Alum Benefits and Side Effects फिटकरी के फायदे और नुकसान

Alum Benefits and Side Effects फिटकरी के फायदे और नुकसान
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दोस्तों आज सात्विक जीवन का साक्षात्कार कराती डायरी के 54 वें भाग से आपका परिचय करवाने जा रही हूँ। पिछले भाग में आप मेरी डायरी के पन्नों में संजोये लेख स्ट्रोक के प्रकार ,लक्षण एवं बचाव की जानकारी से परिचित होने के सफर में शामिल हुए थे। आप सभी के स्नेह और उत्साहवर्धन के लिए मैं ह्रदय से आभारी हूँ।इस भाग में “फिटकरी के फायदे और नुकसान” से सम्बंधित जानकारी से आपका परिचय करवा रहीं हूँ।

 

फिटकरी एक खनिज है जो कि प्रकृति में शुद्ध और अशुद्ध दोनों रूपों में पाया जाता है। यह भारत, नेपाल, इंग्लैंड,मिश्र और जर्मनी में पाया जाता है। भारत में मुख्यतः बिहार, पंजाब और असम में प्राकृतिक रूप से एलुमेन अयस्क से प्राप्त किया जाता है।

भारत के विभिन्न प्रांतों में अलग -अलग नाम से जाना जाता है। जैसे – अंग्रेजी में एल्युमिनस सल्फेट,बंगाल में फटकिरी या फटफड़ी, गुजरात में फाटकरी, हिंदी में फिटकरी,फीतीखरी, फिटकिरी, पंजाब में फतकारी, तमिल में पदीखरम, शिनाकारम,सिंधी में पिटकी और संस्कृत में स्फटिककारी, सुरराष्ट्रजा, कामाक्षी, तुवारी नाम से जाना जाता है।

फिटकरी एक क्रिस्टलीय रंगहीन, गंधहीन दानेदार पाउडर होता है। इसका स्वाद अम्लीय-मीठा होता है। बाजार में फिटकरी के कई प्रकार उपलब्ध हैं। जैसे पोटेशियम फिटकरी, सोडा फिटकरी, अमोनियम फिटकरी और एल्युमिनियम फिटकिरी। किन्तु साधारण फिटकरी को पोटैशियम फिटकरी के नाम से जाना जाता है। आइये देखें फिटकरी के लाभ और नुकसान की जानकारी।

 

Benefits of Alum फिटकरी के लाभ

फिटकरी में एंटीबैक्टीरियल, एंटीइन्फ्लैमटॉरी, एंटीडैंड्रफ, रक्तस्त्राव रोकने के गुण,दमारोधी जैसे औषधीय गुण पाए जाते हैं। जिसके कारण प्राचीन काल से औषधि और सौंदर्य प्रसादनों के लिए फिटकरी का उपयोग किया जाता रहा है। इस लेख के माध्यम से फिटकरी के स्वास्थ्य एवं सौंदर्य लाभ की जानकारी आपके साथ शेयर कर रही हूँ।

 

Useful in treating Bacterial and Fungal Infections बैक्टीरियल और फंगस संक्रमण

दूर में उपयोगी

 

  • रक्तस्रावी सिस्टिटिस रोग 

सिस्टाइटिस रोग मूत्राशय में बैक्टेरियल संक्रमण के कारण सूजन,लालिमा एवं जलन होने की समस्या हो जाती है। जिसमें पेशाब करने की तीव्र इच्छा बने रहना, थोड़ी -थोड़ी मात्रा में बार -बार यूरिन/मूत्र होना, पेशाब करने के दौरान जलन होना आदि समस्याओं के साथ पेशाब में खून आने की समस्या भी शामिल हो सकती है।

