ब्रैस्ट स्व – परिक्षण , breast self exam process, स्तन स्व-परीक्षण,स्तन स्व-परीक्षण के पाँच चरण, 5 steps to breast self-exam, breast changes to look out for, breast mein asamanya badlaav ka pta kaise kare, how should i check my breast, breast self -exam kaise kare
दोस्तों आज सात्विक जीवन का साक्षात्कार कराती डायरी के 43 वें भाग से आपका परिचय करवाने जा रही हूँ। पिछले भाग में आप मेरी डायरी के पन्नों में संजोये लेख एसिड रिफलक्स के कारण, लक्षण और घरेलू उपचार की जानकारी से परिचित होने के सफर में शामिल हुए थे। आप सभी के स्नेह और उत्साहवर्धन के लिए मैं ह्रदय से आभारी हूँ।इस भाग में “स्तन के स्व-परीक्षण करने की प्रक्रिया” से सम्बंधित जानकारी से आपका परिचय करवा रहीं हूँ।
हर महिला को ब्रेस्ट स्व -परीक्षण की प्रक्रिया की जानकारी होना आवश्यक है।क्योंकि महिलाओं में स्तन कैंसर के मामले ज़्यादातर पाए जाते हैं।कैंसर एक ऐसी बीमारी है, जिसका पता शुरुआती दौर में लग पाना मुश्किल होता है।इस बीमारी से बचाव के लिए महिलाओं में स्तनों के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता होना आवश्यक है।हालाँकि स्तन कैंसर से बचाव के लिए स्व- परीक्षण करते रहना काफ़ी नहीं है, किंतु स्तन स्व- परीक्षण करने के माध्यम से स्तनों में आए बदलाव का शुरुआत में पता चल जाना सम्भव है। जिससे समय रहते बीमारी के इलाज होने की प्रक्रिया में मद्द मिल सकेगी।
World Health Organization (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार -2020 में, 2.3 लाख महिलाओं में स्तन कैंसर की बीमारी दर्ज की गयी और विश्व स्तर पर 685,000 मौतें हुईं। 2020 के अंत तक, 7.8 लाख महिलाएं जीवित थीं।जिन्हें पिछले 5 वर्षों में स्तन कैंसर का पता चला था। जिससे किसी भी अन्य प्रकार के कैंसर की तुलना में स्तन कैंसर दुनिया में सबसे अधिक पाए जाने वाले कैंसर रोग के रूप में शामिल किया गया।
National Health Breast Screening Programme के तहत स्तन जागरूकता पर प्रकाश डालते हुए ये सलाह दी गयी है कि 20-30 वर्ष की युवतियों को 3 वर्ष के अंतराल में और 50-70 वर्ष की महिलाओं को प्रति वर्ष मैमोग्राफी करवाना चाहिए।
BREASTCANCER.ORG के द्वारा जनहित में स्तन स्व -परीक्षण की प्रक्रिया जारी की गयी है और सभी महिलाओं को मासिक धर्म के बाद पाँचवे से दसवें दिन के बीच में किसी एक दिन निर्धारण कर स्तन स्व -परीक्षण करने की सलाह दी गयी है।आइए जाने स्तन स्व-परीक्षण की प्रक्रिया की जानकारी।
Breast Self-Exam Procedure स्तन स्व-परीक्षण करने की विधि
पहला चरण:
दर्पण के सामने खड़े हों। फिर दोनों कंधे को सीधे रखते हुए दोनों हथेलियों को कमर पर रखें।अब स्तनों की जाँच करने के क्रम में निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान दें :
- दोनो स्तनों के आकार और त्वचा के रंग पर ध्यान दें।
- स्तनों में किसी प्रकार की सूजन, डिम्पल/गड्ढा, उभड़ापन, लाली,सूजन, फुंसी आदि की जाँच करें।
- फिर दोनों निप्पल के आकार में अंतर पर ध्यान दें जैसे – एक निप्पल बाहर की बजाय अंदर की ओर धँसा हुआ तो नहीं है।
यदि इनमें से कोई भी एक विकृति का अनुभव हो, तो चिकित्सक से परामर्श करें।
दूसरा चरण :
दर्पण के सामने दोनो हाथों को ऊपर करके खड़े हों।फिर पहले चरण पर ध्यान दिए गए बिंदुओं पर दोबारा ध्यान दें।
तीसरा चरण:
- दर्पण के सामने खड़े होकर स्तनों के दोनो निप्पल का निरीक्षण करें।
