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हमारे शरीर में अनेक चक्र होते हैं। चक्र यानी उर्जा के केंद्र अथवा ग्लैंड/ग्रंथि के नाम से जाना जाता है। इनमें से साथ चक्रों को महत्वपूर्ण माना गया है। इन चक्रों को विज्ञान की भाषा में ग्लैंड कहते हैं। इनके नाम इस प्रकार हैं – मूलाधार चक्र, स्वाधिष्ठान चक्र, मणिपुर चक्र, अनाहत चक्र, विशुद्ध चक्र, आज्ञा चक्र, सहस्रार चक्र। इन सभी चक्रों के जाग्रत होने पर मनुष्य का सभी भौतिक क्रियाओं पर नियंत्रण हो जाता है।
अपना परिचय जानने और जीवन के सुख -दुःख के मायाजाल से मुक्ति पाने के इच्छुक जन शरीर के चक्रों को जागृत करने के लिए अनेक प्रकार की साधना का प्रयोग करते हैं। इन्हीं साधनाओं में से एक है त्राटक साधना। इस साधना को करने से पीनियल ग्रंथि एक्टिवेट हो जाती है। पीनियल ग्रंथि को हीं अध्यात्म में आज्ञा चक्र/ तीसरी आँख भी कहा जाता है। इस चक्र के जाग्रत होने से मनुष्य त्रिकालदर्शी हो जाता है। आइये जाने ये त्राटक साधना क्या है?
त्राटक साधना क्या है
त्राटक यानी टकटकी बाँधें हुए किसी चीज को निहारने की अवस्था को त्राटक करना कहते हैं> जीवन की गतिविधियों और अपने अस्तित्व तलाशने के क्रम में हमारे ऋषियों – मुनियों और वैज्ञानिक सहित सदयों से गहन चिंतन-मनन के अभ्यास और वैज्ञानिक शोद्ध किये जाते रहे हैं। परिणामस्वरूप ये सिद्ध हो पाया है कि भौतिक जीवन का मूल प्रकाश है अर्थात हमारे शरीर को क्रियान्वित करने वाली आत्मा/मैं एक प्रकाश पूँज है। यही प्रकाश उर्जा हमारे स्थूल शारीर में दोनों भौहों/भृकुटी के बीच /भूमध्य में स्थित होती है। जिसे अध्यात्मिक भाषा में आज्ञा चक्र/तीसरी आँख और वैज्ञानिक भाषा में पीनियल ग्लैंड कहते हैं।
आज्ञा चक्र को जाग्रत करने के लिए आँखें खोलकर किसी चमकीले प्रकाश बिंदु पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है। ध्यान केन्द्रित करने के लिए टकटकी लगाकर लगातार लक्षित माध्यम को बिना पलक झपकाए देखना होता है। निहारने की इसी गतिविधि को त्राटक साधना कहते हैं।
त्राटक करने की विधि
त्राटक करने के लिए माध्यम का चुनाव करना होता है। वैज्ञानिक शोधों और साधकों के अनुसार पीनियल ग्लैंड/तीसरी आँख/ आज्ञा चक्र गहरे एकसमान रंग की बिंदु /प्रकाश पर ध्यान केन्द्रित करने से जल्दी सक्रीय होती है। अर्थात पीनियल ग्लैंड में हार्मोन की सक्रियता में वृद्धि होने लगती है। इस ग्लैंड /चक्र से मेलाटोनिन हार्मोन का स्त्राव होता है। ये हार्मोन शरीरिक क्रियाओं को क्रियान्वित करने के निर्देश देने का कार्य करती है।
अतः त्राटक करने के लिए निम्नलिखित माध्यम का चुनाव किया जा सकता है :
त्राटक साधना के लिए बिंदु का प्रयोग
सफ़ेद रंग की दीवार पर एक रुपये के बड़े सिक्के के आकार में काले रंग की बिंदु बनाए। इस बिंदु के आकार से न्यूनतम तीन फिट की दूरी कायम रख कर सुखासन/सिद्धासन /पद्मासन में बैठना है। बैठते वक्त ध्यान रखना है कि दीवार पर बनाया गया आकार आपकी आँखों की सीध मैं रहे। अब कमर, गर्दन को एक सीध में रखते हुए यानी रीढ़ की हड्डी सीधी एवं आँखे खुली रखते हुए बिंदु पर ध्यान केन्द्रित करना है।
