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सफलता प्राप्त करने के लिए आपके मन में एक समयावधि में एक लक्ष्य का हीं स्पष्ट विचार होना आवश्यक है। इससे अवचेतन मन को लक्ष्य तक पहुँचने के रोडमैप की योजना बनाने में मदद मिलती है।
बस पूर्ण संकल्प और दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ एक बार हीं अपने मन में उस लक्ष्य को प्राप्त करने का विचार करना हीं काफी है। अवचेतन मन आपके विचार पर कार्य करना शुरू कर देगा। फिर आप उस लक्ष्य प्राप्ति के कर्मपथ पर अनजाने रूप अग्रसर होते चले जायेंगे। आइये जाने सफलता [प्राप्त करने का तरीका क्या है?
अफलता पाने के लिए लक्ष्य प्राप्ति का विचार द्वन्द रहित होना आवश्यक
जितना क्लीयर आपका वीज़न होगा उतनी हीं जल्दी लक्ष्य प्राप्ति में सफलता प्राप्त होगी।सफलता प्राप्त करना यानि अपने लक्ष्य प्राप्त करने के विचार को जीवन काल के कैनवस पर चित्रित करने जैसा है।जिस प्रकार कोई चित्र बनाने से पहले हमें विचारों में उसका चित्रण करना आवश्यक होता है। उसके बाद हम चित्रण की सामग्री एकत्र करते हैं। फिर अपनी विचारों में चित्रित कल्पना को हक़ीकत के कैनवस पर साकार करते हैं। उसी प्रकार लक्ष्य को विचारों में जितना सटिक द्वन्द रहित चित्रित करेंगे, उतना हीं लक्ष्य का चित्र/ नक्शा हमारे अन्तर्मन/अवचेतन मन पर साफ चित्रित होगा। फिर अवचेतन मन लक्ष्य तक पहुँचने के पथ का खांका तैयार करेगा।
इसके बाद आप अनजाने रूप से हीं अपने मनोभाव का अनुसरण करते हुए अपने लक्ष्य के नक्शे पर चल पड़ेगे। फिर कदम दर कदम बढ़ते हुए लक्ष्य प्राप्त करने में सफल हो जायेंगे।
अवचेतन मन की कार्य प्रणाली
दरअसल मन में दिन भर जितने भी विचार उत्पन्न होते रहते हैं। वो सभी विचार हमारे अवचेतन मन में स्टोर होते जाते हैं। उनमें से जो विचार हमारे दृढ़ इच्छाशक्ति से उत्पन्न होते हैं। उनको कार्यरूप में परिणित करने के लिए अवचेतन मन कार्य करता रहता है। फिर जब हम उस विचार से सम्बंधित कार्य करने की सोचते हैं, तो हमारा मन उस निर्धारित लक्ष्य के पथ पर हमें अग्रसर होने का मार्ग दिखाने (आईडिया आने) लगता है। अब चूँकि उस लक्ष्य के प्रति हमारे मन में किसी प्रकार का द्वन्द नहीं होता है। इस कारण हम उस राह पर बिना रुके चलते हुए अपने लक्ष्य प्राप्ति में सफलता प्राप्त कर लेते हैं।
इसी कारण देखा गया है कि मानव अपनी रुचि के कार्यक्षेत्र में यदि करियर बनाता है। तो सफलता जल्दी मिलती है और सफलता के नये आयाम गढ़ने में भी सफल होता है।
क्योंकि अपनी रूचि के कार्य के प्रति उसके मन में द्वंदात्मक विचार नहीं होता है। इसके अतिरिक्त उस कार्य में उसका आत्मविश्वास मजबूत होता है। जिसके कारण अवचेतन मन को लक्ष्य प्राप्ति का नक्शा तैयार करने में आसानी होती है।
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