Millet : Nutrient Content and Health Benefits बाजरा : पोषक तत्व की मात्रा एवं स्वास्थ्य लाभ

Millet : Nutrient Content and Health Benefits बाजरा : पोषक तत्व की मात्रा एवं स्वास्थ्य लाभ
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बाजरा को अंग्रेजी में मिलेट (Millet) कहते हैं। मिलेट किसी एक अनाज का नाम नहीं है, बल्कि मोटे अनाज के अंतर्गत आने वाली फसलो रागी, बाजरा, ज्वार, कंगनी, कोदो, कुटकी एवं सांवा, कुट्टू,चौलाई, चीना  फसलों के समूह को मिलेट क्रॉप्स के नाम से जाना जाता है। इनके अंग्रेजी नाम क्रमशः Finger Millet, Pearl Millet,Sorghum, Kodo Millet,Little Millet, Barnyard Millet, Buck-wheat, Amarnath, Proso Millet हैं। इन फसलों की पैदावार भारत के अतिरिक्त अन्य एशियाई एवं अफ्रीकी देशों में हज़ारों सालों से किया जाता है।

प्राचीन भारत में मोटे अनाज का उपयोग मुख्य भोजन के रूप में किया जाता था। आज भी देश के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग द्वारा मोटे अनाज का उपयोग भोजन के रूप में किया जाता है। मिलेट समूह के फसल पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। मोटे अनाज के पोषण मूल्यों का लाभ उठाने के उद्देश्य से भारत के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र ने 2023 को “इंटरनेशनल मिलेट ईयर” घोषित किया है।

दरअसल बाजरा समूह के फसलो को विशेष देखभाल या कीटों से संरक्षण की ज्यादा आवश्यकता नहीं पड़ती है। इसके अतिरिक्त इन फसलों की पैदावार  कम उपजाऊ मिटटी में भी आसानी से की जा सकती है। ये गेहूँ, चावल जैसे – अनाजों के मुकाबले जल्दी परिपक्व हो जाते हैं जिसके कारण मोटे अनाज को प्रतिदिन के आहार में शामिल करने से कुपोषण की समस्या को नियंत्रित करने में मदद मिल सकेगी। आइये देखें मिलेट में पाए जाने वाले पोषक तत्व और स्वास्थ लाभ की जानकारी।

 

Nutritional Value  पोषक तत्वों की मात्रा 

फूड डाटा सेंट्रल की अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार-  बाजरा समूह के 100 ग्राम अनाज से बने व्यंजनों में प्रोटीन की 3.51 ग्राम , फाइबर – 1.3 ग्राम , कार्बोहाइड्रेट 23.7 ग्राम, मैग्नीशियम 44 मिलीग्राम , ताँबा0.161 मिलीग्राम और फास्फोरस 100 मिलीग्राम की भरपूर मात्रा पायी जाती है। जो कि हमारे दैनिक पोषण आवश्यकता के लगभग 10 प्रतिशत के बराबर है।

इसके अतिरिक्त मैंगनीज  मात्रा 0.272 मिलीग्राम पायी जाती जो कि दैनिक पोषण आवश्यकता के 20 % के बराबर है। ये खनिज आहार से प्राप्त अन्य विटामिन्स के साथ मिलकर हड्डियों और मस्तिष्क के स्वस्थ बनाने में सहायक होता है।

वैज्ञानिक शोध अध्ययनों में पाया गया है कि बाजरा समूह के अनाज में एंटीऑक्सीडेंट की उच्च मात्रा मौजूद होती है। जो कि रक्त में ग्लूकोज़ और कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को नियंत्रित करने में सहायक हो सकती है।

 

Health Benefits of Millet बाजरा के स्वास्थ्य लाभ 

 

  • डायबिटीज टाइप 2 के नियंत्रण में सहायक

Nutrition and Sustainable Diets research paper के अनुसार –

बाजरा में आहार फाइबर (पॉलीसेकेराइड्स स्टार्च) की मात्रा भोजन पाचन की गति धीमी कर देता है। जिससे रक्त में ग्लूकोज़ की मात्रा का प्रवाह धीमी गति से होता है। जो कि डायबिटीज टाइप 2 के नियंत्रण में सहायक होता है।

 

  • ऑक्सीडेटिवे स्ट्रेस को कम करता है

June 2014 में हुए एक शोध अध्ययन के अनुसार –

‘बाजरा में मौजूद फेरुलिक एसिड और कटेचिन रासायनिक यौगिक की मात्रा शरीर को हानिकारक ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस से बचाने में एंटीऑक्सीडेंट का कार्य करते हैं। ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस कोशिकाओं में होने वाली रासायनिक क्रिया के दौरान उत्पन्न होने वाले फ्री रेडिकल्स (मुक्त कण) के डिटॉक्सिफिकेशन प्रक्रिया धीमी पड़ने के कारण त्वचा के घाव भरने, पाचन विकार, चिड़चिड़ापन, एसिड रिफ्लक्स, पुराणी थकान, मेमोरी लॉस स्वास्थ्य समस्या का कारण बनता है।

 

  • बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करने में सहायक

Research papers on Millet consumption on 30 April 2010 के अनुसार – बाजरा को प्रतिदिन हिस्सा बनाने से ह्रदय रोग और हाई ब्लडप्रेशर की समस्या से बचा जा सकता है।

 

  • ग्लूटेन से एलर्जी वाले लोगों के लिए सुरक्षित

शोध अध्ययनों के अनुसार – ग्लूटेन से अलर्जी वाले लोगों के लिए बाजरा का सेवन सुरक्षित है ग्लूटेन एक प्रकार का प्रोटीन है जो गेँहू, राई एवं जौ जैसे अनाज में पाया जाता है। इस प्रोटीन से एलर्जी की शिकायत पर भोजन करने के बाद पेट में दर्द, सिर दर्द, जोड़ों में दर्द,  खून की कमी.आंत में सूजन आदि की समस्या पैदा हो जाती है।अतः ऐसे लोगों  के लिए बाजरा का सेवन करना सुरक्षित होता है।

इसके अतिरिक्त बाजरा समूह के अनाज में फाइबर की मात्रा अधिक और कार्बोहाइड्रेट की कम मात्रा पायी जाने के कारण वजन नियंत्रण, कब्ज एवं पेट में गैस की समस्या से भी बचाव होता है।

 

How to use Millet as a dish बाजरा का व्यंजन के रूप में उपयोग कैसे करें 

बाजरा समूह में 20 से ज्यादा किस्म के अनाज आते हैं। जिनमें से भारत में मुख्यतः रागी, बाजरा, ज्वार, कुट्टू,चौलाई का उपयोग विभन्न प्रकार के व्यंजन के रूप में खाने के लिए किया जाता है। रागी, बाजरा, ज्वार के आटे का उपयोग रोटी, इडली, डोसा, पैनकेक के रूप में और चौलाई के लड्डू एवं कुट्टू के आटे से बने व्यंजन को व्रत में खाने के लिए उपयोग किया जाता है।

 

स्त्रोत :

https://www.frontiersin.org/

fdc.nal.usda.gov

https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/

https://www.ncbi.nlm.nih.gov/

 

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