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दोस्तों, पेट दर्द की समस्या एसिडीटी, पेट में गैस, दस्त/डायरिया आदि कारणों से होना कोई गम्भीर समस्या नहीं है।किंतु कुछ विशेष प्रकार के पेट दर्द के लक्षणों के आधार पर समस्या गम्भीर रोग से सम्बंधित हो सकती है।
हालाँकि पेट के नीचले भाग में स्थित गुदा/ रेक्टम का कैंसर जिसे कोलन कैंसर कहते हैं अथवा अपेंडिसाइटिस का दर्द शुरुआत में मामूली होता है।अपेंडिक्स बड़ी आँत के ऊपर एक थैली जैसा अंग होता है, जिसमें मवाद भरने के कारण सूजन आ जाती है।इसे हीं अपेंडिसाइटिस/Appendicitis रोग कहते हैं।इन दोनों प्रकार के रोग के शुरुआती चरण में मामूली पेट दर्द होता है, जबकि ये समस्याएँ गम्भीर रोग की श्रेणी में आती हैं।
इसके विपरीत वायरल गैस्ट्रोएंटेराइटिस के कारण गैस या पेट में ऐंठन होने पर आपको पेट में बहुत तेज दर्द हो सकता है।जबकि पेट की इस समस्या का उपचार घर पर हीं किया जा सकता है।
अतः केवल पेट दर्द की तीव्रता के आधार पर रोग की गम्भीरता का पता लगाना आम इंसान के लिए मुमकिन नहीं है।किंतु पेट दर्द के साथ अन्य लक्षण दिखाई देने पर समस्या की गम्भीरता का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।जिसका पता होना हम सभी के लिए आवश्यक है, जिससे रोग के शुरुआती चरण पर हीं रोकथाम के लिए चिकित्सक से परामर्श लिया जा सके। इस लेख के माध्यम से पेट दर्द के सम्भावित कारणों की जानकारी आप के साथ शेयर कर रही हूँ।
पेट के हिस्से में दर्द के आधार पर रोग की पहचान Identification of the disease on the basis of abdominal part pain
सामान्य कारण – पेट के आधे से अधिक हिस्से में दर्द होने का कारण अपच, गैस या वाइरस संक्रमण हो सकता है।यदि दर्द असहनीय हो जाए, तो पाचन क्रिया में पचाया हुआ भोजन आँतों के माध्यम से गुज़रने में बाधा उत्पन्न होने जैसा कारण हो सकता है, जिसके उपचार के लिए चिकित्सक से परामर्श लेना आवश्यक है।
पेट में एठन के साथ दर्द होना – इस प्रकार का दर्द पेट में सूजन और गैस से सम्बंधित हो सकता है।इस प्रकार के दर्द के साथ अक्सर दस्त की समस्या होती है। इसमें हल्का बुखार भी हो सकता है और पेट में दर्द एक दिन से ज़्यादा भी रहने की सम्भावना हो सकती है।हालाँकि ज़्यादातर मामलों में इस प्रकार के पेट दर्द किसी गम्भीर समस्या का संकेत नहीं होता है।
पेट के एक स्थान पर दर्द होना – यदि पेट के किसी एक हिस्से तक दर्द सीमित रहता हो, तो पेट किसी विशेष अंग में समस्या का संकेत हो सकता है, जैसे – अपेंडिसाइटिस, आँत अथवा पित्ताशय की थैली आदि।
कोलिक दर्द – इस प्रकार का दर्द अक्सर अचानक शुरू होता है और अपने आप ठीक भी हो जाता है।इस प्रकार का पेट दर्द ज़्यादातर भोजन करने के बाद या रात में सोने के समय के आस पास शुरू होता है, जो कि असहनीय होता है। ऐसे दर्द का सम्बंध पित्त की थैली में पथरी या गुर्दे की पथरी से हो सकता है।
पेट दर्द के कारण Causes of Stomach Pain
पेट दर्द के अनेक साधारण और गम्भीर कारण हो सकते हैं। साधारण कारणों में पेट में क़ब्ज़, वाइरस संक्रमण, अपच और महिलाओं में माहवारी का दर्द आदि शामिल है। इसके अतिरिक्त पेट दर्द के कुछ अन्य गम्भीर कारण निम्नलिखित हैं:
पेप्टिक अल्सर/ Peptic ulcer
