंगलियों को सीधा रखें।

 

आकाश मुद्रा के लाभ

  • कान से कम सुनाई देने की समस्या दूर करने के लिए आकाश मुद्रा का अभ्यास करना चाहिए।
  • ह्रदय से सम्बंधित रोग एवं हड्डियों को मजबूत बनाने, बहरेपन की समस्या में आकाश मुद्रा का अभ्यास लाभकारी सिद्ध होता है।
  • इस मुद्रा का अभ्यास बैठ कर करना चाहिए। भोजन खाते – पीते या चलते हुए आकाश मुद्रा का अभ्यास नहीं करना चाहिए।

 

 

Prithvi Mudra  पृथ्वी मुद्रा 

 

 

 

 

अनामिका ऊँगली के शीर्ष भाग से अंगूठे के शीर्ष भाग को मिलाएं। शेष तीन उंगलियों को सीधा रखें।

पृथ्वी मुद्रा के लाभ

  • शरीर स्फूर्तिवान , कांतिमान /चमक एवं  शरीर की दुर्बलता दूर करने में कारगर है।
  • सत्व गुण के विकास एवं मानसिक शांति में वृद्धि होता है।
  • पृथ्वी मुद्रा के अभ्यास से पाचन तंत्र मजबूत होता है।
  • शरीर में विटामिन की कमी को पूरा करने में पृथ्वी का अभ्यास कारगर साबित होता है।

 

 

Surya Mudra सूर्य मुद्रा 

 

 

 

 

अनामिका उंगली के शीर्ष भाग को अंगूठे के निचले/जड़ भाग से लगाकर अंगूठे से से दबाएं।

सूर्य मुद्रा के लाभ

  • शरीर का बढ़ा हुआ वजन कम करने में असरदार है। अतः दुबले व्यक्तियों को इस मुद्रा का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
  • रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रित रहता है। जिसके कारण ह्रदय रोग होने की संभावना कम रहती है।
  • मोटापा घटाने और मानसिक शांति बढ़ाने में कारगर है। जिसके परिणामस्वरूप ब्लडप्रेशर और मधुमेह रोग नहीं होता है।

 

 

Varun Mudra वरुण मुद्रा 

 

 

 

कनिष्ठा/छोटी उंगली के शीर्ष भाग को अंगूठे के शीर्ष भाग से मिलकर रखें। शेष तीन उंगलियां सीधी रखें।

 

वरुण मुद्रा के लाभ

  • शरीर में जल तत्व से सम्बंधित रोगों को दूर करने में कारगर है।
  • त्वचा के रूखेपन की समस्या, खून से सम्बंधित रोग एवं त्वचा से सम्बंधित रोग दाद, खुजली, मुँहासे आदि समस्या से राहत पाने के लिए वरुण मुद्रा का अभ्यास लाभदायक होता है।
  • कफ प्रकृति वाले व्यक्तियों को वरुण मुद्रा का अभ्यास अधिक नहीं करना चाहिए।

 

 

Shunya Mudra  शून्य मुद्रा 

 

 

 

 

मध्यमा उंगली के शीर्ष भाग को अंगूठे के निचले भाग/जड़ से लगाने के बाद अंगूठे से दबाएं रखें शेष उंगलियों को सीधे रखें।

 

शून्य मुद्रा के लाभ

  • थयरॉइड हार्मोन को संतुलित रखने में सहायक होता है।
  • दाँतों के मसूड़ों से सम्बंधित समस्या दूर होती है।
  • कान से कम सुनाई देने की समस्या में सुधार होता है।

 

 

Apan Mudra अपान मुद्रा 

 

 

 

 

मध्यमा एवं अनामिका उंगलियों के शीर्ष भाग को अंगूठे के शीर्ष भाग से मिलाएं। शेष दो उंगलियों को सीधे रखें।

 

अपान मुद्रा के लाभ

  • नाड़ी की शुद्धि करता है।
  • कब्ज की समस्या नहीं होती है। जिससे बवासीर के रोगियों के लिए अपन मुद्रा का अभ्यास फायदेमंद है।
  • किडनी से समबन्धित रोग, पेट के गैस की समस्या, दाँतों से सम्बंधित समस्या से राहत दिलाता है।
  • पाचन शक्ति में सुधार करता है। जिससे मधुमेह रोगियों को कब्ज की शिकायत और पेट में गैस की समस्या से नहीं होता है।

 

 

Apan vayu/Hriday Rog Mudra अपानवायु /ह्रदय रोग मुद्रा 

 

 

 

 

तर्जनी उंगली के शीर्ष भाग को अंगूठे के निचले भाग से लगाए और अंगूठे के शीर्ष भाग से मध्यमा एवं अनामिका उंगलियों के शीर्ष भाग को मिला कर रखें। कनिष्ठा उंगली को सीधे रखें।

 

