Appendicitis : Symptoms, causes and Ayurvedic treatment अपेंडिसाइटिस (अपेंडिक्स) के लक्षण,कारण एवं आयुर्वेदिक उपचार

Appendicitis : Symptoms, causes and Ayurvedic treatment अपेंडिसाइटिस (अपेंडिक्स) के लक्षण,कारण एवं आयुर्वेदिक उपचार
1 0
Read Time:16 Minute, 52 Second

अपेंडिक्स में सूजन एवं संक्रमण की समस्या को अपेंडिसाइटिस कहते हैं। मानव शरीर में पेट के दायीं तरफ नीचले हिस्से में बड़ी आँत से जुड़ी कृमि के आकार की 2 से 4 इंच लम्बी थैली होती है। जिसे अपेंडिक्स कहते हैं। इस अंग का एक सिरा बंद और दूसरा सिरा खुला होता है। किन्हीं कारणों से अपेंडिक्स में ब्लॉकेज होने पर बैक्ट्रियल संक्रमण हो जाता है। जिसके फलस्वरूप सूजन एवं मवाद भरने की सम्भावना बढ़ जाती है। इस रोग से पीड़ित होने पर पेट के नीचले भाग में असहनीय दर्द होता है।

 

अपेंडिक्स की बीमारी किसी भी उम्र के लोगों को हो सकती है। किन्तु किशोरावस्था से 30 वर्ष के आयुवर्ग के लोगों में रोग के ज्यादा मामले देखे जाते हैं। अपेंडिसाइटिस को अनदेखा करने पर अपेंडिक्स फट सकती है। जिससे पेट में बैक्टीरियल संक्रमण फैलने की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। ऐसे स्थिति में रोगी के अन्य अंगों में भी संक्रमण फैलने का खतरा हो सकता है। अतः अपेंडिक्स के दर्द की संभावना होने पर चिकित्सक से तुरंत सलाह लेना आवश्यक है। गंभीर मामलों में रोगो की मौत भी हो सकती है। आइये देखें अपेंडिसाइटिस के लक्षण, कारण और आयुर्वेदिक उपचार से सम्बंधित जानकारी।

 

What is Appendicitis? अपेंडिसाइटिस क्या है?

अपेंडिक्स में किन्हीं कारणवश ब्लॉकेज होने की स्थिति में बैक्टीरियल संक्रमण होने लगता है। जिसके फलस्वरूप मवाद भरने और सूजन होने से पेट में असहनीय दर्द की शिकायत होती है। अपेंडिसाइटिस के दर्द के कारण रक्त के बहाव में भी रुकावट की समस्या भी पैदा हो सकती है।

अपेंडिसाइटिस दो प्रकार का होता है –

  • एक्यूट अपेंडिसाइटिस

इस प्रकार की समस्या होने पर पेट में अचानक असहनीय दर्द होने के कारण डॉक्टर से तुरंत परामर्श आवश्यक हो जाता है। दर्द को अनदेखा करने की स्थिति में अपेंडिक्स फटने का कारण भी बन सकती है। जिससे गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

 

  • क्रोनिक अपेंडिसाइटिस

इस प्रकार के अपेंडिसाइटिस के लक्षण आते -जाते रहते हैं। दर्द असहनीय न होने के कारण इसके लक्षण को साधारण अपच, पेट में गैस जैसी समस्याओं के भ्रम के साथ सहा जा सकता है। जिसके कारण महीनो या वर्षों तक इस बीमारी का पता नहीं चल पाता है। जिसके परिणामस्वरूप एक्यूट अपेंडिसाइटिस की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।

अभी तक ऐसा माना जाता था कि अपेंडिक्स का मानव शरीर में कोई उपयोग नहीं है। अतः अपेंडिसाइटिस के उपचार के लिए अपेंडिक्स को ऑपरेट करके बाहर निकाल गया जाता था।

किन्तु हाल ही के वर्षों में किये गए वैज्ञानिक शोध से ज्ञात हुआ है कि अपेंडिक्स में लिम्फोइड कोशिकाएं होती हैं, जो शरीर को संक्रामक रोगाणुओं के खिलाफ लड़ने में मदद करती हैं। इस प्रकार शरीर की रोगप्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में सहायक होती हैं।

एक शोध अध्ययन के अनुसार – ” अपेंडिक्स में गुड बैक्टीरिया होती हैं। जो कि भोजन पाचन प्रक्रिया में गुड बैक्टीरिया की कमी होने पर अपेंडिक्स पाचन तंत्र गुड बैक्टीरिया को जारी करने के माध्यम से पाचन तंत्र को मजबूत करने में सहायक होता है।

