Yoga for stress relief तनाव दूर करने में सहायक योगासन

Yoga for stress relief तनाव दूर करने में सहायक योगासन
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योग शरीर एवं मन को स्वस्थ रखने की क्रिया है। योग नियमों का पालन करने से आजीवन तन – मन को स्वस्थ बनाये रखना संभव है। योगासन का उद्देश्य शरीर को लचीला,स्फूर्तिवान बनाना है, वहीं प्राणायाम का सम्बन्ध श्वासों पर नियंत्रण बनाने में सक्षम होना है।

योग भारतीय संस्कृति की धरोहर है। छठी शताब्दी ईसा पूर्व से हमारे उपनिषदों में योग मुद्राओं का उल्लेख मिलता है। आयर्वेदिक चिकित्सा पद्धति में योगासन, प्राणायाम, आहार -विहार के समन्वय से रोगों के उपचार की प्रक्रिया अपनायी जाती है।

आयुर्वेद में शरीर में सभी बीमारियों का जड़ वात, पित्त एवं कफ में असंतुलन को माना जाता है। तनाव की स्थिति में शरीर में वात का प्रभाव बढ़ जाता है। जिसके परिणामस्वरूप कब्ज, एसिडिटी, शरीर की माँसपेशियों में दर्द जैसी स्वास्थ्य समस्या पैदा होती है। तनाव की स्थिति लम्बे समय तक बने रहने पर ये स्वास्थ्य विकार हार्मोनल असंतुलन का कारण बनते हैं। जिससे मधुमेह रोग,हाई ब्लडप्रेशर, ह्रदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है।

शोध अध्ययनों के अनुसार

” सभी प्रकार के शारीरिक व्यायाम अथवा योगासन करने से एंडोर्फिन रसायन की सक्रियता बढ़ जाती है। एंडोर्फिन एक प्रकार का हार्मोन है, जो स्ट्रेस के दौरान सक्रीय होने वाले हार्मोन के प्रभावहीन करने का काम करता है। एंडोर्फिन को हैप्पी हार्मोन के नाम से भी जाना जाता है। ये शरीर के दर्द, तनाव को दूर करता है।”

 

How yoga is effective in relieving stress? तनाव दूर करने में योगासन कैसे प्रभावी होता है?

The International Journal of Indian Psychology के अनुसार-

योगासन में श्वाँस अंदर लेने और छोड़ने की प्रक्रिया के साथ ही शारीरिक व्यायाम की क्रिया अपनायी जाती है। श्वाँस अंदर लेकर रोकने और बाहर छोड़ने की प्रक्रिया नियोजित ढंग करने की प्रक्रिया को योग में प्राणायाम कहते हैं। श्वाँस पर ध्यान केंद्रित करने से मन के विचारों को नियंत्रित करने में भी मदद मिलती है। अतः सामान्य व्यायाम की अपेक्षा विभिन्न प्रकार के योगासन शरीर की माँसपेशियों को रिलैक्स करने एवं मन को तनाव मुक्त करने में ज्यादा कारगर साबित होते हैं।

तनाव की स्थिति उत्पन्न होने पर ह्रदय की धड़कन बढ़ना, माँसपेशियों में अकड़न,सिर  दर्द, गर्दन एवं कंधे में दर्द, पेट में गैस, अनिद्रा, कब्ज आदि की समस्या बढ़ जाती है। इन सभी समस्याओं को योगासन के नियमित अभ्यास से दूर किया जा सकता है। आइये देखें योग विशेषज्ञों द्वारा बताये गए तनाव दूर करने में सहायक 5 योगासन के लाभ एवं  करने की विधि की जानकारी।

 

बालासन Child Pose 

विधि :

  • रीढ़ की हड्डी सीधी रखते हुए वज्रासन में बैठें।
  • दोनों हाथों को ऊपर ले जाते हुए श्वाँस अंदर लें।
  • फिर श्वाँस छोड़ते हुए कमर को आगे की ओर झुकाते हुए सिर को योगा मैट पर रखने की कोशिश करें और दोनों हाथों को योगा मैट पर सिर के दोनों ओर सीधे रखें।
  • अपनी क्षमता अनुसार 15 – 30 सेकेण्ड तक इसी मुद्रा में शरीर की स्थिति बनाये रखें।
  • इसके बाद वापस पूर्व अवस्था में आ जायें।

 

लाभ :

  • मस्तिष्क शाँत होता है।
  • गर्दन के पिछले भाग और कंधे के दर्द में आराम पहुँचता है।
  • मानसिक तनाव और थकान दूर होती है।

 

सावधानियाँ :

घुटने में दर्द, डायरिया, गर्भावस्था और हाई ब्लडप्रेशर की समस्या होने पर बालासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।

 

मार्जरी आसन Cat Pose 

 

विधि :

  • दोनों हाथों और दोनों घुटनों पर शरीर का भार रखते हुए जानवर की मुद्रा बनाएं।
  • फिर साँस बाहर छोड़ते हुए सिर को छाती की तरफ झुकायें। इस मुद्रा के दौरान पेट की माँसपेशियाँ अंदर की तरफ खींचने से रीढ़ की हड्डी में खिंचाव आएगा।
  • फिर साँस अंदर भरते हुए सिर को ऊपर की तरफ ले जायें। इस मुद्रा के दौरान छाती में खिंचाव आएगा।
  • इसी प्रक्रिया को दोहराते हुए अपनी क्षमता अनुसार मार्जरी मुद्रा का अभ्यास करें।

 