ध्यान करने के क्रम में पलके नहीं झपकाना है। बिना पलके झपकाए बिंदु के काले भाग को 30 सेकेण्ड तक देखना है। फिर आँखे बंद करके बिदु की इमेज को 1 मिनट तक देखना है। इसी क्रम को दोहराते जाना है। इसके अतिरिक्त मन में किसी प्रकार का विचार नहीं आने देना है। यदि विचार चलते हैं, तो उन पर ध्यान दिए बिना अपने लक्ष्य बिंदु पर ध्यान केन्द्रित रखना है। धीरे -धीरे विचारों की गति धीमी पड़ जायेगी और ध्यान की एकाग्रता बढ़ती जायेगी।
त्राटक करने के लिए दीपक/मोमबत्ती का प्रयोग
एक अँधेरे कमरे में घी से भरे दीपक की लौ पर ध्यान केन्द्रित कर सकते हैं। इसी प्रकार दीपक की जगह मोमबत्ती का प्रयोग भी कर सकते है।
आप रात में आसमान में टिमटिमाते तारे या चाँद पर भी ध्यान केन्द्रित कर सकते हैं।
ध्यान करने के क्रम में पलके नहीं झपकाना है। बिना पलके झपकाए बिंदु के काले भाग को 30 सेकेण्ड तक देखना है। फिर आँखे बंद करके बिदु की इमेज को 1 मिनट तक देखना है। इसी क्रम को दोहराते जाना है।इसके अतिरिक्त मन में किसी प्रकार का विचार नहीं आने देना है। यदि विचार चलते हैं, तो उन पर ध्यान दिए बिना अपने लक्ष्य बिंदु पर ध्यान केन्द्रित रखना है। धीरे -धीरे विचारों की गति धीमी पड़ जायेगी और ध्यान की एकाग्रता बढ़ती जायेगी।
त्राटक करने के लिए सूर्य/चाँद/तारे का प्रयोग
उगते सूरज यानी जब सूरज उगने के क्रम में लाल रंग का हो उसकी किरणे अभी निकालनी शेष हों। ऐसे सूरज के गोले/बिंदु पर ध्यान केन्द्रित कर सकते हैं। इसी प्रकार डूबते सूरज पर भी ध्यान केन्द्रित कर सकते हैं। किन्तु ध्यान करते वक्त सूरज की किरणे समाप्त हो चुकी हों। अर्थात सूरज लाल रंग के गोले के रूप में शेष बचा हो। डूबने को आतुर होने की दशा में हों।
डूबते या उदित होते सूरज पर 5 सेकेण्ड से शुरू करके 10 सेकेण्ड तक हीं ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। फिर आँखें बंद करके सूरज के चित्र को दृश्य ओझल होने तक देखना चाहिए।
त्राटक साधन से लाभ
- भूत,भविष्य और वर्तमान में घटित होने वाली घटनाओं का पूर्वानुमान लगाने में समर्थ हो जाते हैं।
- अपनी इच्छानुसार विचारों को मष्तिष्क में उपजने की अनुमति दे सकते हैं।
- दूसरों से मनचाहा कार्य करवा सकते हैं यानी सम्मोहन करने की शक्ति प्राप्त हो जाती है।
- बिना बोले मानसिक संवाद के माध्यम से किसी के मन में चल रहे विचारों को जानने की क्षमता का विकास हो जाता है।
- त्राटक करने से आँखों की रोशिनी बढ़ जाती है। एकाग्रता में महारत हासिल हो जाता है।
- किसी के चित्र पर ध्यान केन्द्रित करने मात्र से उस व्यक्ति की स्थिति और गतिविधियों की जानकारी हासिल कर सकते हैं।
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