जब पेट में पाचन क्रिया के दौरान बंने वाला एसिड पाचन तंत्र की सतह को नुक़सान पहुँचाता है, तो पेट की ऊपरी पर्त या छोटी आँत के ऊपरी हिस्से में घाव विकसित होने लगता है, जिसे पेप्टिक अल्सर कहते हैं।पेप्टिक अल्सर का कारण बैक्टीरिया या लम्बे समय तक दर्द निवारक दवाओं का सेवन करना है।इसके अतिरिक्त ज़्यादा शराब या धूम्रपान करने के वालो को पेप्टिक अल्सर की शिकायत होने की सम्भावना अधिक होती है।
इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम /Irritable bowel syndrome
ये बड़ी आँत का रोग है।इस रोग के लक्षणों में पेट में दर्द, गैस, क़ब्ज़, सूजन एवं दस्त शामिल है।इस रोग के स्पष्ट कारण का अभी तक पता नही चल सका है। केवल लक्षणों के आधार पर चिकित्सक रोग पर नियंत्रण पाने के लिए भोजन एवं जीवनशैली में बदलाव करने और तनाव दूर करने की सलाह देते हैं।
फ़ूड पॉज़ॉनिंग / Food Poisoning
बैक्टीरिया, वाइरस संक्रमण, परजीवी से संक्रमित अथवा दूषित विषाक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से फ़ूड पॉज़ॉनिंग की शिकायत हो जाती है। इस रोग में पेट -दर्द, मतली, उलटी और दस्त की शिकायत होती है।इस रोग में शरीर में पानी की कमी को पूरा करने के लिए ओआरएस घोल का सेवन करते रहना आवश्यक ताकि शरीर में पानी कमी न हो। ये आमतौर पर अपने आप ठीक हो जाती है। किंतु गम्भीर मामलों में यदि दस्त के साथ ख़ून आने पर या हालत में सुधार तीन दिन के अंदर ना होने पर डॉक्टर से परामर्श करना आवश्यक है।
पेट का फ़्लू /Stomach Flu
ये रोग आँतों में वायरल संक्रमण के कारण होता है, इसे स्टमक वाइरस/ stomach virus रोग भी कहते है।इस रोग से संक्रमित व्यक्ति के झूठे बर्तन,पानी या शौचालय के सम्पर्क में आने के माध्यम संक्रमण फैलने का ख़तरा रहता है। इस रोग के लक्षण में उलटी, दस्त, पेट -दर्द, मतली, हल्का बुखार, सिर दर्द आदि शामिल है।इसमें शरीर में पानी की कमी नहीं होने देने का ख़याल रखना चाहिए। किंतु बुखार, उलटी के साथ -साथ माल में ख़ून आने पर डॉक्टर से परामर्श करना आवश्यक है।
लैक्टोज इंटॉलरेन्स / Lactose Intolerance
डेयरी उत्पादों में मौजूद लैक्टोज की मात्रा को नहीं पचा पाने के कारण शरीर में लैक्टोज एंजाइम की कमी हो जाती है, जिसके कारण पेट फूलना, दस्त, पेट में मरोड़ के साथ दर्द आदि की समस्या का सामना करना पड़ता है। इस रोग के उपचार में डेयरी उत्पादों और डेयरी उत्पाद के मिश्रण से बने खाद्य या पेय पदार्थों के सेवन से बचने की सलाह दी जाती है।
श्रोणि में सूजन /Pelvic Inflammatory Disease
यह यौन संचारित रोग है, इसमें महिला प्रजनन अंगों में संक्रमण के कारण सूजन आ जाती है, जिसके फलस्वरूप पेट के निचले हिस्से में दर्द, बुखार, असामान्य स्त्राव और यौन सम्बंध बनाने के दौरान रक्तस्त्राव हो सकता है। इस बीमारी का उपचार डॉक्टर एंटीबायोटिक दवाओं के द्वारा करते हैं।
खाद्य पदार्थों से एलर्जी/ Food Allergy
जब किसी विशेष खाद्य पदार्थ का सेवन करने के बाद शरीर की रोगप्रतिरक्षा प्रणाली उसे शरीर को नुक़सानदायक समझ कर बचाव करने के लिए प्रतिक्रिया करने लगती है, तो पेट में दर्द के साथ गले और मुँह के अंदर सूजन, झुनझुनी जैसे लक्षण उत्पन्न हो सकते है। समस्या गम्भीर होने पर सदमे या मौत का कारण भी बन सकती है।एलर्जी का प्रभाव कम होने पर दवा से उपचार सम्भव है, किंतु गम्भीर मामलों में एपीनेफ़्रीन दवा के इंजेक्शन देने के माध्यम से उपचार किया जाता है।
