Superfood Drumstick : Medicinal Properties and Nutritional Importance सुपरफूड ड्रमस्टिक: औषधीय गुण और पोषण संबंधी महत्व

Superfood Drumstick : Medicinal Properties and Nutritional Importance सुपरफूड ड्रमस्टिक: औषधीय गुण और पोषण संबंधी महत्व
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सुपरफूड ड्रमस्टिक एक बारहमासी सब्जी के लिए उपयोग किये जाने वाला पेड़ है।अक्सर दक्षिण भारतीय घरों के पीछे खाली पड़े जगह में सहजन का वृक्ष देखा जा सकता है। दक्षिण भारत के प्रमुख व्यंजन साम्भर में सहजन की फली का प्रयोग आमतौर पर किया जाता है। इसके अतिरिक्त देश के विभन्न भागों में भिन्न -भिन्न नामों से जाना -पहचाना जाने वाले  सहजन के पेड़ की फली का प्रयोग सब्जी, फूलों एवं पत्तियों का प्रयोग साग,पकौड़ी बनाने के लिए किया जाता है। इसकी जड़ों, छाल एवं पत्तियों का प्रयोग आयुर्वेद में हज़ारों वर्षों से औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता रहा है।  

 

 

2013 में किये गए एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार – “सहजन को मधुमेह और कैंसर की औषधि के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है। इसमें संतरे से 7 गुना ज्यादा विटामिन सी, गाजर से 10 गुना ज्यादा विटामिन ए, दूध से 17 गुना ज्यादा कैल्शियम, दही से 9 गुना ज्यादा प्रोटीन, केले से 15 गुना ज्यादा पोटैशियम और पालक से 25 गुना ज्यादा आयरन मौजूद होता है।” आइये देखें वैज्ञानिक अध्ययनों द्वारा प्रमाणित सहजन के औषधीय गुण एवं स्वास्थ लाभ की जानकारी।  

 

 

What is Drumstick? सहजन क्या है?

सहजन एक हरी सब्जी है। इसका वैज्ञानिक नाम मोरिंगा ओलीफेरा है। इसे अंग्रेजी में ड्रमस्टिक एवं हिंदी में सहजना, मुनगा, सुजना, सेंजन, सहजन के नाम से जाना जाता है। आयुर्वेद में सहजन के पेड़ के  पत्ते, बीज, छाल, जड़ें, रस और फूल का उपयोग प्राचीन काल से औषधि के रूप में किया जाता है।आमतौर पर मोरिंगा ओलीफेरा की फलियों को सब्जी, सांभर के रूप में,कोमल पत्तियों को साग एवं फूलों को पकौड़ी बनाकर खाने के लिए प्रयोग किया जाता है।  

 

 

Nutritional Value  पोषण की मात्रा 

फरवरी 2020 के वैज्ञानिक शोध रिपोर्ट “सहजन का पोषण महत्व और औषधीय गुण” के अनुसार – सहजन के पेड़ के विभिन्न भागो में निम्नलिखित पोषक तत्व की मात्रा मौजूद होती है –  

 

फूल में :

कैल्शियम, पोटैशियम और अमीनो एसिड।

 

पत्तियों में :

शरीर के विकास के लिए आवश्यक सात मिनरल्स – कैल्शियम, कॉपर, जिंक, फॉस्फोरस,मैग्नीशियम, लोहा,और मैंगनीज। पोषण के लिए आवश्यक  विटामिन्स जैसे – विटामिन-ए,विटामिन-बी, विटामिन-बी1, राइबोफ्लिन, निकोटिनिक एसिड और एस्कॉर्बिक एसिड की मात्रा। विभिन्न प्रकार के अमीनो एसिड एवं फाइटोकेमिकल्स जैसे – टैनिन, फेनोलिक्स, स्टेरोल्स, केम्फेरिसिटिन, सैपोनिन्स, ट्रेपेनोइड्स, अल्कलॉइड्स और फ्लेवोनोइड्स (आइसोथियोसाइनेट्स, क्वेरसिटिन, आइसोक्वेरसिटिन और ग्लाइकोसाइड) रासायनिक यौगिक की मात्रा पायी जाती है। 

