tum, tum mile, main tou tumahara ho chuka hun, jo tum mere hote, tum aam main imli, तुम आम मैं इमली, तुम, तुम मिले, जो तुम मेरे होते, मैं तो तुम्हारा हो चूका हूँ, hindi kavita, love poetry, prem kavitayen,
तुम
अरमानों के पंख लगा मैं,
नभ- तल में जो विचर रही,
क्या तुम उसका प्रतिफल हो,
प्रेम पाश में बाँध रहे क्या,
प्रणय का मूक आमंत्रण हो,
तुम आकुल मन की व्यथा को,
लयबद्ध कर जो स्वर दे दो,
मैं रागिनी बन मन्त्र-मुग्ध कर दूँ,
तुम बूँद-बूँद श्वॉसो में जीवन भर दो,
मैं घटा बन बरस पुलकित कर दूँ,
तुम पग-पग काँटे चुन दो,
मैं हरियाली बन पथ सिंचित कर दूँ,
तुम एक उम्मिद की किरण दे दो,
मैं ऊषा बन उजियारा कर दूँ,
तुम मौन यूँ हीं आमंत्रण दो,
मैं स्वीकृत कर समर्पण कर दूँ ।।
मैं तो तुम्हारा हो चुका हूँ
तुम्हारा यूँ मुस्कुराना, पलकें झुकाना, फिर रूठ कर चले जाना,
बस इन्हीं अदाओं पर मैं मरता हूँ,
सुबह हो शाम आहे भरता हूँ,पर दिल लगी से डरता हूँ,
क्या मैं दीवाना हो चुका हूँ, हाँ मैं तो तुम्हारा हो चुका हूँ।
तुम मुझसे दूर रहना, सपनों में हीं हुजूर रहना,
पास न आना, दीवानगी का आलम बनाए रखना,
दीवाना हूँ तुम्हारा, ज़ज्बातों को न सम्भाल पाऊँगा,
पाकर तुम्हें बिखर जाऊँगा, कतरा- कतरा तुममें घुल जाऊँगा,
मैं तुम हो जाऊँगा, डरता हूँ, हाँ मैं दिल लगी से डरता हूँ,
क्या मैं दीवाना हो चुका हूँ, हाँ मैं तो तुम्हारा हो चुका हूँ।।
तुम मिले
चलते-चलते हम साथ हो लिए,
तुम मिले एक साँस हो लिए,
ज़ज्बातों को पी लिए और,
रस्मो को साथ ले लिए,तुम मिले,
शर्म औ हया के दायरे में बँध,
हम पग-पग, साथ हो लिए,
साँसो की डोर का पकड़े हम छोर,
बस सरपट चल दिए,
टूटते-बिखरते, बनते-सँवरते,
तुम मिले, हम साथ हो लिए,
मैं नहीं कुछ, बस हम ही हम,
समर्पण के भाव में यूँ हीं बह लिए,
उठते-गिरते ताने-बाने बुन लिए,
एक रफतार से लम्हों को नाप लिए,
सो रहे थे या जाग,जो जीवन जी लिए,
तुम मिले, बस मुस्कराते हुए ,
हम साथ हो लिए ।।
जो तुम मेरे होते
जो तुम मेरे होते ,
निरिह विरह में व्याकुल मन से मेरे चित की सुन्दरता जान लेते,
मन्त्र-मुग्ध मन में मेरे अपनी धुन पहचान लेते।
जो तुम मेरे होते,
लोलुप मन विचलित न होता,
तुम नीर बिन मीन की पीड़ा जान लेते,
पूर्ण चन्द्र का चाँदनी को समेट लेने की तन्मयता,
स्पंदित हृदय का धड़कनो में समन्व्यता जान लेते।
जो तुम मेरे होते,
जान लेते लय का सरगम बनने की आतुरता,
जो तुम मेरे होते,
अपने साये में मेरे पदचाप की धुन पहचान लेते ।।
तुम आम मैं इमली
तुम आम मैं इमली,
तुम फूले, मैं पिचकी,
तुम रसीले, मीठ्ठे,
मैं जायके से खटमिठ्ठी,
तुम ठंडे कभी गर्म,
मैं सदा हीं शीतल और नर्म,
हम दोनों के नाज़ अलग है, स्वाद अलग है, बात अलग हैं ,
फिर भी हम एक आसमान के तले रहें हैं।
तुम आम मैं इमली,
तुम गर्मियों के राजा, तो मैं गर्मियों की रानी
एक हीं मौसम के हम दो राही,
पर एक दूजे में घुल नहीं सकते,
हम एक पैमाने में ढल नहीं सकते,
फिर भी हम एक साथ हैं चलते,
तुम आम मैं इमली, मैं इमली तुम आम।।
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3 thoughts on “Tum Aam main Imli तुम आम मैं इमली”
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रितु जी, बहुत सुंदर कांसेप्ट है आपका,
हमारी शुभकामनाएं सदा आपके साथ है।।
???
पंकज जी बहुत आभार ,?
[…] के सुनहरे भविष्य के सपने […]