kaash, काश, kaash wo mere paas aate, aa jao, chaand, dil,
वो मेरे पास आते
काश ! वो मेरे पास आते ,
दिल -ए- जूनून साथ लाते,
हम भी फितूर-ए-दिल सुनाते,
हसीन सपनो के पुल बनाते,
ख्यालों में गुम हो जाते,
दिन से रात, रात से दिन बस यूँ हीं गुजरते जाते।
काश ! वो मेरे पास आते,
पूनम की रात हम साथ बिताते,
हरसिंगार, रातरानी, चमेली, जूही की खुशबू से
सराबोर मन के बहके जज्बात समेटे,
दिल हीं दिल में एक दूजे को हम गुनगुनाते।
काश ! वो मेरे पास आते,
बसंती हवाओं में गुलमोहर के नीचे हम वक्त बिताते,
सावन के झूले में ऊँची पेंग लगाते,
आम्र – बौर की खुशबू और कोयल की कूक से गुंजित बाग,
ऐसे में काश ! वो मेरे पास आ जाते,
दिल के तार झंकृत कर जाते,
काश ! वो मेरे पास आते।।
आ जाओ
मलय पवन बन आ जाओ मन उपवन में,
सजल नयन है,झील कमल है,
लोक-परलोक का कौतूहल,
है निज चितवन में ।
प्रखर सूर्य बन आ जाओ मन दर्पण में,
धूमिल छवि है, स्तब्ध पड़ी है,
नव किरणो का संभल दे कर,
तन मन अलंकृत कर दो।
पूर्ण चन्द्र बन आ जाओ गुनगुनी निद्रा में,
दिवा स्वप्न के द्वारे,झिलमिल तारे,
चाँदनी का रूप निखारें,
ऐसे ही शीतलता दे कर,
सपनो को मेरे सँवारो।
निर्झर की निर्मल धारा बन आ जाओ समय के इस क्षण में,
अविरल बहना,नदिया में रहना,
ऐसे ही जीवन डगर पर संग रहना।।
चाँद
कल सारी रात हम आसमां निहारते रहे,
टकटकी बाँधे चाँद को पुकारते रहे,
नयनो के काजल को संँवारती,कभी कतरा-कतरा अश्को के मोती में चाँद को टटोलती,
घटाएँ उमड़ पड़ी,मेरी ओर बरस पड़ी, पर चाँद तो निकला नहीं, मेरी छत पर उतरा नहीं,
कहीं घर से मुझे दूर पाकर,
बैठा होगा मेरी याद में मगरूर होकर ।
कल सारी रात हम आसमां निहारते रहे,
टकटकी बांँधे चांँद को पुकारते रहे,
आहें पिघलती रहीं,ओस की बूंदों में ढलती रहीं,
स्याह, स्तब्ध निशा में उत्कंठाएंँ बहती रहीं,
सितारे टूटते बुझते रहे, दुआएंँ हम माँगते रहे,
स्मृतियों में बिखरी यादों को हम बिटोरते रहे,
कल सारी रात हम आसमां निहारते रहे,
टकटकी बांधे चाँद को पुकारते रहे ।।
दिल
उसकी बेबफाई में बफा ढूँढ़ती हूँ,
खूद को तसल्ली देने की वजह ढूँढ़ती हूँ,
हर बार वो अपनी गुनाहों की सज़ा मांँगता है,
मेरी पनाहों में जगह माँगता है,
क्या करूँ नादान दिल भी मेरा उसकी ख्यालों में फना माँगता है।।
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