 

Symptoms लक्षण

 

एक्यूट अपेंडिसाइटिस के मामले में निम्नलिखित लक्षण आमतौर पर देखे जाते हैं :

  • अचानक पेट में दर्द की शुरुआत होना।
  • चलने, करवट लेने या खाँसने पर दर्द का बढ़ जाना।
  • पेट दर्द शुरू होने के कुछ घंटो के अंदर दर्द बढ़कर असहनीय होने की शिकायत होना।

इस प्रकार के पेट दर्द की शिकायत के साथ ही होने वाली अन्य स्वास्थ्य समस्याएं में शामिल है –

  • खट्टी डकार
  • भूख में कम लगना
  • पेट में सूजन
  • हल्का बुखार होना
  • मितली
  • उल्टी

आंत से सम्बंधित स्वास्थ्य समस्याओं में शामिल है :

  • कब्ज की शिकायत
  • दस्त /डायरिया
  • मल त्याग की इच्छा बने रहने की शिकायत
  •  पेट से गैस बाहर निकलने में असुविधा होना

यदि कब्ज की शिकायत बने रहने पर अपेंडिक्स होने का अंदेशा हो, तो ऐसी स्थिति में कब्ज दूर करने की एलोपैथी दवा या एनिमा का प्रयोग करने से बचना चाहिए। अन्यथा अपेंडिक्स फटने का खतरा हो सकता है।

 

Causes कारण

अपेंडिसाइटिस होने का सटीक कारण अभी तक अज्ञात है। हालाँकि वैज्ञानिको का मानना है कि निम्नलिखित कारणों से अपेंडिक्स में सूजन या ब्लॉकेज हो सकता है : 

  • अपेंडिक्स की लिम्फोइड कोशिकाओं में वृद्धि होना। 
  • कब्ज की शिकायत होने के कारण मल के कठोर निर्माण होना। 
  • आंत में ट्यूमर होना। 
  • आंत में गंभीर चोट लगना। 
  • आंत में कीड़े होना। 
  • परिवार में अपेंडिसाइटिस की बीमारी का इतिहास होना। 

 

Allopathy Treatment  एलोपैथी उपचार 

अपेंडिसाइटिस का उपचार सर्जरी के माध्यम से अपेंडिक्स को ऑपरेट करके शरीर से बाहर निकल दिया जाता है। इसके बाद एंटीबीओटिक दवाओं के सेवन की सलाह दी जा सकती है। 

 

Ayurvedic Treatment आयुर्वेदिक उपचार 

अपेंडिसाइटिस का कारण आयुर्वेद में त्रिदोषों में असंतुलन माना जाता है। आयुर्वेद में कई जड़ी -बूटियों का प्रयोग अपेंडिक्स के दर्द से राहत पाने के लिए किया जाता है। अतः चंडीगढ़ आयुर्वेद एंड पंचकर्मा सेण्टर द्वारा ‘अपेंडिसाइटिस केयर किट’ लॉन्च किया गया है।

 इस किट में शामिल पाँच आयुर्वेदिक औषधियों का विवरण इस प्रकार है –

शीत धारा सिरप 

इस औषधि को अजवाईन सत्त्व , मुशक कपूर, पेपरमिंट जैसे हर्बल औषधियों के मिश्रण से तैयार किया गया है। जो कि सूजन के कारण होने वाले दर्द ,जलन, मतली, उल्टी, बेचैनी जैसे लक्षणों से राहत प्रदान करने में प्रभावी है। इस औषधि के नियमित सेवन से अपेंडिसाइटिस के लक्षण जैसे –  एसिडिटी, पेट दर्द, पेल्विस /श्रोणि में ऐंठन जैसी समस्या में दूर होती है। 

खुराक : आधे कप पानी में आधे चम्मच सिरप की मात्रा को मिलाकर सेवन करें औषधि का सेवन खाली पेट सुबह और शाम दिन में दो बार लेना चाहिए। 

 

डिटॉक्स प्रीमियम पाउडर

इस औषधि को प्रवाल पिष्टी, शंख भस्म,गिलोय सत्त्व,मोती भस्म,कामदुधा रस,जहर मोहरा पिष्टी, शुक्ति पिष्टी जैसे भस्म और चूर्ण के मिश्रण से तैयार किया गया है। यह औषधि शरीर को डिटॉक्स करने के माध्यम से शरीर के पित्त दोष के संतुलन में सहायक होता है। इस औषधि के सेवन से अपेंडिसाइटिस की समस्या में होने वाले पेट में अचानक दर्द,सूजन जैसी समस्या में आराम मिलता है। 

