How to Develop Positive Thinking सकारात्मक सोच कैसे विकसित करें

How to Develop Positive Thinking सकारात्मक सोच कैसे विकसित करें
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दोस्तों आज सात्विक जीवन का साक्षात्कार कराती डायरी के 25 वें भाग से आपका परिचय करवाने जा रही हूँ। पिछले भाग में आप मेरी डायरी के पन्नों में संजोये इस जड़ी बूटी से होगी विटामिन बी 12 की कमी पूरी से परिचित होने के सफर में शामिल हुए थे। आप सभी के स्नेह और उत्साहवर्धन के लिए मैं ह्रदय से आभारी हूँ। आइये चलें सकारात्मक सोच कैसे विकसित करें से परिचित होने के सफ़र पर ……

 

दोस्तों सकारात्मकता और नकारत्मकता एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। जीवन में प्रति पल घटित हो रही घटनाओं में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पक्ष मौजूद होते हैं। अब ये हमारे दृष्टिकोण पर निर्भर करता है कि घटना विशेष की पूरी कहानी को समझने और अपने विचारों में संजोने के लिए किस पक्ष का उपयोग करते हैं।

उदाहरण के तौर पर “यदि दाल में नमक ज्यादा पड़ जाए, तो दाल को देखने के दो नज़रिए निर्विवाद रूप से आपके समक्ष होंगे- 1. दाल बेकार हो गई। और 2.  दाल को कैसे सेवन करने योग्य बनायें?

 

यहाँ पहले विकल्प में निराशा, उदासी और पछतावे की भावना से युक्त विचारों का संगम है। ये है नकारात्मक नज़रिया। वहीं दूसरे विकल्प में आशा, उत्साह और आत्मविश्वास का संगम है। आपके अंदर आशा की किरण से उत्साह और आत्मविश्वास का संचार हुआ, जिसकी बदौलत आप उसमें सुधार करने को प्रेरित हुए। ये है सकारात्मक नज़रिया

 

अब ये तो मामूली सी घटना है। किन्तु इसी साधारण सी घटना के घटित होने के दौरान किये गए नकारात्मक पहलू के चुनाव से आपका मन आहत और सकारात्मक पहलू के चुनाव से तृप्त भी हो सकता है। यदि आप नकारात्मक पक्ष वाले विचार को प्राथमिकता देते हैं, तो आपके मन में अच्छा नहीं होने जैसी भावना कहीं भी किसी कार्य के बीच आपका ध्यान भटकाती रहेगी। ऐसा होने के पीछे ये तर्क काम करता है कि आपने उस क्षण में घटित घटना के परिणाम से मन को असंतुष्ट छोड़ दिया था।

 

दरअसल मन की भी भूख होती है। हमारा मन हर पल तृप्त होने के तलाश में रहता है। हमें हर पल मन में उठने वाले विचारों को तार्किक विवेचना के आधार पर सही दिशा देकर शांत/तृप्त करना होता है। ताकि किसी घटना विशेष के दौरान उठने वाली सम्बंधित सभी विचार उस घटना के समाप्त होने के साथ ही शांत हो जाएं।

 

मेरे अनुसार यही मन को तृप्त यानी संतुष्ट और खुश रखने का तरीका है। मैं इसी प्रकार अपने मन को संतुष्ट रखती हूँ। तृप्त मन में विचारों की उथल -पुथल न होने के कारण मन खुशहाल बना रहता है। जिसमें नकारात्मकता, बेकार की चिंता, उलझन, किसी कार्य विशेष से सम्बंधित निर्णय लेने में दुविधा की स्थिति उत्पन्न होने की गुंजाइश नहीं होती है। इस प्रकार मन में उन्हीं विचारों का वर्चस्व/प्रभाव रहता है, जो वर्तमान घटना विशेष से सम्बंधित महत्वपूर्ण हो। आइये जाने सकारत्मक सोच विकसित करने के उपाय की जानकारी।