- स्तनों के एक या दोनो निप्पल में से पानीदार, दूधिया या पीला तरल पदार्थ या ख़ून निकालने के लक्षण होने की सम्भावना की जाँच करें।
यदि स्तनों के निप्पल से किसी प्रकार के स्त्रव होने की सम्भावना प्रतीत हो, तो चिकित्सक से परामर्श करें।
चौथा चरण :
पीट के बल लेट कर बायें हाथ को सिर के ऊपर रखें फिर बाएँ कंधे के नीचे तकिया या तौलिया मोड़ कर रखें और दाहिने हाथ से बाएँ स्तनों की जाँच करें।इसी प्रकार दाहिने हाथ को सिर पर रखे और दाहिने कंधे के नीचे तकिया रखें।अब बायें हाथ से दाहिने स्तनों की जाँच करें।
लंबवत गति में उँगलियों को घुमाएँ
- हाथ के तीन उँगलियों को जोड़ कर पैड नुमा आकार बनायें।
- फिर उँगलीयों को स्तन के ऊपरी बाहरी सतह से घुमाते हुए निचली सतह तक लाएँ।
- फिर गोलाकार गति से घुमाते हुए निप्पल तक मध्य में लाएँ और फिर लंबवत उँगलियों को गुमाते हुए वापस स्तन के ऊपरी सतह तक ले जाएँ।
गोलाकार गति में उँगलियों को घुमाएँ
- उँगलियों के समतल भाग का उपयोग करते हुए स्तनों के बाहरी किनारे से गोलाकार गति में हाथ घुमाएँ।
- हाथ को अपनी जगह से उठाए बिना गोला छोटा फिर और छोटा करते हुए निप्पल के चारों तरफ़ हल्के-हल्के उँगलियों को घुमाएँ।
- उँगलियों को पैड के आकार में रखते हुए गोलाकार गति से घुमाने के क्रम में निप्पल के नीचे गाँठ की जाँच करना न भूलें।
स्तनो के आसपास विस्तृत क्षेत्र को कवर करें
- उँगलियों को स्तनों के बाहरी सतह से घुमाते हुए निप्पल तक ले जाएँ और फिर वापस बाहरी सतह तक ले जाते हुए घुमाए। इस तरीक़े से उँगलियों को घुमाते हुए स्तनों को महसूस करने के क्रम में उँगलियों को अपनी जगह पर रखना है। यानी ऊपर की ओर नहीं उठाना है।
- इसी विधि से उँगलियों को घुमाने का क्रम जारी रखते हुए ब्रेस्टबोन, कॉलरबोन, ऊपरी छाती क्षेत्र और ब्रा लाइन के साथ -साथ स्तनों के किनारे के क्षेत्र अंडरआर्म में गाँठों को महसूस करने की जाँच करना है।
जाँच करने दौरान स्तनों में असामान्य गाँठ, माँस की मोती पर्त आदि के महसूस होने पर चिकित्सक से परामर्श करना आवश्यक है।
पाँचवा चरण:
- चिकित्सकों के अनुसार मासिक धर्म के बाद पाँचवे से दसवें दिन के बीच का समय स्तन स्व -परीक्षण के लिए उपयुक्त रहता है। अतः इनमें किसी एक दिन का निर्धारण करने के बाद प्रति माह उसी दिन स्तन परीक्षण करने से स्तन में किसी असामान्य बदलाव का पता लगाने में मद्द मिलती है। जिन महिलाओं का मेन्यूपॉज़ हो गया हो वो महीने की किसी एक तारीख़ का निर्धारण कर प्रति माह उसी तारीख़ को स्तन स्व -परीक्षण कर सकती हैं।
- चौथे चरण की जाँच करते वक़्त अपने बाएं हाथ को अपने सिर के ऊपर रखकर अपनी पीठ के बल लेट जाएं।
- आपने बाएं कंधे के नीचे एक तकिया या मुड़ा हुआ तौलिया रखें।
- यह स्थिति स्तन को समतल करती है जिससे स्तनों में किसी प्रकार के गाँठ या सिस्ट का पता लगाने में मद्द मिलती है।
- स्तन स्व- परीक्षण करने के क्रम में हाथ में बॉडी लोशन का उपयोग किया जा सकता है।
स्तन स्व -परीक्षण से करते रहने की सलाह देने का उद्देश्य स्तनों के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता को बढ़ाना है जिससे स्तन में होने वाले किसी असामान्य बदलाव होने के कारण का पता चलता रहे और बीमारी बढ़ने के शुरुआती लक्षण को पकड़ा जा सके।किंतु स्व- परीक्षण के अलावा 20-30 वर्ष की युवतियों को 3 वर्ष के अंतराल में और 50-70 वर्ष की महिलाओं को प्रति वर्ष मैमोग्राफी करवाने की सलाह का पालन करना भी आवश्यक है।
लेख का स्त्रोत :
NATIONAL BREAST CANCER FOUNDATION.INC
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