इस रोग के उपचार में रेडिएशन थैरेपी का उपयोग किया जाता रहा है। किन्तु हाल ही के वैज्ञानिक अध्ययनों में पाया गया है कि रक्तस्रावी सिस्टिटिस (hemorrhagic cystitis) यानी सिस्टाइटिस रोग में मूत्र के साथ खून आने की समस्या होने पर “इंट्रावेसिकल फिटकिरी थेरेपी” को फर्स्ट -लाइन ट्रीटमेंट विकल्प के रूप में प्रयोग किया जाना कारगर साबित होगा।

 

  • मुँह के छाले एवं घाव का उपचार 

वैज्ञानिक शोध में फंगल संक्रमण पर फिटकरी के परिक्षण करने पर पाया गया है कि फिटकरी फंगल संक्रमण को दूर करने में उपयोगी है। अतः फिटकरी का प्रयोग मुँह के अंदर छाले और नासूर (जल्दी ठीक न होने वाले घाव) के उपचार में सफ़ेद फिटकरी को दवा के रूप में किया जा सकता है।

 

  • दाँतों के सड़न को रोकने में उपयोगी 

दांतों के सड़न और बदबू के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया से सम्बंधित वैज्ञानिक अध्ययन में पाया गया कि फिटकरी मिश्रित माउथवाश से दिन भर में दो बार कुल्ला करने पर स्ट्रेप्टोकोकस म्यूटन्स एक बैक्टीरिया को मुँह के अंदर पनपने से रोका जा सकता है।

गौरतलब है कि स्ट्रेप्टोकोकस म्यूटन्स एक बैक्टीरिया है,जो मुँह के अंदर प्राकृतिक रूप से बनता है। ये बैक्टीरिया दाँतों के ऊपर कैविटी के पर्त बनाने, दाँतों के सड़न और मुँह से दुर्गन्ध के लिए जिम्मेदार होता है।

 

  • शरीर से पसीने की दुर्गन्ध दूर करने के लिए 

वैज्ञानिक शोध में पाया गया है कि फिटकरी का प्रयोग पसीने की दुर्गन्ध दूर करने के लिए किया जा सकता है। बाजार में मिलने वाले डिओडोरेंट में फिटकरी को मिश्रित किया जाता है।

डिओडोरेंट के स्थान पर फिटकरी के टुकड़े को पसीने की दुर्गन्ध दूर करने के लिए प्रयोग किया जा सकता है। इसके लिए सफ़ेद फिटकरी के टुकड़े को पानी से भीगा लें। फिर भीगे हुए फिटकरी को आर्मपिट की सतह पर रगड़ लें। फटकारी को इस प्रकार लगाने से पसीने के कारण उत्पन्न होने वाले बैक्टीरिया समाप्त हो जाते हैं। जिससे पसीने से दुर्गन्ध नहीं आती है।

 

जुओं से छुटकारा पाने लिए 

आयर्वेद चिकित्सा पद्धति अनुसार– सिर के जुओं को मारने के लिए फिटकरी का उपयोग करना कारगर है। हालाँकि प्राचीन काल से हम भारतीय फिटकरी के अनेक घरेलू नुस्खों का प्रयोग करते आये हैं। इन्हीं नुस्खों में से फिटकरी से जुओं का उपचार भी शामिल है।

प्रयोग विधि –

  • जुओं को मारने के लिए सफ़ेद फिटकरी के पाउडर को पानी में मिलाकर पेस्ट तैयार करें।
  • फिर इस पेस्ट को बालों की जड़ों में यानी स्कैल्प पर लगा कर 15 मिनट तक छोड़ दें।
  • इसके बाद बाल को पानी से साफ कर लें।

 

झुर्रियों को दूर करने के लिए 

फिटकरी में एस्ट्रिंजेंट के गुण होने के कारण स्किन के पोर्स को टाइट करने में उपयोगी होता है। जिसके कारण बढ़ती उम्र में चेहरे पर आने वाली फाइन लाइन्स और चेहरे के दाग -धब्बों को दूर करने में सहायक होता है। इसके अतिरिक्त फिटकरी के एंटीबैक्टीरियल एवं एस्ट्रिंजेंट गुण होने के कारण त्वचा की कोशिकाओं को सिकोड़ने के माध्यम से अतिरिक्त ऑयल को दूर करने में प्रभावी होती है। जिससे मुहाँसे की समस्या से बचाव होता है।

