7 Stress Relieving Herbs ये 7 जड़ी -बूटियाँ मानसिक तनाव में राहत पहुँचाती है

7 Stress Relieving Herbs ये 7 जड़ी -बूटियाँ मानसिक तनाव में राहत पहुँचाती है
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दोस्तों आज सात्विक जीवन का साक्षात्कार कराती डायरी के 61 वें भाग से आपका परिचय करवाने जा रही हूँ। पिछले भाग में आप मेरी डायरी के पन्नों में संजोये लेख हस्त मुद्रा योग: शरीर को स्वस्थ रखने का एक प्रभावी तरीका की जानकारी से परिचित होने के सफर में शामिल हुए थे। आप सभी के स्नेह और उत्साहवर्धन के लिए मैं ह्रदय से आभारी हूँ। इस भाग में “ये 7 जड़ी -बूटियाँ मानसिक तनाव में राहत पहुँचाती है ” से सम्बंधित जानकारी से आपका परिचय करवा रहीं हूँ।

 

आज से तीन दशक पहले तक मानसिक तनाव की बीमारी केवल बुजुर्गों के लिए जानी जाती थी। किन्तु आज के डिजिटल युग में किशोरावस्था की दहलीज पर कदम रखने वाले बच्चों के मुँह से भी “टेंशन में हूँ” आसानी से सुना जा सकता है। किशोरों/टीनएजर्स एवं युवाओं में आज मानसिक तनाव का होना आम बात हो गयी है। जो कि देश के भविष्य के लिए एक बहुत बड़ी चिंता की बात है।

मानसिक तनाव दूर करने के लिए अंग्रेजी दवाओं के सेवन का भी सहारा लेना पड़ता है। जिसके साइड इफेक्ट्स भी होते हैं, जिससे रोग के शिकंजे में जकड़े चले जाने की सम्भावना अधिक होती है।

वहीं एक कुशल वैद्य की सलाह से जड़ी -बूटियों के सेवन से शरीर स्वास्थ्य रहता है। अतः चिंता, अवसाद से उभरने के लिए जड़ी – बूटियों के उपयोग की जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से तनाव दूर करने में असरदार जड़ी -बूटियों की जानकारी आपके साथ शेयर कर रही हूँ।

 

Herbs for Anxiety, Depression and Insomnia चिंता,अवसाद और अनिद्रा के लिए जड़ी बूटी

 

Jatamansi जटामासी

आयुर्वेदिक चिकित्सकों के अनुसार – जटामासी की जड़ का उपयोग अनिद्रा, थकान, चिंता एवं अवसाद के अतिरिक्त मिर्गी, हिस्टीरिया, बेहोशी और मानसिक कमजोरी के उपचार के लिए किया जाता है। इसके जड़ के पाऊडर में हींग और लौह भस्म मिलकर सेवन करने से अवसाद की समस्या दूर हो जाती है।

रिसर्चगेट जर्नल की शोध रिपोर्ट के अनुसार – जटामासी के जड़ के अर्क का उपयोग चिंता, अवसाद और अनिद्रा की समस्या के उपचार के लिए किया जा सकता है।

 

Valerian वेलेरियन

वेलेरियन जड़ी -बूटी एशिया और यूरोप के कुछ भागों में इसकी खेती की जाती है। इसका वानस्पतिक नाम वेलेरियाना ऑफिसिनैलिस है। वेलेरियन के जड़ का उपयोग सदियों से चिंता, डिप्रेशन, माइग्रेन एवं अनिद्रा की समस्या दूर करने के लिए किया जाता रहा है।

 

वेलेरियन जड़ी -बूटी के जड़ का उपयोग हर्बल चाय और टेबलेट के रूप में किया जाता है। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ हेल्थ के शोध रिपोर्ट के अनुसार – वेलेरियन जड़ी – बूटी का उपयोग लगातार एक महीने से अधिक करना नुकसानदेय साबित हो सकता है। ” अतः बिना डॉक्टर से सलाह लिए इस जड़ी -बूटी से बानी औषधि का सेवन नहीं करना चाहिए।

 

सावधानी

  • गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं एवं बच्चों (0 – 10 वर्ष ) के लिए इस जड़ी -बूटी के सेवन से सम्बंधित शोध का आभाव है।
  • इस जड़ी -बूटी से बनी औषधि का उपयोग दर्द निवारक दवा, बुखार, सर्दी -जुखाम की दवा या कफ सिरप के साथ करना नुकसानदेय हो सकता है।

 

Ashwagandha अश्वगंधा

आयुर्वेदिक चिकित्सकों के अनुसार अश्वगंधा की जड़ का पाउडर का सेवन करने से चिंता की समस्या दूर होती है।

वर्ष 2019 में नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ हेल्थ द्वारा अश्वगंधा जड़ी-बूटी के हार्मोनल संतुलन की विशेषता की प्रमाणिकता पर किये गए शोध रिपोर्ट में पाया गया है कि अश्वगंधा की जड़ का चूर्ण स्ट्रेस बढ़ने के लिए  जिम्मेदार कोर्टिसोल  हार्मोन्स को संतुलित करने के माधयम से अवसाद के उपचार में सहायक होती है।

