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नींद में खर्राटा आना इस बात का संकेत है कि व्यक्ति को श्वास लेने में परेशानी आ रही है। जब नींद में वाइब्रेशन के साथ श्वांस लेने की तेज आवाज़ आती है। तो इसे खर्राटा लेना कहते हैं। अक्सर लोग खर्राटे को सामान्य बात मानकर नज़रअंदाज कर देते हैं। किन्तु खर्राटे की समस्या लम्बे समय तक बनी रहने पर हार्ट अटैक और ब्रेन स्ट्रोक जैसी गंभीर रोग का सामना करना पड़ सकता है।
खर्राटे की समस्या का कारण प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक सामान नहीं होता है। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए नाक, कान और गले के विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लेना आवश्यक है। फिर डॉक्टर की सलाह के अनुसार उपचार करवाने से खर्राटे की समस्या को दूर किया जाना संभव है।
इसके अतिरिक्त खर्राटे आने के कारण के आधार पर व्यायाम और घरेलू नुस्खों को अपना कर भी खर्राटे की समस्या पर नियंत्रण पाया जा सकता है। तो आइये जाने खर्राटे आने के कारण और उपचार की जानकारी।
खर्राटे आने के कारण
- नाक की हड्डी तिरछी होना या अतिरिक्त माँस जमा होना। जिसकी वजह श्वांस लेने में अधिक जोर लगाने की जरुरत पड़ती है। फलस्वरूप खर्राटे की आवाज आती है। इस समस्या का इलाज सर्जरी से संभव है।
- वजन बढ़ने के कारण गर्दन के आसपास अतिरिक्त माँस एकत्रित हो जाती है। इससे लेटने पर श्वांस की नली पर दबाव पड़ता है। जिसके कारण खर्राटे की आवाज़ आती है।
- नीचले जबड़े का आकार सामान्य से छोटा होने के कारण भी खर्राटे आने की वजह होती है। इसकी वजह से लेटते वक्त जीभ पीछे की तरफ हो जाती है। जिससे तालू के पीछले हिस्से के लटके हुए माँस से श्वांस की नली का द्वार बंद सा हो जाता है। जिससे श्वांस लेने में जोर लगाना पड़ता है। फलस्वरूप खर्राटे की आवाज़ आती है।
- इसी प्रकार पीठ के बल सोने पर भी जीभ पीछे की और हो जाती है और तालू के पिछले हिस्से से श्वांस की नली का द्वार बंद सा हो जाता है। जिससे खर्राटे की आवाज़ आती है।
- कई मामलों में गले के पीछे की टिश्यू ढीले पड़ जाते हैं। जिससे श्वांस लेने पर वायु अन्दर जाने के क्रम में आस -पास की टिश्यू से टकराती है। जिससे वाइब्रेशन उत्पन्न होने के कारण खर्राटे की आवाज़ आती है।
- जीभ की संरचना मोटी या बड़ी होने पर भी खर्राटे की आवाज आती है। यदि खर्राटे मुँह बंद रहने पर आते हों, तो इसकी वजह जीभ की संरचना हो सकती है। इसके विपरीत यदि मुँह खोल कर नींद में खर्राटे आते हों, तो इसकी वजह गले की टिश्यू में वाइब्रेशन हो सकती है।
- शराब या धुम्रपान का सेवन करने के आदत होने पर भी खर्राटे की समस्या हो जाती है।
- सर्दी -जुकाम होने पर भी खर्राटे की आवाज़ आती है। ये समस्या जुकाम ठीक होने के साथ हीं ठीक हो जाती है।
खर्राटे पर नियंत्रण के घरेलू उपाय
हमारी दादी – नानी के नुस्खे प्राचीन चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में प्रयोग होने वाली जड़ी -बूटी और योग पर आधारित होती हैं। यदि रोगों की शुरूआती लक्षण दिखने पर हीं इन घरेलु नुस्खों का प्रयोग किया जाए , तो संभव है हमें डॉक्टर के पास जाने हीं आवश्यकता हीं न पड़े। दादी -नानी के घरेलू नुस्खे रोगों के प्राथमिक उपचार में चमत्कारिक रूप से असरदार साबित होते हैं। आइये जाने खर्राटे की समस्या दूर करने के घरेलू नुस्खों की जानकारी।
नाक के टिश्यू में सूजन होने पर
उपाय –
सुबह नहाने के बाद और रात में सोने से पहले नाक में सरसों तेल की दो -दो बूँद डालने से खर्राटे पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
उम्र बढ़ने के कारण
आयुर्वेदाचार्य के अनुसार श्वांस अन्दर जाने की राह में अतिरिक्त टिश्यू जमा होने या उम्र बढ़ने पर गले की मांसपेशियों के ढीला पड़ने के कारण खर्राटे की समस्या है।
उपाय –
नियमित रूप से कपालभाति योग करना लाभदायक होता है। इससे ढीली पड़ी मांसपेशियों में कसाव आ जाती है।
शराब का सेवन करने के कारण
सोने से पहले ज्यादा मात्रा में शराब का सेवन करने से गले की माँसपेशियाँ ढीली पड़ जाती हैं। जिसके कारण श्वाँस लेने के दौरान वायु के रुकावट के प्रति प्राकृतिक सुरक्षा बाधित होती है। जिससे खर्राटे की समस्या उत्पन्न होती है।
उपाय –
शराब पीना छोड़े, खासतौर से सोने के पहले 4 से पाँच घंटे के अंतराल में शराब के सेवन से परहेज करें।
वजन बढ़ने के कारण
यदि वजन बढ़ने की वजह से खर्राटे की समस्या है।
उपाय –
वजन कम करने के लिए व्यायाम करने के साथ हीं नियमित रूप से प्राणायाम करना चाहिए। इसके अतिरिक्त सिर को चार इंच ऊँचे तकिये पर रख कर सोने से जीभ के कारण श्वांस नली में रुकावट नहीं आएगी।
जीभ मोटी होने के कारण खर्राटा आने का उपचार
यदि जीभ मोटी होने की वजह से खर्राटे की समस्या है।
उपाय –
जीभ की एक्सरसाइज करने से जीभ को पतला किया जा सकता है।
जीभ की एक्सरसाइज करने की विधि :
- पहले जीभ पर जमी सफ़ेद पर्त को साफ करना है। इसके लिए नियमित दांतों की सफाई के साथ हीं जीभ को भी साफ़ करना आवश्यक है।
- जीभ पर जमी सफ़ेद पर्त को साफ़ करने के बाद देशी घी जीभ पर लगाना है। फिर बाएं से दाहिने ओर और दाहिने से बाएं और क्रमवार जीभ को मोड़ना है। इस प्रकार से नियमित जीभ का व्यायाम करने से जीभ पतली सामान्य मोटाई की हो जायेगी।
- इसके अतिरिक्त हफ्ते में एक बार जीभ पर नमक छिड़क कर सॉफ्ट टूथ ब्रश से हल्के से स्क्रब करना है।
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