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जीवों का शरीर एक कठपुतली की तरह है जो कि परमात्मा के इशारे पर नाच रहा है। हम सभी जीव परमात्मा द्वारा रचित नाटक के स्क्रिप्ट के अनुसार स्वचालित अभिनय को संचालित कर रहें हैं। वो सर्वशक्तिमान खुद को अनेक रूपों में देखने का नाटक कर रहा है। अर्थात वास्तव में जीवन नाटक परमात्मा की कल्पना का अंश है। अब चूँकि नाटक का अभिनय कर रहे सभी जीव काल्पनिक हैं और कल्पना करने वाला एक सर्वशक्तिमान तत्व हीं हैं। इसीलिए आत्मा का बोध हीं आत्मबल /आत्मशक्ति का निकटतम गुण है। आइये जीवन नाटक के काल्पनिक प्रभाव से उबारने की शक्ति प्रदान करने वाली शक्ति आत्मबल पर विचार करें।
आत्मबल क्या है
आत्मबल आत्मा की शक्ति है। ये शक्ति निर्विकार कर्मों में लिप्त रहने से प्राप्त होती है। निर्विकार कर्म से अभिप्राय ऐसे कर्मों से है, जिन्हें करने के पश्चात कर्ता के मन में तनिक भी ग्लानि का भाव न रहे। जब व्यक्ति इस प्रकार के कर्म करते हुए जीवन का सफर तय करता है। तो आत्म संतुष्टि के भाव से पूर्ण होता है। आत्म संतुष्टि ही आत्मबल का स्त्रोत है। आत्मबल साकारात्मक विचारधारा का पूँज है।
आत्मबल की शक्ति
आत्मबल में सभी विकारों पर विजय पाने की शक्ति निहित होती है। विकारों से अभिप्राय है जीवन नाटक में अभिनय के तहत आने वाले भाव से है। भाव से अभिप्राय सुख, दुख, घृणा, प्रेम,ईर्ष्या, लोभ, मोह, माया आदि। ये सभी भाव जीव को वास्तविकता से भ्रमित करते हैं। अतः ये विकार हैं। इन विकारों से आसक्ति प्राप्त करने पर हीं अपनी असीमित शक्तियों से अवगत होना संभव है।
केवल आत्मबल से युक्त व्यक्ति के लिए हीं सच्चिदानंद परमात्मा के सानिध्य/कृपा पाना और समझना संभव है। आत्मबल जीवन की कठिन परिस्थितियों में सामंजस्य बैठाने की ताकत देता है। आत्मबल के सहारे हम परमात्मा स्वरुप में लीन हो सकते हैं। अर्थात मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं।
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One thought on “What is Will Power? How much power does it have?आत्मबल क्या है? इस में कितनी शक्ति है?”
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