 

फलियों में :

लिपिड, गैर-संरचनात्मक कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, प्रोटीन,फैटी एसिड जैसे – ओलिक एसिड, पामिटिक एसिड, लिनोलेनिक एसिड की भरपूर मात्रा पायी जाती है। 

 

बीज में :

पर्टिगोस्पर्मिन नामक एंटीबायोटिक, ओलिक एसिड एवं  फैटी एसिड जैसे- लिनोलिक एसिड, लिनोलेनिक एसिड, बेहेनिक एसिड, टैनिन, सैपोनिन, फेनोलिक्स, फाइटेट और फ्लेवनोइड्स, टेरपेनोइड्स और लेक्टिन जैसे फाइटोकेमिकल्स की भरपूर मात्रा पायी जाती है। 

 

जड़ों एवं छाल में :

मोरीगिनिन, मॉर्फीन जैसे अल्कलॉइड्स की प्रचुर मात्रा एवं कैल्शियम, मैग्नीशियम और सोडियम जैसे खनिज की मात्रा पायी जाती है। 

 

 

Medicinal Benefits of Superfood Drumstick सुपरफूड ड्रमस्टिक के औषधीय लाभ

आयुर्वेद में सहजन को औषधीय वृक्ष माना जाता है इसकी फलियों, पत्तियों, जड़ एवं छाल का प्रयोग लगभग 300 प्रकार के रोगों की औषधि बनाने में किया जाता है उनमें से कुछ रोगों के उपचार लाभ की जानकारी इस प्रकार है :

 

फलियों के औषधीय लाभ 

  • जुखाम के कारण बंद नाक एवं जमे हुए कफ की समस्या को दूर करने के लिए सहजन की फली को पानी में उबालने के बाद बचे हुए पानी का प्रयोग भाँप लेने के लिए करने से आराम मिलता है।
  • सहजन की फलियों को सब्जी या सांभर में पका कर सेवन करने से शरीर की हड्डियाँ मजबूत बनती हैं।
  • इसकी फली का सूप बनाकर सेवन करने से रक्त का शोधन होता है।
  • मुनगा में कैल्शियम,फॉस्फोरस, मैंग्नीशियम की भरपूर मात्रा मौजूद होती है। जिसके कारण गर्भावस्था में इसकी फलियों के सेवन से माँ और गर्भस्थ शिशु दोनों के शरीर के लिए आवश्यक कैल्शियम की मात्रा की पूर्ति होती है। इसके अतिरिक्त इसमें मौजूद आयरन की मात्रा गर्भावस्था के दौरान होने वाली खून की कमी को पूरा करने में सहायक होता है।
  • सहजन की फलियों का सेवन करने से महिलाओं में माहवारी से सम्बंधित समस्या दूर होती है।
  • पुरूषों में शुक्राणुओं की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए आयुर्वेद में सहजन की फलियों का सेवन करने की सलाह दी जाती है।
  • मोरिंगा ओलीफेरा की फली को सब्जी के रूप में खाने से जोड़ों के दर्द, पुराने गठिया रोग, पेट के गैस एवं वात दोष के बढ़ जाने से होने वाले रोग जैसे – हार्मोन असंतुलन, त्वचा समबन्धी समस्या,कब्ज आदि स्वास्थ्य समस्याओं में आराम मिलता है।

 

