Yog Nidra : A Powerful Method to Relax Body, Mind and Emotions योग निद्रा : शरीर, मन और भावनाओं को शांत करने का एक शक्तिशाली तरीका

Yog Nidra : A Powerful Method to Relax Body, Mind and Emotions योग निद्रा : शरीर, मन और भावनाओं को शांत करने का एक शक्तिशाली तरीका
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दोस्तों आज सात्विक जीवन का साक्षात्कार कराती डायरी के 23 वें भाग से आपका परिचय करवाने जा रही हूँ। पिछले भाग में आप मेरी डायरी के पन्नों में संजोये “कैल्शियम की कमी: लक्षण, कारण और बचाव” का परिचय प्राप्त करने के सफर में शामिल हुए थे। आप सभी के स्नेह और उत्साहवर्धन के लिए मैं ह्रदय से आभारी हूँ। आइये चलें तनाव मुक्त होने की सरल और प्रभावशाली ध्यान विधि योग निद्रा से परिचित होने के सफ़र पर …….

 

दोस्तों शरीर के रोगों और तनाव का अनुभव हम मानसिक और भावनात्मक प्रक्रिया के फलस्वरूप अपनी इन्द्रियों के माध्यम से करते हैं। अर्थात यदि इन्द्रियों को उनके विषयों से मोड़ कर अंतर्मुखी कर दिया जाए , तो मस्तिष्क तक संवेदना पहुँचाने वाली इड़ा और पिंगला नाड़ियों का संपर्क शारीरिक संवेदना का अनुभव करवाने की क्रिया से हट जाएगा। इस दशा में मस्तिष्क शून्यता की स्थिति में पहुँच जायगा। अब केवल सुषुम्ना नाड़ी जो कि आत्मिक शक्ति से सम्बंधित होती है, क्रियाशील रहेगी।

 

सम्मोहन विधि में मस्तिष्क को शुन्यता की स्थिति में पहुँचाने के बाद उसकी क्रियाओं पर नियंत्रण प्राप्त कर लिया जाता है। किन्तु योग निद्रा के अभ्यास में मस्तिष्क को शून्य अवस्था में पहूँचाने के क्रम में सुषुम्ना नाड़ी के सहारे भौतिक वातावरण के आभास के प्रति जागृत रहने का अभ्यास किया जाता है। तो आइये जाने योग निद्रा क्या है और  इसके अभ्यास से कैसे तनाव मुक्त होने की कला का विकास होता है?

Yog Nidra Kya hai  योग निद्रा ध्यान क्या है 

योग शास्त्र के अनुसार हमें भौतिक जीवन की गतिविधियों से अवगत करवाने का काम इड़ा, पिंगला नाड़ी करती हैं और सुषुम्ना नाड़ी आत्मिक चेतना से सम्बंधित होती है। योग निद्रा में साधक को प्रत्याहार विधि द्वारा इड़ा एवं पिंगला नाड़ी को बंद करके सुषुम्ना नाड़ी को जागृत अवस्था में रखने का अभ्यास करना होता है। शरीर की ये अवस्था जागृत और सुसुप्त अवस्था के बीच की होती है। इस अवस्था में हम अपने आस -पास के वातावरण के प्रति सजग रहते हुए भी मानसिक, भावनात्मक एवं शारीरक तनाव से मुक्त रहते हैं। सरल शब्दों में “बिना इन्द्रियों का उपयोग किये भौतिक विषयों के ज्ञान के प्रति सचेत रहना की अवस्था को योग निद्रा कहते हैं।” 

Yog Nidra Meditation kaise karen  योग निद्रा ध्यान कैसे करें 

दोस्तों योग निद्रा के अभ्यास की विधि सभी यगासनों में सबसे सरल है। इस आसन को शवासन मुद्रा में लेट कर किया जाता है। कोई भी योगासन करने के लिए ढीले कपड़े पहनना आवश्यक होता है। आइये जाने योग निद्रा अभ्यास की चरणबद्ध विधि :