लाभ :

  • कंधे, गर्दन और कलाइयों को मजबूत बनाता है।
  • पाचन शक्ति में सुधार होता है।
  • मानसिक तनाव दूर होता है।
  • रक्त परिसंचरण में सुधार होता है।

 

सावधानी

गर्दन में दर्द या चोट होने पर इस मुद्रा का अभ्यास नहीं करना चाहिए।

 

 

सुप्त बद्ध कोणासन Supine Bound Angle

 

विधि :

  • योगा मैट पर पीठ के बल लेटकर दोनों हाथों को फैलाते हुए हथेली को छत की तरफ रखें।
  • दोनों पैरों से कोण बनाते हुए दोनों तलवों को एक साथ जोड़ें।
  • यदि इस मुद्रा में दोनों जाँघों पर ज्यादा दबाव महसूस हो रहा हो, तो दोनों घुटनों के नीचे टॉवल या छोटे तकिया को रखा जा सकता है।
  • अब इसी मुद्रा में स्थित रहते हुए साँस अंदर खींचे और बाहर छोड़े।
  • फिर पैरों को सामान्य स्थिति में लाने के बाद करवट लेते हुए सामान्य अवस्था में आ जायें।

 

लाभ :

  • अनिद्रा की समस्या दूर होती है।
  • मन एकाग्र और शाँत होता है।
  • कब्ज, अपच, गैस की समस्या नहीं होती है।
  • कमर दर्द, माइग्रेन के दर्द में आराम मिलता है।

 

सावधानी :

  • कमर दर्द, घुटनो के दर्द, रीढ़ की हड्डी में दर्द, गर्दन में दर्द की शिकायत होने पर इस योगासन को नहीं करना चाहिए।
  • हाई ब्लडप्रेशर और ह्रदय रोग की शिकायत होने पर सुप्त बद्ध कोणासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।

 

 

अधोमुख श्वानासन Downward Facing Dog Face

 

 

 

विधि :

  • शरीर का भार दोनों हाथ और दोनों पैरों पर रखते हुए मेज की मुद्रा बनाएं।
  • फिर साँस बहार छोड़ते हुए कमर को ऊपर उठाते हुए “V” आकार की मुद्रा बनाने के क्रम घुटनो और कोहनियों को सीधा रखें।
  • इस मुद्रा में गले को तना हुआ एवं दोनों बाजुओं को कानों से स्पर्श करते हुए हथेलियों को जमीन पर जमाये रखें।
  • अब गहरी श्वाँस लेते हुए आँखों को नाभि पर केंद्रित रखें।
  • अधोमुख श्वानासन की मुद्रा में कुछ सेकेंड बने रहें।
  • फिर साँस बाहर छोड़ते हुए “V” आकार से शरीर को मेज की मुद्रा में लाएं।
  • इस प्रकार इस आसन को अपने सामर्थ्य अनुसार दोहराते हुए अभ्यास करें।

 

लाभ :

  • अनिद्रा, पीठ दर्द, सिर दर्द में राहत पहुँचता है।
  • पाचन तंत्र में सुधार होता है। जिससे कब्ज,अपच एवं गैस की समस्या नहीं होती है।
  • बाँहों और टाँगों की माँसपेशियाँ मजबूत बनती है।
  • दिमाग शाँत होता है तनाव की समस्या दूर होती है।

 

सावधानी :

हाई ब्लडप्रेशर, आँखों से सम्बंधित समस्या एवं डायरिया की शिकायत होने पर अधोमुख श्वानासन नहीं करना चाहिए।

 

 

सिंहासन Lion Pose 

 

 

 

विधि :

  • वज्रासन में बैठकर दोनों घुटनो के बीच दूरी बनाते हुए फैलाये। इस स्थिति में आने पर दोनों पैरों की अंगुलियां आपस में स्पर्श करते हुए रखना है।
  • इसके बाद दोनों हाथों की हथेलियों को घुटनो के बीच की जगह में रखने के क्रम में हाथों की अँगुलियाँ पेट की तरफ रखें।
  • अब शरीर को आगे की ओर झुकाते हुए भार बाजुओं पर टिकाये और गर्दन को ऊपर की ओर उठाकर रखें।
  • इस स्थिति में बने रहते हुए आँखों को बंद रखते हुए आज्ञा चक्र पर केंद्रित करें।
  • इस प्रकार मुद्रा बनाते हुए मुँह बंद रखें और साँसो की गति सामान्य रूप से बनाये रखें।

 

लाभ :

  • मानसिक तनाव एवं अवसाद को कम करता है।
  • चेहरे की त्वचा में रक्त परिसंचरण में सुधर होता है। जिससे चेहरे पर असमय पढ़ने वाली झुर्रियों की समस्या दूर होती है।
  •  गर्दन की मांसपेशियों को रिलैक्स करता है।
  • हकलाने की समस्या दूर होती है।

 

सावधानियाँ :

घुटनो अथवा जाँघो की माँसपेशियों में दर्द होने पर सिंहासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।

 

 

अस्वीकरण :

लेख में दिए योगासन से तनाव दूर करने में मदद मिलती है किन्तु किसी भी बीमारी, चोट के कारण दर्द , माँसपेशियों अथवा हड्डियों के दर्द की समस्या होने पर योगासन करने से पहले योग विशेषज्ञ से सलाह लेना आवश्यक है।

 

 

स्त्रोत :

Yoga as a practice tool

 

Yoga in the management of anxiety disorders

 

effect of yogasana and pranayama on depression

 

 

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