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मधुमेह रोग का प्रमुख कारण शरीर में इन्सुलिन हरमोन का असंतुलन है। हमारे शरीर में भोजन के पाचन के बाद शर्करा की मात्रा को कोशिकाओं में पहुँचाने का कार्य इन्सुलिन हार्मोन के माध्यम से संभव होता है। इन्सुलिन हारमोन पंक्रियाज ग्लैंड की बीटा कोशिकाओं से स्त्रावित होती हैं। जब शरीर में इन्सुलिन हारमोन का स्त्राव कम होता है या एकदम नहीं होता है। तो ग्लूकोज/ शर्करा की मात्रा शरीर की कोशिकाओं में न जाकर रक्त वाहिकाओं में मिश्रित हो जाती है। इस प्रकार रक्त में ग्लूकोस की मात्रा बढ़ जाती है।
लोगों में ये भ्रान्ति फैली हुई है कि मीठा खाने से मधुमेह रोग होता है। जबकि ये सही नहीं है। टाइप 2 मधुमेह रोग से ग्रस्त होने पर मीठा खाने से रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है। इसके अतिरिक्त चिंता करने से भी ब्लडप्रेशर के साथ हीं रक्त में ग्लूकोज का स्तर भी बढ़ जाना पाया जाता है।
डायबिटीज रोग मीठा खाने से नहीं होता है। बल्कि जरुरत से ज्यादा मीठा खाने के कारण ज्यादा वजन बढ़ जाती है। जिससे शरीर की कोशिकाओं में वसा ज्यादा एकत्रित हो जाती है। मोटी कोशिकाएं इन्सुलिन के कार्य में बाधा उत्पन्न करती है। जिसके कारण टाइप 2 मधुमेह होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
मधुमेह रोग दो प्रकार के होते हैं- टाइप 1 डायबिटीज/मधुमेह और टाइप 2 डायबिटीज।मधुमेह रोग का मुख्य कारण अग्न्याशय ग्रंथि में स्थित बीटा कोशिकाओं के नष्ट होने या पर्याप्त मात्रा में इन्सुलिन हारमोन का स्त्राव न करने के कारण होती है। इसके अतिरिक्त मधुमेह रोग के लिए जिम्मेदार अन्य कारण निम्नलिखित हैं :
टाइप 1 डायबिटीज होने का कारण
- इस प्रकार के मधुमेह रोग में शरीर की रोग प्रतिरक्षा प्रणाली/इम्यून सिस्टम अग्न्याशय ग्रंथि की बीटा कोशिकाओं को नष्ट कर देती है। जिसके कारण भोजन से प्राप्त शर्करा की मात्रा का अवशोषण शरीर की कोशिकाओं में नहीं हो पाता है। जिससे रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है टाइप 1 मधुमेह रोग से ग्रस्त रोगी को इन्सुलिन का इंजेक्शन लेना पड़ता है।
- टाइप 1 डायबिटीज का कारण अभी तक पता नहीं चल सका है। इस प्रकार के मधुमेह रोग को अनुवांशिक माना जाता है। यानी परिवार में माता -पिता में से किसी एक या दोनों को मधुमेह रोग हो तो बच्चों को भी होने का खतरा रहता है।
- किसी वायरल संक्रामक रोग होने के कारण भी टाइप 1 मधुमेह रोग हो सकता है।
- शरीर में विटामिन डी की मात्रा कम होने के कारण भी मधुमेह रोग हो सकता है।
टाइप 2 डायबिटीज का कारण
- इस प्रकार के मधुमेह रोग में इन्सुलिन का स्त्राव पर्याप्त मात्रा में नहीं होता है। जिससे शरीर की कोशिकाओं में इन्सुलिन का अवशोषण नहीं हो पाता है। फलस्वरूप ग्लूकोज रक्त वाहिकाओं में चली जाती हैं और रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है।
- टाइप 2 डायबिटीज भी अनुवांशिक होता है। यानी माता/पिता , दादा/ दादी में से किसी एक या दोनों को होने पर बच्चो में मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है। इस प्रकार की डायबिटीज का कारण मोटापा भी हो सकता है।
- व्यायाम न करना या ज्यादा समय तक बैठे रहने के कारण शरीर में वसा एकत्रित हो जाती है। जिससे वजन बढ़ जाने के कारण शरीर की कोशिकाएं इन्सुलिन के स्त्राव को बाधित करती हैं। जिसके कारण वसा और ग्लूकोज का रूपांतरण ऊर्जा में नहीं हो पाता है। परिणामस्वरूप रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है।
- शरीर में बैड कोलेस्ट्राल की मात्रा अधिक होने के कारण भी टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है। दरअसल सामान्य कोलेस्ट्राल/गुड कोलेस्ट्राल हल्की होती है। जिसके कारण रक्त वाहिकाओं में वसा की मात्रा को जमने नहीं देती है। जबकि बैड कोलेस्ट्राल/ ट्राईग्लिसराईड गाढ़ी होती है। जिसके कारण वसा के कण रक्त वाहिकाओं के दीवारों पर जम जाती हैं। इस प्रकार कोशिकाओं/सेल्स में वसा का अवशोषण नहीं होने के कारण भी मधुमेह रोग , ह्रदय रोग और ब्लडप्रेशर रोग का खतरा बढ़ जाता है।
जेस्टेशनल डायबिटीज होने का कारण
गर्भावस्था से पहले वजन ज्यादा होने पर गर्भकालिन मधुमेह होने का खतरा रहता है। जिसे जेस्टेशनल डायबिटीज कहते हैं। ये गर्भावस्था के बाद ठीक हो जाती है। इस प्रकार के मधुमेह रोग का खतरा 25 वर्ष से अधिक उम्र में गर्भधारण के दौरान हो सकता है।
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