 

Brahmi ब्राह्मी

आयुर्वेदाचार्य के अनुसार  चिंता,अवसाद दूर करने एवं दिमाग शाँत करने के उपचार के लिए ब्राह्मी एक जानी -मानी जड़ी -बूटी है। इसके पत्तियों का काढ़ा/चाय बनाकर सेवन करने से  दिमाग शाँत होता है। इसके साथ ही कार्टिसोल हार्मोन का बढ़ा हुआ स्तर संतुलित होता है। जिससे अवसाद को कम करने में मदद मिलती है।

 

रिसर्चगेट जर्नल में छपी रिपोर्ट के अनुसार –  ब्राह्मी  जड़ी – बूटी कार्टिसोल हार्मोन के स्तर को कम करके चिंता और अवसाद को दूर करने में भी असरदार है। स्ट्रेस कम होने से ब्लूडप्रेशर भी नियंत्रित रहता है जिसके परिणामस्वरूप  अनिद्रा की समस्या भी दूर होती है।

 

Lavender लैवेंडर

लैवेंडर पुदीना परिवार से सम्बंधित एक फूल वाला पौधा है। इसकी पत्तियों का काढ़ा स्ट्रेस दूर करने, माँसपेशियों की थकान दूर करने के लिए मसाज ऑयल और मन को ताजगी प्रदान करने के लिए अरोमाथेरपी के लिए उपयोग किया जाता है।

नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ हेल्थ के शोध जर्नल “स्ट्रेस डिसऑर्डर में लैवेंडर के चिकित्सा उपचार” के रिपोर्ट के अनुसार लैवेंडर में पाए जाने वाला टरपेनेस रासायनिक यौगिक मस्तिष्क में संवेदी तंत्रिकाओं द्वारा रासायनिक क्रिया की सक्रियता को शाँत करने का कार्य करती है। जिससे दिमाग में बहुत सारे विचारों से उतपन्न होने वाली उलझन को कम करने में मदद मिलती है।

 

Vacha वाचा

आयुर्वेदिक चिकित्सक के अनुसार वाचा जड़ी -बूटी के जड़ का उपयोग अनेक प्रकार की मानसिक विकारों को दूर करने के लिए किया जाता है।

वाचा के जड़ का पाउडर रात के भोजन से एक घंटे पहले या बाद में पानी के साथ सेवन करने से मानसिक तनाव एवं अनिद्रा की समस्या से राहत मिलती है। इसके जड़ के पाउडर को पानी में मिलाकर बनाये गए लेप को माथे पर लगाने से भी मानसिक तनाव में आराम मिलता है।

मानसिक विकार दूर करने में जड़ी -बूटियों के उपयोग पर किये गए शोध अध्ययन में पाया गया कि वाचा में पाए जाने वाले रसायनिक यौगिक दिमाग को शाँत करने में कारगर हैं।

 

Holy Basil Leaves तुलसी

वैज्ञानिक शोध में पाया गया है कि तुलसी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट अनेक प्रकार के मानसिक विकार को दूर करने में कारगर होते हैं।

 

जर्नल ऑफ आयुर्वेद एंड इंटीग्रेटिव मेडिसिन की रिपोर्ट केअनुसार- तुलसी की पत्तियों में एंटीडिप्रेसेंट और चिंता दूर करने के गुण होते हैं, जो डायजेपाम और एंटीडिप्रेसेंट दवाओं के बराबर होते हैं।

एक अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार – डिप्रेशन और स्ट्रेस की समस्या से पीड़ित लोगों द्वारा प्रतिदिन 500 मिलीग्राम तुलसी का अर्क सेवन करने पर चिंता और अवसाद के स्तर में कमी दर्ज की गयी।

 

 

अस्वीकरण :

जड़ी -बूटियों में प्राकृतिक रूप से रासायनिक यौगिक मौजूद होता है। जिसके कारण आवश्यकता से अधिक मात्रा में जड़ी -बूटियों का सेवन करना शरीर के स्वास्थ्य लिए नुकसानदायक हो सकता है।

इसके अतिरिक्त किसी रोग के उपचार के लिए एलोपैथिक मेडिसिन का उपयोग करने पर साथ में जड़ी -बूटियों का सेवन करना भी गंभीर स्वास्थ्य समस्या उत्पन्न करने का कारण बन सकता है। अतः किसी भी रोग के उपचार के लिए जड़ी -बूटियों का सेवन बिना डॉक्टर के सलाह के नहीं करना चाहिए।

एक स्वस्थ्य व्यक्ति, बीमार व्यक्ति, गर्भवती अथवा स्तनपान कराने वाली माताओं और बच्चों को किसी भी जड़ी -बूटी का सेवन करने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है।

 

 

लेख की जानकारी का स्त्रोत :

 

नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ हेल्थ के शोध जर्नल

 

जर्नल ऑफ आयुर्वेद एंड इंटीग्रेटिव मेडिसिन

 

रिसर्चगेट जर्नल में छपी रिपोर्ट

 

रिसर्चगेट जर्नल की शोध रिपोर्ट

 

 

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