8 Proven Health Benefits of Ashwagandha Herb अश्वगंधा जड़ी बूटी के 8 प्रमाणित स्वास्थ्य लाभ

8 Proven Health Benefits of Ashwagandha Herb अश्वगंधा जड़ी बूटी के 8 प्रमाणित स्वास्थ्य लाभ
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दोस्तों आज सात्विक जीवन का साक्षात्कार कराती डायरी के 57 वें भाग से आपका परिचय करवाने जा रही हूँ। पिछले भाग में आप मेरी डायरी के पन्नों में संजोये लेख ध्यान से मस्तिष्क की शक्ति बढ़ने का प्रमाण की जानकारी से परिचित होने के सफर में शामिल हुए थे। आप सभी के स्नेह और उत्साहवर्धन के लिए मैं ह्रदय से आभारी हूँ।इस भाग में “अश्वगंधा जड़ी बूटी के 11 शोध प्रमाणित स्वास्थ्य लाभ” से सम्बंधित जानकारी से आपका परिचय करवा रहीं हूँ।

 

अश्वगंधा एक औषधीय जड़ी -बूटी है इसका वानस्पतिक नाम विथानिया सोमनिफेरा (Withania Somnifera) है। इसे “इंडियन विंटर चेरी” या “इंडियन जिनसेंग” के नाम से भी जाना जाता है।

भारत में राजस्थान,पंजाब, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश तथा उत्तर प्रदेश में अश्वगधा की खेती की जाती है। दुनिया भर में इस औषधीय पौधे की 3000 प्रजातियाँ पायी जाती हैं जिनमें से भारत में केवल दो प्रजाति पायी जाती है।

अश्वगंधा बारहमासी पौधा झाड़ीनुमा होता है। इसकी पत्तियाँ रोयेंदार एवं अंडाकार और फूल छोटे आकर के हरे एवं पीले रंग के पाँच के समूह में निकलते हैं। इसका फल मटर के दाने आकार का दूध युक्त होता है, जो कि पकने पर लाल रंग का हो जाता है। इसे असगंध एवं बराहकर्णी के नाम से भी जाना जाता है। इसके ताजे जड़ से अश्व जैसी गंध आने के कारण इसे अश्वगंधा जड़ी -बूटी के नाम से जाना जाता है।

आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के प्राचीन ग्रन्थ सुश्रुत संहिता एवं चरक संहिता में अश्वगंधा जड़ी -बूटी के औषधीय उपयोग की जानकारी का वर्णन किया गया है। भारत में हज़ारों वर्षों से अश्वगंधा के फल, फूल एवं छाल का प्रयोग आयर्वेद में अनेक रोगों के निदान के लिए किया जाता रहा है। अब वैज्ञानिक शोधों में अश्वगंधा के औषधीय गुणों का रोगों के उपचार की प्रमाणिकता को सिद्ध किया जा चूका है। आइये देखें इस चमत्कारिक जड़ी -बूटी के स्वास्थ्य लाभ की जानकारी।

 

Health Benefits of Ashwagandha Herb अश्वगंधा जड़ी -बूटी के स्वास्थ्य लाभ

अश्वगंधा  स्वास्थ्य के स्वास्थ्य लाभ निम्नलिखित हैं :

Useful in Relieving Mental Stress and Anxiety   मानसिक तनाव एवं चिंता दूर करने में उपयोगी

आयुर्वेद में चिंता, तनाव ,अवसाद की दवा के रूप में अश्वगंधा के जड़ के पाउडर को दूध के साथ सेवन करने की सलाह दी जाती है।

वर्ष 2019 के एक वैज्ञानिक शोध अध्ययन से प्रमाणित हो चूका चुका है कि एलोपैथिक मेडिसिन प्लेसबो/ Placebo की तुलना में अश्वगंधा जड़ी -बूटी चिंता एवं मानसिक तनाव से राहत दिलाने में अधिक कारगर है।

दरअसल अश्वगंधा की जड़ में में मौजूद रासायनिक यौगिक में कोर्टिसोल हार्मोन के स्तर को कम करने के गुण पाए जाते हैं। ये हार्मोन मनुष्य में मानसिक चिंता एवं अवसाद को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होता है।