अपेंडिक्स / Appendicitis
अपेंडिक्स बड़ी आँत की के ऊपरी सतह पर एक थैली नुमा अंग होता है। इस अंग में मवाद भरने के कारण सूजन आ जाती है, जिसके कारण नाभि के आसपास दर्द शुरू होकर पेट के नीचले दाएँ हिस्से तक फैल जाता है। इस रोग में पेट में दर्द, मितली, उल्टी, ठंड लगना, बुखार, भूख न लगना जैसे लक्षण शामिल हैं।इस रोग का इलाज एंटीबायोटिक दवा है, गम्भीर मामलों में ऑपरेशन करना आवश्यक हो जाता है।
पित्त सम्बंधी पेट का दर्द / Gallbladder Attack
जब पित्त रस में बनी पथरी पित्त रस के साथ पाचन क्रिया के दौरान आगे बढ़ने के क्रम में लिवर, अगन्याशय, पित्ताशय और छोटी आँत के बीच नलिकाओं में रुकावट पैदा करने का कारण बनती है, जिसके फलस्वरूप पेट में दर्द होने लगता है, ये दर्द अचानक उठता है और ख़ुद हीं समाप्त भी हो जाता है। किंतु दर्द के कई घंटों तक बने रहने पर डॉक्टर से परामर्श करना आवश्यक है। पथरी बढ़ जाने पर तुरंत ऑपरेशन की आवश्यकता पड़ती है। इस रोग में पेट -दर्द, मितली, उल्टी, बुखार जैसी शिकायत होती है। इसके अतिरिक्त गम्भीर मामलों में माल एवं पेशाब के रंग में बदलाव देखा जा सकता है।
हर्नीया /Hernia
इस रोग में आँतों का एक भाग पेट की किसी कमज़ोर स्थान या पेट की नीचली दीवार को फाड़ कर बाहर निकाल आता है, जिसके कारण इस भाग में रक्त की आपूर्ति नहीं हो पाती है। जिसके फलस्वरूप पेट में गम्भीर दर्द होता है। हर्निया का उपचार ऑपरेशन से सम्भव होता है।
क़ब्ज़ /Constipation
यदि सप्ताह में तीन बार से कम मल त्याग करते हैं, तो मल सूखने के कारण सख़्त हो जाती है। फलतः पेट में गैस, मितली और पेट -दर्द की शिकायत हो जाती है। इस रोग से बचाव के लिए व्यायाम, ज़्यादा पानी पीने और फ़ाइबर युक्त आहार का सेवन करना चाहिए। यदि क़ब्ज़ की समस्या में अधिक गम्भीर होने पर डॉक्टर से परामर्श करना आवश्यक है।
अग्नाशयशोथ /Pancreatitis
अगन्याशय पेट के निचले हिस्से में मौजूद अंग होता है। इस अंग में सूजन आने को अग्नाशयशोथ रोग कहते है। अगन्याशय में सूजन आने का कारण पित्त में पथरी या लम्बे समय तक बहुत ज़्यादा शराब का सेवन करना हो सकता है। इस रोग के लक्षणों में पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द, मितली, उल्टी शामिल है। रोग के उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती होना आवश्यक होता है।
माहवारी का दर्द /Painful Menstrual Periods
माहवारी के दौरान ज़्यादा रक्त निकलने, बच्चेदानी में फ़ाइब्रोईड या किसी बीमारी के वजह से रक्त का थक्के निकलने आदि कारणों से पेट में तेज़ दर्द की समस्या हो सकती है। हालाँकि माहवारी के दौरान होने वाले पेट दर्द का संबंध किसी गम्भीर बीमारी से न होकर पेट में गैस, क़ब्ज़ आदि कारणों से भी हो साकती है।
मूत्र मार्ग संक्रमण/ Urinary tract infection
यह बीमारी जयदतर महिलाओं में देखी जाती है, इस रोग में मूत्र प्रणाली में संक्रमण हो जाता है,जिसके फलस्वरूप किडनी, मूत्र मार्ग, मूत्राशय में संक्रमण हो सकता है। इस रोग के लक्षणों में पेट के नीचले हिस्से में दर्द, मितली, पीठ में दर्द, उल्टी, बुखार जैसे शुरुआती लक्षण शामिल हैं।
लेख का स्त्रोत :
CDC: Pelvic inflammatory disease
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