झुर्रियों से बचाव के लिए प्रयोग विधि 

  • फिटकरी पाउडर और गुलाब जल की बराबर मात्रा को मिलाकर पेस्ट तैयार करें।
  • इस पेस्ट को चेहरे पर फेसपैक की तरह लगा कर लगभग 7 -10 मिनट के लिए सूखने तक छोड़ दें।
  • इसके बाद साधारण तापमान के पानी से चेहरे को धो लें।
  • फिर चेहरे को सुखाने के बाद ग्लिसरीन या एलोवेरा जेल को चेहरे लगाना न भूलें।
  • फिटकरी के फेस पैक का प्रयोग आप प्रतिदिन चेहरे पर लगाने के लिए कर सकती/सकते हैं।

 

रक्तस्त्राव रोकने के गुण 

फिटकरी का उपयोग प्राचीन काल से कटने या शेविंग करने के दौरान त्वचा छिलने पर खून बहने से रोकने के लिए किया जाता है। किन्तु अब वैज्ञानिक अध्ययनों द्वारा भी प्रमाणित किया गया है कि फिटकरी का उपयोग खून बहने से रोकने लिए एंटीप्लेटलेट दवा के रूप में किया जा सकता है।

एक वैज्ञानिक शोध में पाया गया है कि फिटकरी में रक्तस्त्राव रोकने का गुण पाया जाता है। इसका उपयोग अंतस्रावी रक्तस्त्राव के उपचार में किया जा सकता है। ये एक सस्ती प्लेटलेट रोधी दवा है।

 

गर्भ निरोध के लिए फिटकरी के फायदे 

वैज्ञानिक अध्ययनों में गर्भनिरोधक प्रभाव की जाँच में फिटकरी का उपयोग करने पर पाया गया है कि एक निश्चित अनुपात में पानी और फिटकरी से तैयार किया घोल शुक्राणुओं की क्रियाशीलता समाप्त करने में कारगर है।

एक अन्य रिसर्च रिपोर्ट के हवाले से ज्ञात हुआ है कि गर्भ निरोध के लिए वैजिनल सपोसिटरी को तैयार करने अनुपातिक रूप में फिटकरी का उपयोग किया जाता है।

 

फिटकरी के नुकसान 

  • गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के स्वास्थ्य पर फिटकरी के प्रयोग से सम्बंधित अध्ययन अभी तक नहीं किया गया है। इसलिए चिकित्सक से परामर्श लिए बिना फिटकरी का उपयोग नहीं करने की सलाह दी जाती है।
  • 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में फिटकरी के उपयोग से सम्बंधित वैज्ञानिक अध्ययनों का अभाव है। अतः बच्चों को फिटकरी का प्रयोग, बिना चिकित्सक से सलाह लिए नहीं करना चाहिए।
  • फिटकरी को मांसपेशियों के दर्द, अस्थमा, बुखार आदि रोगों में शहद के साथ खाने के आयुर्वेद में सलाह दी जाती है। किन्तु यदि आप पहले से एलोपैथिक दवा का सेवन इन रोगों के उपचार के लिए कर रहें हों, तो आयुर्वेदिक चिकित्सक द्वारा बताये गए फिटकरी मिश्रित दवा का सेवन करने से पहले डॉक्टर को एलोपैथिक दवा के विषय में बताना आवश्यक है। क्योंकि फिटकरी का अन्य दवाओं के साथ रिएक्शन से सम्बंधित वैज्ञानिक शोध की जानकारी अभी तक उपलब्ध नहीं है।

 

 

जानकारी का स्त्रोत

Antifungal effect of Alum

Hemorrhagic cystitis 

alum mouth rinse on dental caries

Human Axillary Malodor-Producing Skin

effect of alum on human platelets

Effect of potash alum on human semen and sperm

 

 

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