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ध्यान लगाना एक सहज प्रक्रिया है। शाँतचित्त और निर्मल मन होने पर ध्यान स्वभाविक रूप से लगने लगता है। जिस प्रकार से उदंड प्रकृति के बच्चे का पढ़ाई में मन लगवाने के लिए साम (प्यार से /सम्मान देकर) , दंड (सजा देकर) , दाम ( प्रलोभन देकर) की विधियों का प्रयोग किया जाता है। उसी प्रकार ध्यान लगाने के लिए भी मन की चंचलता को एकाग्रचित्त करना आवश्यक है।
मन की चंचलता को नियंत्रित करने के लिए मन में उठने वाले विचारों की गति को धीमा करना आवश्यक है। इसके लिए गांधी जी के तीन बंदर वाले सन्देश का पालन करना होगा। यानि बुरा मत देखो , बुरा मत सुनो और बुरा मत बोलो बस इन तीनों नियम का पालन करने से आप अपने मन को नियंत्रित करना सीख जायेंगे। फिर मनचाहे प्रक्रिया में मन को लगाना आपके लिए संभव हो जाएगा।
ध्यान लगाने का उपयुक्त समय
ध्यान करने के लिए अमृतवेला और गोधूलि का समय उपयुक्त माना जाता है।
अमृतवेला
सुबह 4:00 से 5:30 बजे का समय अमृतवेला का समय होता है। इस समय में निशा काल का उषा काल से मिलन हो रहा होता है। इस समय ध्यान एवं परमात्मा का चिंतन करने पर ज्ञान की उपलब्धि होती है।
इस समय को ब्रह्म मुहूर्त भी कहते हैं।इस समय वातावरण शांत रहता है। इस कारण साकारात्मक उर्जा की अधिकता होती है। इस समय ध्यान लगाते वक़्त किसी प्रकार के विघ्न का सामना नहीं करना पड़ता है।
गोधूलि का समय
संध्या के 5:30 से 7:00 बजे के अन्तराल में जब सूरज डूबने वाला होता है। इस समय में दिन और रात का मिलन हो रहा होता है। इस समय में सब काम छोड़ कर ध्यान और परमात्मा के नाम का जप करना चाहिए। इस समय में परमात्मा का ध्यान करने से आरोग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
ध्यान लगाने की सरल विधि Simple Method of Meditation
ध्यान में बैठने की विधि :
- ध्यान लगाने के अभ्यास की प्रारम्भिक अवस्था में सुखासन (पालथी मारकर बैठना) में बैठ जाईये।
- इसके बाद रीढ़ की हड्डी इस प्राकर सीधी रखनी है कि पीट,गर्दन और सिर एक सीध में रहे।
- दोनों हाथ घुटनों पर रखिये।
- आँखे बंद होनी चाहिए।
इस प्रकार बैठने के बाद अपनी आती -जाती साँसों की गनती मन हीं मन में करते रहना है।
प्रारम्भिक अवस्था में जब आप ध्यान लगाने के अभ्यास की शुरुआत करने के चरण में कदम रखते हैं। इस चरण में आपके लिए ध्यान लगाना एक असहज प्रक्रिया हो सकती है। ऐसे में आपको 10 मिनट , 20 मिनट ध्यान में बैठने की कोशिश करते हुए समय अवधि को लगातार बढ़ाने की कोशिश में प्रयत्नशील रहना चाहिए। ऐसे हीं लगातार अभ्यास करने से आपको ध्यान लगाने की आदत पड़ जायेगी।
प्रारम्भिक अवस्था में हीं यदि जबरदस्ती ध्यान लगाने की क्रिया को समय के बंधन में बाँधने की कोशिश करेंगे जैसे -अमृत वेला और गोधूलि के समय पर ध्यान लगाने की अनिवार्यता में खुद को बाँधने की कोशिश करना। तो ध्यान लगाना आपको बोझ और बहुत कठिन कार्य प्रतीत होगा।
ध्यान कभी भी लगाया जा सकता है। जिस समय आपको समय उपयुक्त लगे, मन शांत हो आप ध्यान लगाने की कोशिश कर सकते हैं।
बंधनमुक्त होकर अपने मन को ध्यान की प्रक्रिया के लिए तैयार करके लग्न और उत्साह से यदि ध्यान का अभ्यास करेंगे, तो ध्यान केन्द्रित करना आपके लिए सहज और उत्साहवर्धक साबित होगा।
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