मानसिक चिंता एवं अवसाद दूर करने के लिए अश्वगंधा की खुराक से सम्बंधित वैज्ञानिक शोध में पाया गया कि प्रतिदिन 250 मिलीग्राम या 600 मिलीग्राम अश्वगंधा के जड़ का सत्त /रस सेवन करने से मानसिक तनाव एवं चिंता से राहत पाया जा सकता है।

 

Treatment for Arthritis गठिया रोग का उपचार

आयर्वेद में गठिया रोग के उपचार के लिए अश्वगंधा पत्तियों का काढ़ा पीने और पत्तियों को पीस कर लेप जोड़ों पर लगाने की सलाह दी जाती है।

दरअसल इस जड़ी -बूटी सूजनरोधी गुण होने के कारण शरीर के जोड़ों में आयी सूजन को कम करने असरदार होता है। जिसके कारण आर्थराइटिस के एक प्रकार रूमेटाइड गठिया/ rheumatoid arthritis के उपचार में अश्वगंधा का उपयोग प्रभावी सिद्ध होता है।

जोड़ों के दर्द वाले 125 लोगों में 2015 के एक छोटे से अध्ययन में पाया गया कि जड़ी-बूटी में संधिशोथ के उपचार के विकल्प के रूप में क्षमता है।

वर्ष 2015 के एक वैज्ञानिक शोध अध्ययन में पाया गया कि अश्वगंधा जड़ी -बूटी जोड़ों के दर्द में असरदार है।

 

Effective in Alzheimer’s Disease अल्जाइमर रोग में असरदार

आयुर्वेद में प्राचीन काल से अल्जाइमर रोग के उपचार के लिए अश्वगंधा जड़ के अर्क को औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है। दरअसलअल्जाइमर रोग में मष्तिष्क कोशिकाओ का एक -दूसरे से जुड़ाव अकमजोर होने और कोशिकाओं के नष्ट होने की वजह से यादाश्त कमजोर होने, भूलने और मनोभ्रंश जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ता है।

अभी तक दिमाग से सम्बंधित इन बीमारियों का कोई स्थायी उपचार नहीं निकाला जा सका है। अतः आयुर्वेद में इन बीमारियों के उपचार के लिए उपयोग की जाने वाली अश्वगंधा जड़ी -बूटी पर वैज्ञानिक शोध अध्ययन वर्ष 2011 में करने पर पाया गया कि अश्वगंधा का उपयोग अल्जाइमर,हंटिंगटन रोग और पार्किंसंस रोग जैसे न्यूरॉन नष्ट होने वाले यानी न्यूरोडीजेनेरेटिव रोगों का असर कम करने में उपयोगी है।

 

Treatment for  Heart health and High Blood pressure  ह्रदय रोग और हाई

ब्लडप्रेशर का उपचार

अश्वगंधा जड़ी -बूटी का उपयोग आयुर्वेद में ह्रदय रोग और हाई ब्लडप्रेशर कम करने की दवा के रूप में किया जाता है। दरअसल अश्वगंधा की जड़ में पाए जाने वाले रसायनिक यौगिक में खून में कोलेस्ट्रॉल को कम करने के गुण पाए जाते हैं। जिसके कारण ह्रदय तक खून पहुंचाने वाली मुख्य धमनियों में रक्त का प्रवाह सुचारु रूप से होता है।

वर्ष 2015 में किये गए वैज्ञानिक शोध अध्ययन में पाया गया कि अश्वगंधा के जड़ का सत्त/रस में पाए जाने वाले विथैनोलॉइड रसायन ह्रदय की धमनियों को स्वस्थ रखने, कोलेस्ट्रॉल को कम करने और हाइपरटेंशन (रक्त धमनियों पर खून के बहाव के अतिरिक्त दबाव को पड़ने से) को रोकने में सहायक होता है।

 

Effective in the Treatment of Cancer कैंसर के उपचार में असरदार

वर्ष 2011 में जानवरों के फेफडों के कैंसर ट्यूमर पर अश्वगंधा के प्रयोग द्वारा किये गए वैज्ञानिक अध्ययन में पाया गया कि अश्वगंधा के जड़ और पत्तियों के सत्त/रस का उपयोग कैंसर की रोकथाम में किया जा सकता है।

अध्ययनों से पाया गया कि अश्वगंधा के जड़ और पत्तियों में पाए जाने रसायनिक यौगिक कुछ प्रकार के कैंसर सेल्स की वृद्धि को रोकने में कारगर होते हैं।