  • सबसे पहले जमीं पर कम्बल बिछा कर शवासन मुद्रा में लेट जाएँ। यानि (पीठ के बल सीधे लेट कर आँखें बंद रखना है दोनों हाथों की हथेलियाँ आसमान के तरफ खुली रखते हुए शरीर से हाथों की दूरी को लगभग 5 इंच बनाए रखें और दोनों पैरों के बीच कम से कम 1 फुट की दूरी बनाए रखें)।
  • गहरी श्वाँस लें। श्वांस लेने और छोड़ने के क्रम में ध्यान श्वांस के आने और जाने पर टिकाना है।  फिर दाहिने पैर से ध्यान लगाने की विधि की शुरुआत करें।
  • सबसे पहले दाहिने पैर के पंजे पर ध्यान कुछ सेकेंड के लिए केन्द्रित करें , फिर घुटने, जाँघ और कुल्हे पर ध्यान लगायें। इसी प्रक्रिया को बाएँ पैर पर भी दोहरायें।
  • इसके बाद शरीर के मध्य अंगों जननांग, पेट, नाभि, छाती पर बारी -बारी से ध्यान केन्द्रित करने की प्रक्रिया पूरी करें।
  • इसके बाद दाहिने हाथ की उँगलियों, हथेली, कुहनी, कंधे से होते हुए गर्दन,चेहरे और सिर के शीर्ष तक ध्यान केन्द्रित करें।
  • फिर गहरी श्वाँस लेने के बाद उसी स्थिति में 2-5 मिनट लेटे रहकर अपने आस -पास के वातावरण के प्रति सजगता का अनुभव करना है।
  • इसके बाद कुछ मिनट तक दाहिने करवट लेट रहें। फिर नाक के बाएँ छिद्र से श्वाँस बाहर छोड़ें। इस प्रकार आपके शरीर का तापमान नियंत्रित हो जाने से शरीर में सिहरन महसूस हो सकता है। जिसके कारण हीं कम्बल जमीं पर बिछा कर लेटने की सलाह दी जाती है।
  • कुछ मिनट बाद आहिस्ते से उठे और विश्राम की स्थिति महसूस करते हुए धीरे-धीरे आँखे खोले।
  • ध्यान केन्द्रित करने के क्रम में प्रत्येक अंग के प्रति सजगता का अनुभव करना आवश्यक है। अर्थात अंगों पर ध्यान करते वक्त केवल उसी अंग का विचार मन में लाना है।

Yog Nidra Meditation ke Benefits  योग निद्रा ध्यान के लाभ 

दोस्तों हम नित्यदिन विश्राम करने के उद्देश्य से सोते है। किन्तु हमारा मस्तिष्क निरंतर क्रियाशील रहता है। फलस्वरूप हमारे शरीर की माँसपेशियों को तो विश्राम मिल जाता है, किन्तु विचारों का क्रम जारी रहने के कारण जैसे हीं हम नींद से जागते हैं, मानसिक तनाव अनुभव करने लगते हैं। फिर मानसिक स्थिति में सुधार लाने के लिये दवाई या मन को बदलने के लिए मनोरंजन के साधनों का सहारा लेते हैं। किन्तु इनका भी असर ख़त्म होते हीं फिर अपनी वास्तविक स्थिति में प्रवेश कर जाते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हम सोने के क्रम में केवल शरीर से हीं विश्राम कर रहें होते हैं।

जिसके परिणामस्वरूप मन को विश्राम न पहुँचने से तन और मन दोनों से हीं थकान का अनुभव होता है। शरीर के स्वस्थ रहने के लिए मन का स्वस्थ रहना आवश्यक है। ये तभी संभव है जब हम मन में चलने वाले विचारों को शाँत करने की कला के अभ्यस्त हो जाएँ। योग निद्रा का अभ्यास हमें इसी कला को विकसित करने में मदद करता है। फलस्वरूप योग निद्रा से मानसिक, शाररिक लाभ पहुँचने के साथ हीं आत्मिक संतुष्टि के भाव का भी विकास होता है। आइये जाने योग निद्रा से लाभ की जानकारी।

  • योग निद्रा के अभ्यास में परांगत होने पर बिना इन्द्रियों को केन्द्रित किये, सुने गए भाषण को आत्मसात करने की कला का विकास हो जाता है। यानि अपने आस-पास के वातावरण के प्रति सजगता के स्तर में वृद्धि हो जाती है।
  • योग निद्रा के क्रम में भौतिक जगत की संवेदनाओं से इन्द्रियों को विमुख करने की क्षमता का विकास हो जाता है। जिससे मानसिक और शारीरिक  तनाव पर नियंत्रण करने की कला विकसित हो जाती है।
  • विभिन्न योगासनों को करने के बाद शरीर के उर्जा का स्तर बढ़ जाता है। अतः शरीर में उर्जा को अवशोषित करने और योगासन के फलस्वरूप शरीर की माँसपेशियों के खींचाव के दर्द से राहत पाने में योग निद्रा का अभ्यास लाभदायक होता है।
  • शरीर के अंगों में उर्जा के स्तर का संतुलन बना रहता है। जिससे धमनियों में रक्त का प्रवाह सुचारू रूप से होता है।
  • अमेरिका के स्टैनफोर्ड युनिवर्सिटी स्कूल ऑफ़ मेडिसिन में किये गए अध्ययन में पाया गया कि “नियमित योग निद्रा का अभ्यास करने से ब्लडप्रेशर रोग की समस्या को ठीक किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त कैंसर, ह्रदय रोग, अनिद्रा तनाव, नशीली दवाओं के सेवन के प्रभाव के असर पर भी नियंत्रण पाया जा सकता है।”

 

 

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