पत्तियों के औषधीय लाभ 

  • ड्रमस्टिक की पत्तियों का रस कान में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।
  • सहजन की पत्तियों को चबाने से दाँत में कीड़े एवं पायरिया रोग की समस्या दूर होती है।
  • इसकी पत्तियों को पीसकर बने लेप को घाव पर मरहम की तरफ प्रयोग करने से घाव जल्दी भरने में मदद मिलता है।
  • सहजन की कोमल पत्तियों का साग बनाकर सेवन करने से कब्ज की समस्या दूर होती है।
  • मोरिंगा के बीज को घिस कर सूँघने से या इसकी पत्तियों को पीसकर कर गर्म करने के बाद तैयार लेप को माथे पर लगाने से भी सिर दर्द में आराम मिलता है।
  • मोरिंगा में मौजूद फॉस्फोरस की मात्रा शरीर की अतिरिक्त चर्बी को कम करने में सहायक होती है। आयुर्वेद में शरीर का वजन नियंत्रित करने के लिए सहजन की पत्तियों के अर्क रामबाण औषधि माना जाता है।
  • गर्भवती महिलाओं को सहजन की पत्तियों का अर्क/जूस बनाकर सेवन करने से गर्भावस्था में प्रसव के दौरान होने वाली समस्या से राहत मिलती है।
  • सहजन की पत्तियों का काढ़ा बनाकर सेवन करने से हाई ब्लड प्रेशर के कारण चक्कर एवं घबराहट की समस्या से राहत मिलने के साथ ही हाई ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है।
  • पैर में मोच (sprain) के दर्द में आराम पाने के लिए सहजन की पत्तियों को सरसो के तेल के साथ धीमी आँच पर उबालने के बाद लुगदी बनाकर प्रभावित स्थान पर लगाने से दर्द में आराम मिलता है।
  • इस पेड़ की पत्तियों का काढ़ा बनाकर सेवन करने से साइटिका, लकवा, हड्डियों के जोड़ों में दर्द, अकड़न, गठिया रोग लाभ मिलता है।

 

जड़ एवं छाल के औषधीय लाभ

  • इसके जड़ का काढ़ा बनाकर सेवन करने से साइटिका के दर्द में चमत्कारिक रूप से आराम मिलता है।
  •  सहजन में मौजूद आयरन की मात्रा खून साफ करने में सहयक होती है। जिससे चेहरे पर दाग – धब्बे एवं मुहाँसे की समस्या नहीं होती है। इसमें विटामिन ए की प्रचुर मात्रा होने के कारण मोरिंगा के तेल का प्रयोग सौंदर्य क्रीम बनाने में किया जाता है।
  • सहजन के पेड़ की छाल में शहद मिलाकर सेवन करने से वात रोग और कफ की समस्या में आराम मिलता है।

 

 

Disadvantages of Superfood Drumstick सुपरफूड ड्रमस्टिक के नुकसान 

  • गैस्ट्राइटिस की समस्या होने पर सहजन की सब्जी के सेवन से परहेज करना चाहिए। क्योंकि इसके सेवन से  पेट में जलन की समस्या पैदा होने की सम्भावना बढ़ सकती है।
  • सहजन पित्त वर्धक होता है जिसके कारण पेट में गर्मी बढ़ने की समस्या उत्पन्न हो सकती है। अतः माहवारी के दौरान इसके सेवन से परहेज करने की सलाह दी जाती है।
  • सहजन की तासीर गर्म होती है। जिसके कारण इसकी पत्तियों, जड़ की छाल एवं फूलों क सेवन गर्भावस्था के दौरान नहीं करना चाहिए।
  • प्रसव/डिलीवरी के 10 बाद तक सहजन का सेवन नहीं करना चाहिए।

 

 

अस्वीकरण :

लेख में दी गयी जानकारी का आशय केवल सहजन के औषधीय एवं पोषण सम्बन्धी गुणों के प्रति जागरूकता फैलाना है। किसी भी स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या के लिए सहजन के फूल, पत्तियों, जड़ की छाल या फलियों का सेवन करने से पूर्व आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह लेना आवश्यक है।  

 

 

  स्त्रोत :

 

researchgate Nutritional importance and medicinal properties of Drumstick Safety and Efficacy of Moringa oleifera

extract of Moringa oleifera Lam. leaves

 

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