5 Powerful Tips for Positive Thinking सकारात्मकता विकसित करने के प्रभावी उपाय 

 

डायरी लिखने की आदत अपनाना 

 

प्रतिदिन सोने से पहले डायरी लिखने की आदत अपने दिनचर्या में शामिल करना आवश्यक है।

दिन भर में व्यस्तता के कारण यदि किसी घटना विशेष के घटित होने पर मन आहत हुआ हो, तो ऐसी घटनाओं को क्रमवार डायरी में लिखें।

इसके बाद प्रत्येक घटना पर चिंतन-मनन के द्वारा तार्किक विवेचना करें।

इसके बाद स्वयं को न्यायाधीश की भूमिका में रखते हुए समय , परिस्थिति और घटना की सार्थकता के आधार पर उसे जाँचे।

फिर घटना के परिणाम को सकारत्मक रूप देने (मन को संतुष्ट करने) के साधनों को सूचीबद्ध करें।

कोशिश ही नहीं हर संभव प्रयास होना चाहिए कि प्रत्येक दिन की नकारात्मक घटना का निपटारा उसी दिन हो।

 

 

दिन की शुरुआत मेडिटेशन से करना

 

दिन भर में किसी भी समय जब आपका मन शांत हो, मेडिटेशन के लिए कम से कम 10 मिनट का वक्त निकलना आवश्यक है।

यह समय आपको अपने मन के साथ व्यतीत करना है। अर्थात मन में उठने वाली सभी विचारों को केवल सुनना है। विचारों पर अपने तरफ से कोई तर्क -वितर्क नहीं पेश करना।

इस प्रकार मन को सुनने के लिए वक्त निकालते रहने से आपकी मन के साथ दोस्ती हो जायेगी। अर्थात आपको मन के साथ समय बिताने की आदत सी पड़ जायेगी।

ये कार्य आपके मन पर मरहम का कार्य करेगी। मन की भड़ास बाहर निकलते रहने से मन शांत और खुश रहने लगेगा।

 

 

अपनी रूचि के अनुकूल करियर (आजीविका) का चुनाव करना 

 

जीवन यापन के लिए नौकरी /व्यवसाय का चुनाव करते वक्त अपनी प्रतिभा को प्राथमिकता देना आवश्यक है। ऐसे कार्य का चुनाव करने से आपके आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। क्योंकि अपने मन पसंद कार्य को करने से आपके अन्दर ख़ुशी की भावना का जन्म स्वाभाविक रूप से होता है। इसलिए संभव हो सके, तो अपनी हॉबी के कार्य को ही जीवन यापन का जरिया बनाए। इससे आप कार्य स्थल में भी संतुष्ट रहेंगे और दोगुनी उर्जा से कार्य करने में सफल हो सकेंगे। फलस्वरूप आपका जीवन के प्रति दृष्टिकोण सकारत्मक होता जाएगा।

 

 

दिन भर के कार्यों को व्यवस्थित करना 

 

रात में सोने से पहले दूसरे दिन के कार्यों को प्राथमिकता के आधार पर सूचीबद्ध कर लेने से कार्य को समयानुसार निपाटाने में मदद मिलती है।

 

 

नकारात्मक विचारों वाले व्यक्ति/समूह से दूर रहें 

 

स्वयं को सकारात्मक विचारों में ढालने के क्रम में नकारात्मक विचारों वाले समूह/व्यक्तियों की संगति से दूर रखना आवश्यक है। इसके लिए अपने खाली समय का सदुपयोग व्यायाम, सुबह -शाम टहलने की आदत, अपनी मनपसंद खेल/ कहानी/ कविता/संगीत /पेंटिंग आदि रचनात्मक कार्यों में व्यतीत करना उचित होगा। इससे आपके अन्दर आत्मसम्मान के विकास के साथ ही सकारात्मक दृष्टिकोण का भी विकास होता जाएगा।

 

 

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