खुराक : इस औषधि की एक पुड़िया/पाउच को नार्मल तापमान के पानी साथ दिन में दो बार लेना चाहिए। 

 

नर्व अप / Nerve Up 

यह औषधि कैप्सूल के रूप में उपलब्ध है। इसमें प्रवाल पुष्टि, अभ्रक भस्म, रस सिन्दूर, शंख भस्म,शुद्ध कुचला, शुद्ध शिलाजीत जैसे तत्व शामिल हैं। ये अपेंडिक्स की बीमारी में वात/ पेट में एकत्रित गैस को दूर करने के माध्यम से श्रोणि/ पेट के नीचले हिस्से के सूजन एवं दर्द से राहत प्रदान करती है। 

खुराक : नार्मल तापमान के जल के साथ सुबह -शाम दिन में दो बार एक -एक कैप्सूल का सेवन करना चाहिए। 

 

त्रिकटु सिरप

इस सिरप को पिप्पली, काली मिर्च, सोंठ जैसे सामग्री के मिश्रण से तैयार किया गया है। यह औषधि एंटीऑक्सीडेंट, सूजनरोधी, दर्दनाशक,पाचन शक्ति बढ़ाने वाली, रोगप्रतिरोधक प्रणाली को मजबूत बनाने जैसे गुणों से भरपूर होने के कारण रोग के लक्षणों को दूर करने में प्रभावी होती है। 

खुराक: एक दिन में तीन बार सुबह , दोपहर और रात के भोजन से आधे घंटे पहले 2 -2 चम्मच लेने की सलाह दी जाती है।

 

पंचसाकार चूर्ण

इस औषधि में शुंठी, हरीतकी, पिप्पली, त्रिवृत, काला नमक जैसी पाँच हर्बल औषधियां शामिल हैं। इस चूर्ण के सेवन से अचानक पेट दर्द, सूजन, कब्ज आदि स्वास्थ्य समस्याओं में आराम पहुँचाने के साथ ही शरीर को डिटॉक्स करने में भी मदद करता है। 

खुराक: रात को सोते समय 1 चम्मच गुनगुने पानी के साथ लेना चाहिए।

 

त्रिफला गुग्गुलु टैबलेट

 इस औषधि के सेवन से आंत से सम्बंधित सूजन दर्द एवं बैक्टीरियल संक्रमण दूर होता है। जिसके परिणामस्वरूप पाचन क्रिया सुचारु रूप से होने में मदद मिलती है। इस औषधि में जीवाणुरोधी, एंटीऑक्सीडेंट, एंटीवायरल गुण मौजूद होने के कारण अपेंडिक्स के बैक्टीरियल संक्रमण को दूर करने में प्रभावी होती है। जिसके फलस्वरूप पेट के सूजन एवं दर्द में आराम पहुँचता है।  

खुराक : त्रिफला गुग्गुलु टैबलेट – 650 मिलीग्राम।

 

Panchakarma se  Ayurvedic Upchar  पंचकर्म से आयुर्वेदिक उपचार 

 

अनुवासन वस्ति

अनुवासन वस्ति शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करता है। अपेंडिसाइटिस रोग में आराम के लिए त्रिफला तेल के साथ अनुवासन बस्‍ती रोगी को दी जाती है। इससे बड़ी आंत के शुद्धिकरण के माध्यम से कायकल्प में मदद मिलती है। 

 

कषाय वस्ति 

औषधीय जड़ी -बूटियों एवं तेल से तैयार किया गया तरल द्रव्य होता है। जिसका उपयोग रोगी को एनिमा देने के लिए किया जाता है। कषाय वस्ति को एनिमा विधि से सीधे रोगी के आंत में पहुंचाने में मदद मिलती है। जिसके कारण अपेंडिसाइटिस रोग के उपचार में बहुत प्रभावी सिद्ध होता है। 

 

लीच थेरेपी ( जालौकवाचरण) 