 

Anti-aging Effect of Ashwagandha Herb बढ़ती उम्र को बेअसर करने में कारगर

बढ़ती उम्र में त्वचा में टेलोमेरेस एंजाइम के बनने की प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है। जिसके कारण नए स्किन सेल्स के बनने की प्रक्रिया रुक सी जाती है। परिणामस्वरूप  बढ़ती उम्र के निशान जैसे -झुर्रियाँ, दाग -धब्बे, चमक ख़त्म होने  समस्या आने लगती है। इसका कारण त्वचा के विभाजन की प्रक्रिया में नए कोशिकाओं के निर्माण प्रक्रिया के लिए जिम्मेदार टेलोमेरेस एंजाइम की सक्रियता कम होना है।

आयुर्वेद को अश्वगंधा के जड़ के अर्क का उपयोग बढ़ती उम्र में त्वचा को स्वस्थ रखने  किया जाता है। इसी को आधार बनाकर किये गए एक वैज्ञानिक अध्ययन में पाया गया कि अश्वगंधा के जड़ के रस के सेवन से टेलोमेरेस एंजाइम के बनने की प्रक्रिया बढ़ जाती है।

 

Effective in reducing Menopause Symptoms रजोनिवृत्ति के लक्षण को नियंत्रित

करने म कारगर

अश्वगंधा जड़ी -बूटी का उपयोग आयुर्वेद में महिलाओं के मासिक धर्म की अनियमितता , रजोनिवृत्ति के दौरान महिलाओं में चिड़चिड़ापन, हॉट फ्लैशेस, मूड स्विंग जैसे पीसीओएस ( पॉलीसिस्टिक अंडाशय सिंड्रोम) के लक्षणों को नियंत्रित करने, शरीर के वजन को कम करने, अनिद्रा जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए औषधि के रूप में किया जाता है।

वैज्ञानिक अध्ययनों में  पाया गया है कि अश्वगंधा हार्मोन के संतुलन को बनाये रखने में कारगर है। जिसके कारण महिलाओं में मीनोपॉज के दौरान हार्मोन्स के उतार -चढ़ाव की समस्या को नियंत्रित करने में असरदार होता है।

 

Ashwagandha for Thyroid Treatment थयरॉइड रोग के उपचार में असरदार

अश्वगंधा की जड़ में मौजूद रसायनिक यौगिक हार्मोन को संतुलित करने में असरदार होते हैं। जिसके कारण थयरॉइड ग्लैंड के हार्मोन की सक्रियता को नियंत्रित करने में सहायक होता है।

एक वैज्ञानिक अध्ययन में पाया गया है कि प्रतिदिन 600 मिलीग्राम अश्वगंधा के जड़ के अर्क का सेवन करने से थयरॉइड रोग को नियंत्रित किया जा सकता है।

 

 Side Effect of Ashwagandha Herb  अश्वगंधा जड़ी -बूटी के साइड इफ़ेक्ट

अश्वगंधा एक लोकप्रिय आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है जिसका उपयोग सामान्य टॉनिक के रूप में, ऊर्जा बढ़ाने और तनाव को कम करने के लिए किया जाता है। वैद्य द्वारा निर्धारित मात्रा में सेवन करने से कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है। किन्तु आमतौर पर देखा गया है कि चिकित्सक द्वारा रोगों के उपचार के लिए अश्वगंधा के निर्धारित खुराक से अधिक मात्रा में सेवन करने से निम्नलिखित समस्या उत्पन्न हो सकती है –

  • अनपच
  • दस्त
  • मतली या उल्टी
  • आँतों में जलन

 

नोट :

लेख में दी गयी जानकारी वैज्ञानिक शोध रिपोर्ट आधारित है। किन्तु अश्वगंधा एक औषधीय जड़ी -बूटी है बिना डॉक्टर से सलाह लिए इसका उपयोग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। इसके अतिरिक्त महिलाओं,   माताओं, किसी भी रोग से पीड़ित व्यक्ति अथवा स्वास्थ्य व्यक्तियों को इस रसायनिक गुणों से भरपूर औषधीय जड़ी -बूटी का उपयोग करने से  की राय लेना है।

 

लेख की जानकारी का स्त्रोत :

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन 

रिसर्चगेट 

 

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