Kadha/Decoction for the relief of viral fever वायरल बुखार से राहत के लिए काढ़ा

Kadha/Decoction for the relief of viral fever वायरल बुखार से राहत के लिए काढ़ा
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साप्ताहिक डायरी भाग – 9

दोस्तों आज सात्विक जीवन का साक्षात्कार कराती डायरी के नौवें भाग से आपका परिचय करवाने जा रही हूँ। पिछले भाग में आप मेरे साथ योग में धारणा/ Assumption के महत्व के रोमांचक सफर के अनुभव में शामिल हुए थे।आप सभी के स्नेह और उत्साहवर्धन के लिए मैं ह्रदय से आभारी हूँ।

इस अंक में मेरे अब तक के अनुभव में आये एवं आजमाए हुए घरेलू नुस्खो की पिटारी में से वायरल फीवर के अनमोल नुस्खे का परिचय कराने जा रही हूँ।

दोस्तों, मौसम बदलने के साथ हीं वातावरण में बैक्टीरिया का संक्रमण सक्रीय हो जाता है। वातावरण में हुए इस परिवर्तन के कारण हमारे रोग प्रतिरक्षा प्रणाली में भी परिवर्तन होता है। जिसके कारण शरीर में वायरल संक्रमण होने की संभावना बढ़ जाती है। यदि घर में बुजुर्ग या बीमार व्यक्ति हों, तो उन्हें संक्रमण का खतरा अधिक रहता है। किसी गंभीर रोग से पीड़ित व्यक्ति वायरल संक्रमण से जल्दी संक्रमित हो जाते है।

यदि मौसम बदलने के साथ खाँसी, जुखाम, कफ, सिर दर्द, माँसपेशियों में दर्द, साँस की नली में सूजन, आँखे लाल हो जाना एवं आँखों में जलन होना आदि हो, तो ऐसे में बुखार होना स्वाभाविक है। इस स्थिति में बुखार की दवा के साथ घरेलू उपचार बहुत कारगर साबित होतें हैं।

आजकल विशेष रूप से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए घरेलू काढ़े का सेवन करना आवश्यक हो गया है। आज सम्पूर्ण मानव जाति कोविड 19 महामारी से जूझ रही है। इस वायरस संक्रमण से बचाव करने के लिए भी काढ़े का सेवन करना जरुरी हो गया है।

दरअसल शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने के कारण रोगों से संक्रमित होने की सम्भावना बढ़ जाती है। तो आइये दोस्तों शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए काढ़ा बनाने की विधि देखे।

 

वायरल बुखार के उपचार के लिए काढ़ा बनाने की विधि 

Basil Leaves Kadha  तुलसी का काढ़ा 

सामग्री :

  • 10 लौंग का पाउडर
  •  25- 30 तुलसी की पत्तियाँ
  •  एक लीटर पानी 

बनाने की विधि:

सभी सामग्री को पानी में उबल कर आधा हो जाने पर छान कर गर्म हीं चाय की तरह पीने के लिए प्रयोग करना है तुलसी  की पत्तियों का काढ़ा चाय की तरह दिन में तीन -चार बार पीने से वायरल संक्रमण के कारण हुए खाँसी, जुखाम एवं बुखार में राहत मिलती है। 

 दरअसल तुलसी की पत्तियों में एंटीबैक्टीरियल गुण होने के कारण वायरल संक्रमण से राहत मिलती है। लौंग की तासीर गर्म होने के कारण कफ आसानी से बाहर निकल जाती है। इस काढ़ा को पीने से शरीर में पानी की मात्रा का संतुलन बना रहता है एवं बुखार जल्दी ठीक होती है। 

Ginger ka Kadha अदरक का काढ़ा 

सामग्री :

  • अदरक का टुकड़ा – 4 इंच 
  •  कच्ची हल्दी का टुकड़ा – 1 इंच
  • काली मिर्च – 20 दाने

बनाने की विधि:

सभी सामग्री को कूट कर एक लीटर पानी में उबालिए। उबलने पर पानी की मात्रा आधी होने के बाद छान लीजिये। फिर चाय की तरह गर्म हीं पीने के लिए प्रयोग करना है।अदरक, हल्दी एवं काली मीर्च का काढ़ा पीने से वायरल संक्रमण में लाभ प्राप्त होता है। इस काढ़े को चाय की तरह दिन में तीन -चार बार पीना चाहिए। इससे वायरल संक्रमण के कारण साँस की नली की सूजन ठीक हो जाती है। 

हल्दी एंटी बैक्टीरियल होने के कारण वायरल संक्रमण को दूर करती है। काली मिर्च की तासीर गर्म होने के कारण खाँसी – जुखाम में लाभ होता है। अदरक में सूजन को कम तथा गले की खराश से भी राहत दिलाने के गुण पाए जाते हैं। 

Use of Raw Garlic कच्चे लहसुन का सेवन 

लहसुन में एंटीबैक्टीरियल एवं एंटीफंगल गुण पाई जाती है। वायरल संक्रमण के कारण खाँसी, जुखाम होने पर कच्चे लहसुन की एक कलि दिन में दो बार चबा कर खाने से खाँसी एवं जुखाम में तुरंत राहत मिलती है। 

ध्यान रहे कच्चे लहसुन का प्रयोग सुबह खाली पेट एवं रात में खाना खाने के तीन घंटे पहले या बाद में करने से लाभ प्राप्त होता है। 