लीच थेरेपी के माधयम से अपेंडिसाइटिस का उपचार आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में प्राचीन काल से किया जाता रहा है। एक रिसर्च अध्ययन में लीच थेरेपी के साथ शंख वटी और अविपत्तिकर चूर्ण के माध्यम से एक्यूट अपेंडिसाइटिस के उपचार करने पर पाया गया कि रोगी के बुखार, दर्द एवं असमान्य ह्रदय गति में बहुत हद तक आराम पहुँचा।

आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति से उपचार करने से पहले अपेंडिसाइटिस रोग की गंभीरता का पता करना आवश्यक है। इसके लिए पेट का एक्स-रे, सीटी स्कैन, एमआरआई स्कैन,अल्ट्रासाउंड आदि आवश्यकता अनुसार जाँच विधियों का उपयोग किया जा सकता है। यदि जाँच में रोग की स्थिति गंभीर पायी जाती है, तो अपेंडिक्स का ऑपरेशन करवाना आवश्यक है। 

 

 Disease Prevention  रोग से बचाव 

अपेंडिसाइटिस रोग बचाव के लिए कोई निश्चित उपाय की जानकारी का पता अभी तक नहीं चल सका है। वैज्ञानिको के अनुसार अपेंडिसाइटिस के निश्चित कारण एवं बचाव का पता लगाने के लिए अधिक शोध की आवश्यकता है। हालाँकि ऐसा देखा गया है कि फाइबर से भरपूर आहार का सेवन करने वाले देशों में इस रोग से पीड़ित रोगियों की संख्या बहुत कम है। इसी आधार पर रोग की सम्भावना को कम करने के लिए फाइबर युक्त आहार के सेवन को दैनिक आहार में शामिल किया जा सकता है। 

फाइबर की अधिकता वाले खाद्य पदार्थों में शामिल है – फल, सब्जियां, मसूर की दाल, मटर की दाल, राजमा, फलियां, चोकर युक्त गेहूँ के आटे से बना व्यंजन , ओट्स, दलिया, ब्राउन चावल , अंकुरित साबूत अनाज आदि।

इसके अतिरिक्त बैक्टीरियल संक्रमण से बचव के लिए अधपके माँसाहारी खाद्य पदार्थों के सेवन से परहेज करना एवं फलो को सफाई से धोने और सब्जियों को साफ से धोकर पकाने के बाद खाने के लिए प्रयोग करना चाहिए।

 

 

अस्वीकरण :

लेख में दी गयी आयुर्वेदिक औषधि का उपयोग करने से पहले आयुर्वेदिक डॉक्टर से परामर्श लेना आवश्यक है। अपेंडिसाइटिसके उपचार हेतु बिना बीएएमएस डिग्री धारी वैध से परामर्श लिए आयुर्वेदिक औषधि के सेवन से गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

 

 

स्त्रोत :

https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5011360/

https://www.journalijar.com/uploads/809_IJAR-4681.pdf

chandigarh Ayurved and Panchakarma center

https://www.nhs.uk/conditions/appendicitis/

 

 

अन्य लेख पढ़िए :

पेट के कीड़े: लक्षण और उपचार

 

पेट के कैंसर के लक्षण और कारण

 

मर्दाना कमजोरी का आयुर्वेदिक उपचार

 

 

 

अपेंडिसाइटिस, What is Appendicitis, अपेंडिसाइटिस के प्रकार, क्रोनिक अपेंडिसाइटिस,एक्यूट अपेंडिसाइटिस, Symptoms,lakshan, Causes, Allopathy treatment of Appendicitis, Ayurvedic treatment of Appendicitis , ayurvedic upchar, panchakarma se Appendicitis upchar,  Appendicitis se bachav ke upay

 

 

 

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %
पेट के कीड़े: लक्षण और उपचार Stomach Worms in Human : Symptoms, and Treatment Previous post पेट के कीड़े: लक्षण और उपचार Stomach Worms in Human : Symptoms, and Treatment
Omicron Sub Variant : Symptoms, Precautions and Vaccine Side Effects कोरोना ऑमिक्रॉन सब - वैरिएंट वैरिएंट: लक्षण, सावधानियां और वैक्सीन के साइड इफेक्ट Next post Omicron Sub Variant : Symptoms, Precautions and Vaccine Side Effects कोरोना ऑमिक्रॉन सब – वैरिएंट वैरिएंट: लक्षण, सावधानियां और वैक्सीन के साइड इफेक्ट

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

One thought on “Appendicitis : Symptoms, causes and Ayurvedic treatment अपेंडिसाइटिस (अपेंडिक्स) के लक्षण,कारण एवं आयुर्वेदिक उपचार

Comments are closed.