ह्रदय रोग मुद्रा के लाभ

  • दिल कमजोर होने यानी किसी मामूली सी घटना अथवा तेज आवाज से दिल के तेज -यतेज धड़कने की समस्या पर नियंत्रण पाने के लिए इस मुद्रा का अभ्यास करना चाहिए।
  • सीढ़ी चढ़ने पर हफान की समस्या दूर करने के लिए सीढ़ी चढ़ने से पाँच मिनट पहले इस मुद्रा को करने के बाद चढ़ना शुरू करने से लाभ होता है।
  • दिल का दौरा पड़ने पर रोगी को ह्रदय रोग मुद्रा बनवाने से आराम मिलता है।
  • अस्थमा के अटैक से राहत पाने के लिए इस मुद्रा का अभ्यास करना फायदेमंद होता है।

 

 

Pushpanjali Mudra पुष्पांजलि मुद्रा 

 

 

 

 

दोनों खुली हुयी हाथ की हथेलियों को एक – दूसरे से अगल -बगल मिलकर रखें।

पुष्पांजलि मुद्रा के लाभ

  • इस मुद्रा के अभ्यास से अनिद्रा की समस्या दूर होती है।
  • मन में उत्साह और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।

 

 

Shaktipan Mudra शक्तिपान मुद्रा 

 

 

 

दोनों हाथों की तर्जनी उंगली और दोनों हाथों के अंगूठे को मिलाकर पान की आकृति बनाएं। शेष उँगलियों को हथेली से मिलाकर रखें।

 

शक्तिपान मुद्रा के लाभ

इस मुद्रा के अभ्यास से दिमाग तेज होता है। नियमित अभ्यास से मानसिक शक्तियों का विकास होता है।

 

 

Pran Mudra  प्राण मुद्रा 

 

 

 

कनिष्ठा एवं अनामिका उंगलयों के शीर्ष भाग को अंगूठे के शीर्ष भाग से मिलायें। शेष दो उंगलियों को सीधे रखें।

 

प्राण मुद्रा के लाभ

  • आँखों की रोशनी बढ़ाने में कारगर है।
  • अशांत मन को शांत करने एवं शारीरिक थकान को दूर करने में सहायक होता है।
  • ज्यादा भूख या प्यास लगने की समस्या को नियंत्रित करती है।
  • शरीर की रोग प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत करने और विटामिन की कमी को पूरा करने में सहायक होती है।

 

 

Sahaj Shankh Mudra  सहज शंख मुद्रा 

 

 

 

 

दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में फँसाकर हथेलियों को दबाएं एवं दोनों हाथों के अंगूठे को मिलाकर तर्जनी उंगलियों को आहिस्ते से दबाएं।

 

सहज शंख मुद्रा के लाभ

तुतलाने या हकलाने की समस्या दूर करने के लिए इस मुद्रा के अभ्यास को तीन बार करें। प्रत्येक बार मुद्रा को कम से कम 15 मिनट तक बनाये रखने के बाद दोबारा दुहरायें।

 

 

Ling Mudra  लिंग मुद्रा

 

 

 

लिंग मुद्रा की विधि

दोनों हाथों की उंगलियों को फँसा कर मुट्ठी बाँधे तथा बाँये हाथ के अंगूठे को सीधा रखें।

 

लिंग मुद्रा के लाभ

  • शरीर में गर्मी बढ़ाती है परिणामस्वरूप सर्दी -जुखाम, खाँसी एवं कफ की समस्या दूर होती है।
  • लो ब्लडप्रेशर की समस्या दूर होती है।

सावधानी

  • इस मुद्रा का अभ्यास करने वालों को फल का रस, घी, दूध, फल, पानी का अधिक सेवन करना चाहिए।
  • इस मुद्रा का अभ्यास ज्यादा देर तक नहीं करना चाहिए।

 

 

Yoni Mudra योनि मुद्रा 

 

 

 

योनि मुद्रा की विधि

  • सबसे पहले दोनों हाथों की मध्यमा उंगलियों को अनामिका उंगली को फँसा कर एक दूसरे के विपरीत रखें।
  • इसके बाद दोनों हथेलियों को आपस में मिलकर रखें।
  • फिर दोनों अंगूठे के नाखून को कनिष्ठा उंगलियों के निचले भाग से मिलाएं।

 

योनि मुद्रा के लाभ

  • इस मुद्रा के अभ्यास से फेफड़े, ह्रदय और मस्तिष्क निरोगी बना रहता है।
  • इसके नियमित अभ्यास से सकारात्मक सोच का विकास होता है।

 

 

अस्वीकरण 

हस्त मुद्रा चिकित्सा पद्धति का उपयोग किसी भी बीमारी के औषधि के साथ करने की सलाह दी जाती है। निरोग व्यक्तियों को पूर्णतया स्वस्थ रहने के लिए इस चिकित्सा पद्धति का नियमित अभ्यास करने पर ही रोग से बचाव होना सम्भव हो सकता है। हस्त मुद्रा का प्रयोग योगियों एवं ध्यान साधना में उन्नति के लिए उपयोग करना लाभदायक होता है।

 

स्त्रोत :

https://eoivienna.gov.in/?pdf8901?000

 

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