Coriander seeds ka Kadha धनिया के बीज का काढ़ा 

सामग्री :

  • धनिया बीज – 2 बड़े चम्मच 
  • पानी – 2 बड़े गिलास 

बनाने की विधि:

धनिया के बीज को पानी के साथ उबालने पर जब पानी की मात्रा आधी रह जाए, तो छान कर गर्म हीं चाय की तरह पीने से वायरल बुखार में राहत मिलती है। दरअसल धनिया के बीज का काढ़ा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहायक होता है। जिससे वायरल संक्रमण जल्दी ठीक हो जाती है। 

Corona Infection se bachav ke liye Kadha कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए काढ़ा

लाइव हिंदुस्तान समाचार पत्र द्वारा लिए गए साक्षात्कार में “गया” शहर के सिविल हॉस्पिटल में कार्यरत आयुर्वेदिक डाक्टर संतोष कुमार गुप्ता द्वारा रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए जड़ी-बूटी से बने काढ़े के सेवन की विधि निम्नलिखित है :

सामग्री :

  • अदरक का रस – 1 चम्मच
  • लहुसना का रस – 1 चम्मच
  • शहद  – 1 चम्मच

सेवन की विधि :

सभी सामग्री को मिश्रित कर के एक काँच की शीशी में रख लें इस मिश्रण का 5 ml/ एक चाय के चम्मच जितनी मात्रा दिन में दो बार सेवन करें।

इसके अलावा खाँसी- कफ़ से बचने के लिए  शुंठी , पिपली, मरिच , तुलसी, गिलोय की बराबर मात्रा मिलाकर काढ़ा बनाने के बाद गर्म -गर्म हीं चाय की तरह सेवन करें।

यदि कोरोना वायरस से संक्रमण के लक्षण मिले तो निम्नलिखित विधि को अपनाए :

  • अश्वगंधा चूर्ण 3 ग्राम पिप्पलादि घृत के साथ मिला कर गुनगुनाए पानी से लेना चाहिए।
  • इस मिश्रण को दिन में दो बार लेना चाहिये।

अब मैं अपनी डायरी के पन्नों में संजोये वायरल फीवर के उपचार की अचूक जड़ी -बूटी गिलोय के उपयोग की विधि आपके साथ शेयर कर रहीं हूँ

दोस्तों गिलोय एक आयुर्वेदिक औषधि है। इसके अमृत के सामान गुण के कारण संस्कृत में गिलोय को अमृता के नाम से जाना जाता है। गिलोय के सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है। इसकी तासीर गर्म होती है। जिसके कारण सर्दी -जुखाम एवं कफ की समस्या से होने वाले वायरल बुखार में गिलोय का काढ़ा/चूर्ण का सेवन करना बहुत कारगर सिद्ध होता है।

आयुर्वेद में गिलोय औषधि का उपयोग सभी प्रकार के बुखार के उपचार के लिए किया जाता है। इसके अतिरिक्त गिलोय के साथ भिन्न- भिन्न प्रकार की जड़ी -बूटी को मिलाकर रोगों के उपचार के लिए प्रयोग करने की सलाह वैद्य/डॉक्टर देते हैं।

गिलोय से वायरल बुखार, पुराना बुखार, बहुत पसीना आना, पीलिया रोग, सूजन, एनीमिया, रक्त की शुद्धि, ल्युकेरिया के उपचार के लिए किया जाता है। इस जड़ी बूटी को तीन प्राकर से सेवन किया जा सकता है। जैसे – गिलोय का सत्व, गिलोय पाउडर/चूर्ण और गिलोय का काढ़ा।

Giloy ka kadha  वायरल बुखार होने पर गिलोय की सेवन विधि

गिलोय के चूर्ण /पाउडर सेवन की विधि

  • सर्दी- जुखाम,कफ के साथ बुखार होने पर गिलोय के पाउडर में शहद मिलाकर गोली बनाने के बाद पानी से निगल लेना चाहिए।
  • एक व्यस्क के लिए एक चाय की चम्मच गिलोय पाउडर को शहद में मिलाकर लेना ठीक रहता है।

गिलोय का काढ़ा सेवन की विधि

सामग्री :

  • गिलोय का तना – 1 फुट लम्बा
  • पानी – 4 कप

बनाने की विधि :

गिलोय के ताने के छोटे -छोटे टुकड़े काटने के बाद पानी में भोगो कर रात भर के लिए छोड़ देना है। फिर सुबह मिश्रण को उबलने के लिए रखना है। जब चार कप मिश्रण उबल कर एक कप शेष रह जाए, तो मिश्रण को छान कर रख लें।

इस काढ़े को दिन में दो बार आधा कप सुबह और आधा कप शाम में पीने के लिए प्रयोग करें।

 

नोट : किसी भी बीमारी के इलाज के लिए कोई भी जड़ी -बूटी का उपयोग करने से पहले डॉक्टर /वैद्य से सलाह लेना आवश्यक है। क्योंकि डॉक्टर रोगी के (वात, पित्त, कफ) प्रकृति की जाँच एवं मेडिकल हिस्ट्री के आधार पर औषधि को लेने की मात्रा एवं विधि का निर्धारण करते हैं। इस लेख में बताये गए सभी नुस्खे केवल जड़ी -बूटियों के फायदे की जानकारी उपलब्ध कराने के मकसद से लिखे गए हैं।

 

 

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